“मैं भूखी हूँ,” मेरी आठ वर्षीय बेटी बोली l “मुझे माफ़ करो,” मैं बोली, “मेरे पास तुम्हारे लिए कुछ नहीं l आओ टिक-टैक-टो(एक खेल) खेलें l” हम एक घंटे से अधिक चर्च में एक दुल्हन का इंतज़ार कर रहे थे जिसकी दोपहर में शादी थी l विचार करते हुए कब तक इंतज़ार करना होगा, मैंने अपनी बेटी को शादी आरंभ होने तक बहला कर रखना चाही l
इंतज़ार करते समय, मुझे महसूस हुआ जैसे हम एक दृष्टान्त का अभिनय कर रहे हों l यद्यपि हमारा अर्थात् पासवान निवास चर्च से एक पत्थर फेंकने की दूरी पर है, मैं जानती थी कि यदि मैं कुछ क्रेकर्स लेने जाती हूँ, दुल्हन किसी क्षण आ जाएगी और मैं उसका प्रवेश देख नहीं सकूंगी l जब मैं अपनी भूखी बेटी को हर तरह से बहलाना चाह रही थी, मैंने 10 कुंवारियों का यीशु का दृष्टान्त याद किया (मत्ती 25:1-13) l पाँच अपनी मशालों के जलते रहने हेतु अपने साथ पर्याप्त तेल लेकर आई थीं, और पाँच तैयार नहीं थीं l जैसे मेरे लिए घर जाने में देर हो चूका था, उसी तरह मुर्ख कुवंरियां अपनी मशालों के लिए तेल खरीदने नहीं जा सकती थीं l
यीशु ने यह दृष्टान्त हमें तैयार रहने के लिए बताया, क्योंकि उसके आगमन पर हमें अपने हृदय की स्थिति के विषय उसे हिसाब देना होगा l क्या आप बाट जोह रहे हैं और तैयार हैं?