2011 में, द नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एसोसिएशन ने अन्तरिक्ष खोज(अनुसन्धान) के तीस वर्ष पूरे होने का जश्न मनाया l उन तीन दशकों में, 355 से अधिक लोग अन्तरिक्ष यानों से अन्तरिक्ष में गए और अंतर्राष्ट्रीय अतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने मे सहायता की l पाँच अंतरिक्ष यानों के सेवामुक्त होने के बाद, नासा(NASA) ने अपना ध्यान गुरुत्वकर्षी और चुम्बकीय क्षेत्र के परे अनुसन्धान पर केन्द्रित कर दिया है l
मानव जाति ने सृष्टि/कायनात की विशालता का अध्ययन करने के लिए, बड़ी मात्रा में धन और समय का निवेश किया है, जिसमें कुछ अन्तरिक्ष यात्रियों की मृत्यु भी शामिल है l इसके बावजूद हम परमेश्वर के वैभव/प्रताप का प्रमाण माप नहीं सकते हैं l
जब हम सृष्टि के सृजक और संभालनेवाले के विषय विचार करते हैं जो प्रत्येक तारे का नाम जानता है (यशायाह 40:26), हम भजनकार दाऊद द्वारा उसकी महानता की प्रशंसा करने का कारण समझ सकते हैं (भजन 8:1) l परमेश्वर के हाथों(उँगलियों) के निशान “चंद्रमा और तारागण … [पर हैं] जो . . .[उसने] नियुक्त किये हैं,” (पद.3) l स्वर्ग और पृथ्वी का सृष्टिकर्ता सबके ऊपर राज्य करता है, लेकिन अपने सभी प्रिय बच्चों के निकट रहकर उनसे घनिष्ठता और व्यक्तिगत रूप से प्यार करता है (पद.4) l परमेश्वर ने, प्रेम में जो संसार हमें सौंपा है उसकी देखभाल करने, उसको जानने के लिए के लिए हमें महान शक्ति, उत्तरदायित्व, और अवसर देता है (पद.5-8) l
जब हम रात में आकाश को तारों से भरा देखते हैं, परमेश्वर हमें उसको उत्साह और दृढ़ता से खोजने के लिए आमंत्रित करता है l वह हमारे होंठों से निकली प्रत्येक प्रार्थना और प्रशंसा को सुनता है l
परमेश्वर की महानता उसकी विस्मयकारी विशालता और घनिष्ठ निकटता में प्रकट है l