मसीही जीवन की एक उत्कृष्ट रूपक कथा, हाइंड्स फीट ऑन हाई प्लेसेस(Hinds Feet on High Places), हबक्कूक 3:19 पर आधारित है l कहानी का अत्यधिक-भयभीत नामक चरित्र चरवाहे के साथ यात्रा पर जाता है l किन्तु बहुत डरा हुआ होने के कारण अत्यधिक-भयभीत चरवाहे से उसे गोद में लेकर चलने का आग्रह करता है l
चरवाहा दयालुता से उसको उत्तर देता है, “बजाए इसके कि तुम खुद ही ऊँचे स्थानों पर चढ़ो मैं स्वयं तुम्हें गोद में उठाकर ले चल सकता था l किन्तु यदि मैंने ऐसा किया होता, तो तुम्हारे पिछले टांग विकसित नहीं होते, और ऐसी स्थिति में तुम मेरे साथ चल नहीं पाते l”
अत्यधिक-भयभीत पुराने नियम के नबी हबक्कूक के प्रश्न दोहराता है (और यदि मैं ईमानदार हूँ तो मेरे भी प्रश्न वही हैं) : “मैं क्यों दुःख सहूँ?” “मेरी यात्रा कठिन क्यों है?”
इस्राएल के निर्वासन में जाने से पहले, हबक्कूक, यहूदा में ई. पूर्व सातवीं शताब्दी के आधिरी भाग में था l नबी ऐसे समाज में खुद को उपस्थित पाया जो सामाजिक अन्याय को अनदेखा करता था और बेबीलोन के आसन्न आक्रमण से अभय था (हबक्कूक 1:2-11) l उसने प्रभु से हस्तक्षेप करके कष्ट को दूर करने को कहा (1:13) l परमेश्वर का उत्तर था कि वह न्याय करेगा किन्तु अपने समय में (2:3) l
विश्वास में, हबक्कूक ने प्रभु पर भरोसा करने का चुनाव किया l यदि कष्ट का अन्त नहीं भी होता है, नबी यह विश्वास करता था कि परमेश्वर निरंतर उसकी सामर्थ्य बना रहेगा l
हम भी सुखकर महसूस कर सकते हैं कि प्रभु हमारी सामर्थ्य है और दुःख सहने में हमारी सहायता करते हुए मसीह के साथ हमारी संगति को गहरा करने में हमारे जीवन की सबसे अधिक चुनौतीपूर्ण यात्राओं का उपयोग करेगा l
हम भरोसा कर सकते हैं कि कठिन समय में परमेश्वर हमारी सामर्थ्य होगा l