मित्र सोशल मीडिया पर उससे विचारहीन अथवा अपमानजनक कहते हैं , चारलोट कोमल किन्तु दृढ़ असहमति के साथ उत्तर देती है l वह सबकी इज्ज़त करती है, और उसके शब्द हमेशा साकारात्मक l
कुछ वर्ष पूर्व वह मसीहियों से क्रोधित एक व्यक्ति की फेसबुक मित्र बनी l उसने चारलोट के अपूर्व ईमानदारी और शिष्टता को सराहा l उसका विरोध समाप्त हुआ l तब चारलोट बुरी तरह गिर पड़ी l घर में सीमित, वह क्षुब्ध थी कि वह क्या कर सकती है l उसी समय उसके मित्र की मृत्यु बाद उसकी बहन ने कहा l “[आपकी साक्षी के कारण] मैं जानती हूँ वह परमेश्वर के सम्पूर्ण और स्थायी प्रेम का अनुभव कर रहा है l”
जिस सप्ताह यीशु मारा जाना था, बैतनिय्याह की मरियम ने कीमती इत्र से उसको अभ्यंजित किया (यूहन्ना 12:3; मरकुस 14:3) l कुछ लोग स्तंभित हुए, किन्तु यीशु ने उसे सराहा l “उस ने तो मेरे साथ भलाई की है,” उसने कहा, “जो कुछ वह कर सकी, उसने किया; उसने मेरे गाड़े जाने की तैयारी में …मेरी देह पर इत्र मला है ” (मरकुस 14:6-8) l
“जो कुछ वह कर सकी, उसने किया l” मसीह के शब्द तनाव हरते हैं l संसार टूटे, दुखित लोगों से भरा है l किन्तु क्या हम नहीं कर सकते, यह चिंता नहीं करें l चारलोट जो कर सकी, उसने किया l हम भी करें l शेष उसके समर्थ हाथों में है l