हमारे शहर का एक व्यक्ति, ऐलन ननिंगा, का मृत्यु लेख उसे “प्रथम, मसीह का एक समर्पित साक्षी” की पहचान दी l उसके पारिवारिक जीवन और जीविका के वर्णन के बाद, लेख लगभग एक वर्ष का गिरते स्वास्थ्य के विषय बताया l लेख ने यह बताते हुए अंत किया, “हॉस्पिटल में उसका रहना … ने दूसरे मरीजों की उसकी सेवा के कारण उसको एक ‘प्रार्थना करनेवाला मरीज़’” का सम्मानित नाम दिया l यहाँ एक व्यक्ति था, जो स्वयं दुःख में होकर भी, अपने चारों ओर के ज़रुरतमंदों के लिए प्रार्थना करता था l
यहूदा के यीशु को धोखा देने के कई घंटे पहले, यीशु ने अपने शिष्यों के लिए प्रार्थना किया l “मैं अब जगत में न रहूँगा, परन्तु ये जगत में रहेंगे, और मैं तेरे पास आता हूँ l हे पवित्र पिता, अपने उस नाम से जो तू ने मुझे दिया है, उनकी रक्षा कर कि वे हमारे समान एक हों” (यूहन्ना 17:11) l जानते हुए क्या होनेवाला है, यीशु खुद से परे अपने शिष्यों और मित्रों पर ध्यान दिया l
हमारी बीमारी और दुःख में, हम दूसरों की प्रार्थना चाहते हैं l ये प्रार्थनाएँ किस तरह हमारी मदद करती हैं और उत्साहित करती हैं! किन्तु हम भी यीशु की तरह, अपने चारों ओर के ज़रुरतमंदों के लिए प्रार्थना करें l