एक मानवविज्ञानी के विषय कहा जाता है कि वह एक छोटे गांव में अनेक महीनों का शोध पूर्ण कर रहा था l एअरपोर्ट तक की अपनी वापसी यात्रा के लिए इंतज़ार करते हुए, समय का उपयोग करने हेतु बच्चों के लिए एक खेल बनाना चाहा l उसका विचार था एक पेड़ के निकट रखा फल और मिठाइयों की डलिया तक पहुँचने की दौड़ l दौड़ने का संकेत पाकर पेड़ तक दौड़ने की बजाए बच्चों ने हाथ में हाथ मिलाकर पेड़ की ओर दौड़े l
एक साथ दौड़ने का कारण पूछने पर एक छोटी लड़की बोली, “एक प्रसन्न और बाकी उदास कैसे हो सकते हैं?” क्योंकि ये बच्चे परस्पर चिंता करते थे, और मिलकर फल और मिठाइयाँ बांटना चाहते थे l
वर्षों तक मूसा की व्यवस्था पढ़ने के बाद, प्रेरित पौलुस ने देखा कि परमेश्वर की समस्त व्यवस्था एक में समाहित की जा सकती है : “तू अपने पड़ोसी को अपने सामान प्रेम रख” (गला. 5:14; रोमियों 13:9 भी देखें) l पौलुस ने मसीह में प्रोत्साहन, सहानुभूति, और परस्पर देखभाल का कारण ही नहीं देखा किन्तु करने हेतु आत्मिक योग्यता भी l
इसलिए कि वह हमारी चिंता करता है, हम भी एक दूसरे की चिंता करते हैं l