अपनी पुस्तक द गॉड आई डोंट अंडरस्टैण्ड में, ख्रिस्तोफर राईट बताते हैं कि एक अविश्वसनीय व्यक्ति हाजिरा प्रथम बार परमेश्वर को नाम देनेवाली बनी l
हाजिरा की कहानी मानव इतिहास पर व्याकुलता उत्पन्न करनेवाली स्पष्ट दृष्टि पेश करती है l परमेश्वर ने वर्षों पूर्व अब्राम और सारै को पुत्र का वादा किया था, और सारै वृद्ध और अधिक अधीर होती गई l परमेश्वर की “मदद” करने हेतु, उसने उन दिनों की रीति अपनाकर अपनी दासी, हाजिरा, अपने पति को दी l
ज़ाहिर तौर पर, एक झगड़ा उत्पन्न हुआ l सारै ने हाजिरा के साथ दुर्व्यवहार किया, जो भाग गई l मरुभूमि में एकाकी, उसकी मुलाकात परमेश्वर के स्वर्गदूत से हुई जिसने, जो पूर्व में अब्राम से परमेश्वर की तरह आश्चर्यजनक वादा करता है (देखें उत्प.15:5) l “मैं तेरे वंश को बहुत बढ़ाऊँगा, यहाँ तक कि … उसकी गणना न हो सकेगी” (16:10) l स्वर्गदूत हाजिरा के पुत्र को इश्माएल नाम देता है, जिसका अर्थ है “ईश्वर सुननेहारा” है (पद.11) l प्रतिउत्तर में, बहरे और अंधे देवताओं की संस्कृति से आनेवाली दासी परमेश्वर को नाम देती है “तू मुझे देखनेवाला सर्वदर्शी ईश्वर है” (पद.13) l
“हमें देखनेवाला परमेश्वर” अधीर और सामर्थहीन भगेड़ुओं का परमेश्वर है l वह समृद्ध और कुलीन के साथ निराश्रित और एकाकी का परमेश्वर है l वह हम प्रत्येक की गम्भीरता और गहराई से सुनता, देखता, और चिंता करता है l