आप चिंता के साथ क्या करते हैं? आप उनको मन में रखते हैं, अथवा ऊपर ले जाते हैं?
जब अश्शूर के क्रूर राजा सन्हेरीब ने यरुशलेम को नष्ट करना चाहा, उसने राजा हिजकिय्याह को लिखा कि उसके द्वारा जीते गए दूसरे राष्ट्रों में यहूदा अलग नहीं होगा l हिजकिय्याह ने इस सन्देश को यरूशलेम के मंदिर में ले जाकर, “यहोवा के सामने फैला दिया” (यशा. 37:14) l तब उसने सर्वशक्तिमान परमेश्वर से प्रार्थना करके सहायता मांगी l
शीघ्र ही नबी यशायाह ने प्रभु की ओर से यह खबर हिजकिय्याह को पहुंचा दी : “तू ने जो अश्शुर के राजा सन्हेरीब के विषय में मुझ से प्रार्थना की है, उसके विषय यहोवा ने यह वचन कहा है” (यशायाह 37:21-22) l बाइबिल बताती है कि हिजकिय्याह की प्रार्थना उसी रात सुनी गई l परमेश्वर ने अद्भुत तौर से हस्तक्षेप करके शत्रु को नगर के फाटक के बाहर पराजित किया l अश्शुर की सेना “एक भी तीर [मार] न [सकी]” (पद.33) l सन्हेरीब यरूशलेम छोड़कर फिर नहीं लौटने वाला था l
“तू ने जो … प्रार्थना की है,” हिजकिय्याह के लिए परमेश्वर के ये शब्द चिंता के समय जाने का सबसे अच्छा स्थान है l इसलिए कि हिजकिय्याह परमेश्वर की ओर फिरा, उसने उसके साथ उसके लोगों को भी छुड़ाया l जब हम अपनी चिंता प्रार्थना में बदल देते हैं, हम पाते हैं कि परमेश्वर अनपेक्षित तरीकों से विश्वासयोग्य होता है!