कई एक संस्कृतियों में व्यक्तिगत दुःख या बड़े राष्ट्रीय विपदा में ऊंची आवाज़ में रोना, क्रंदन, और वस्त्र फाड़ना विलाप करने के स्वीकार्य तरीके हैं l पुराने नियम के इस्राएलियों के लिए, प्रभु से विमुख होने पर समान बाह्य क्रियाएँ गहरा विलाप और मन फिराव दर्शाते थे l
पश्चाताप का बाह्य प्रगटीकरण यदि हृदय से हो तो सशक्त प्रक्रिया हो सकती है l किन्तु परमेश्वर के प्रति सच्चे आन्तरिक प्रतिउत्तर बगैर, हम केवल दिखावा करेंगे, अपने विश्वासी समाज में भी l
टिड्डियों द्वारा महामारी से बर्बादी के बाद यहूदा देश में, परमेश्वर ने योएल नबी द्वारा उसके भावी न्याय से बचने के लिए गंभीर पश्चाताप का आह्वान किया, “तौभी,” यहोवा की यह वाणी है, “अभी भी सुनो, उपवास के साथ रोते-पीटते अपने पूरे मन से फिरकर मेरे पास आओ” (योएल 2:12) l
तब योएल गहरे आंतरिक प्रतिउत्तर का आह्वान किया : “अपने वस्त्र नहीं, अपने मन ही को फाड़कर, अपने परमेश्वर यहोवा की ओर फिरो; क्योंकि वह अनुग्रहकारी, दयालु, विलम्ब से क्रोध करनेवाला, करुणानिधान और दुःख देकर पछ्तानेहरा है” (योएल 2:13) l सच्चा मन फिराव हृदय से आता है l
प्रभु की हमारे लिए हार्दिक इच्छा है कि हम अपने पापों को मानकर उसकी क्षमा प्राप्त करें ताकि हम सम्पूर्ण हृदय,मन, आत्मा, और सामर्थ्य से उसकी सेवा कर सकें l
आज, जो कुछ आप परमेश्वर से कहना चाहते हैं-हृदय से कहें l