यद्यपि मैं प्रतिदिन अपने काम की पूर्णता हेतु तकनीक पर निर्भर हूँ, मैं इसके कार्य प्रणाली को नहीं समझता l मैं अपने कंप्यूटर को चालू करके अपने लिखने का कार्य करने हेतु एक वर्ड डॉक्यूमेंट खोलता हूँ l किन्तु तकनीक से लाभ प्राप्त करने में मिक्रोचिप, हार्ड ड्राइव, वाई फाई कनेक्शन, और पूर्ण रंगीन डिस्प्ले की वास्तविक कार्य प्रणाली मेरी समझने की अयोग्यता में बाधा नहीं बनती है l

एक अर्थ में यह परमेश्वर के साथ हमारे सम्बन्ध का दर्पण है l यशायाह 55:8-9 हमें याद दिलाता है कि परमेश्वर हमसे बहुत दूर है : ‘क्योंकि यहोवा यों कहता है, “मेरे विचार और तुम्हारे विचार एक समान नहीं हैं, न तुम्हारी गति और मेरी गति एक सी है l क्योंकि मेरी और तुम्हारी गति में और मेरे और तुम्हारे सोच विचारों में, आकाश और पृथ्वी का अंतर है l’”

यद्यपि हम परमेश्वर के विषय सब कुछ नहीं समझते, यह उस पर भरोसा करने में बाधक नहीं है l उसने हमारे लिए अपना प्रेम प्रमाणित किया है l प्रेरित पौलुस ने लिखा, “परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिए मरा” (रोमियों 5:8) l उस प्रेम पर भरोसा करके, हम जीवन के सार्थक नहीं दिखाई देने की अवस्था में भी उसके साथ चल सकते हैं l