मेरा धैर्य टूटने लगा, मैं फ़ोन की घंटी सुनने और रेडियो साक्षात्कार के आरंभ होने का इंतज़ार कर रही थी l मैं सोचने लगी साक्षातकर्ता किस तरह का प्रश्न पूछेंगे और मैं कैसे उत्तर दूंगी l “प्रभु, मैं कागज़ पर बेहतर लिख सकती हूँ,” मैंने प्रार्थना की l “किन्तु मेरे विचार से यह मूसा की तरह ही है-मुझे भरोसा करना होगा कि आप बोलने के लिए मुझे शब्द देंगे l”
वास्तव में, मैं स्वयं की तुलना परमेश्वर के लोगों का अगुआ मूसा से नहीं कह रही हूँ, जिसने उन्हें मिस्र की गुलामी से निकलकर प्रतिज्ञात देश के जीवन में प्रवेश दिलाया l एक अनिच्छुक अगुआ, मूसा को प्रभु का आश्वासन चाहिए था कि इस्राएली उसकी सुनेंगे l प्रभु ने उसको अनेक चिन्ह दिए, जैसे लाठी का सर्प में बदलना (निर्ग.4:3), किन्तु मूसा यह कहकर नेतृत्व का चादर स्वीकार करने से हिचका, कि वह बोलने में भद्दा है (पद.10) l इसलिए परमेश्वर ने उसको याद दिलाया कि वह परमेश्वर है और बोलने में उसकी मदद करेगा l वह उसका “मुँह” होकर उसे “सिखलाता” जाएगा (जैसे बाइबिल के विद्वानों द्वारा मूल भाषा में अनुदित है) l
हम जानते हैं कि पेन्तेकुस्त पर पवित्र आत्मा के आगमन बाद, परमेश्वर का आत्मा उसकी संतानों में रहता है और चाहे हम जितना योग्य महसूस करें, वह हमें उसके काम पूरे करने में मदद करेगा l प्रभु “हमारे मुँह के साथ रहेगा l”