कुछ बच्चे रात में सोने से डरते हैं l  जबकि इसके कई कारण हैं, मेरी बेटी बोली, “मैं अँधेरे से डरती हूँ l” उसके शयनकक्ष से बाहर निकलते समय मैंने उसके डर को शांत करना चाही, किन्तु उसको भरोसा दिलाने के लिए कि यह स्थान दुष्टात्मा मुक्त है, मैंने एक नाईट लैंप जलती छोड़ दी l

मैंने अपनी बेटी के डर के विषय अधिक नहीं विचारा जब तक कि कुछ हफ्ते पहले मेरे पति रात भर के व्यावसायिक दौरे पर नहीं गए l बिस्तर पर जाने के बाद, अन्धकार मेरे चारों ओर गहराने लगा l मैं एक हलकी आवाज़ सुनकर उठकर पता करने लगी l कुछ था नहीं किन्तु आख़िरकार मेरे अनुभव ने मुझे मेरी बेटी का डर समझा दिया l

यीशु हमारा डर और समस्याएँ समझता है क्योंकि वह पृथ्वी पर मनाव रूप में जीवन जीकर हमारे समान परेशानी सहे l “वह तुच्छ जाना जाता और मनुष्यों का त्यागा हुआ था; वह दुखी पुरुष था, रोग से उसकी जान पहिचान थी” (यशा. 53:3) l अपना संघर्ष उसे बताने पर, वह उसे हटाता नहीं, हमारी भावनाओं तुच्छ नहीं जानता, अथवा हमें उससे बचने को नहीं कहता-वह समझता है l किसी तरह, यह जानकर कि वह समझता है हमारी एकाकीपन दूर होगी जो अक्सर हमारे दुःख का साथ देती है l हमारे सबसे अंधकारपूर्ण समय में, वह हमारी ज्योति और मेरा उद्धार है l