शरीर को गठीला बनानेवाले प्रतिस्पर्धी खुद को कठोर प्रशिक्षण क्रम से गुजरने देते हैं l पहले के कुछ महीनों में, वे आकार और ताकत बढ़ाने में लगाते हैं l जैसे-जैसे प्रतिस्पर्धा निकट आता हैं, वे अपना ध्यान शरीर के अतिरिक्त चर्बी को कम करने में लगाते हैं जिससे उनकी मांश पेशियाँ दिखाई दे सकें l प्रतिस्पर्धा से पहले अंतिम कुछ दिनों में, मांश पेशियों के स्पष्ट दिखाई देने के लिए वे कम पानी पीते हैं l पोषण कम लेने के कारण, प्रतिस्पर्धा के दिन ताकतवर दिखाई देने के बावजूद, प्रतिस्पर्धी अपने सबसे बलहीन अवस्था में होते हैं l
2 इतिहास 20 में, हम विपरीत सच्चाई देखते हैं : परमेश्वर की सामर्थ्य का अनुभव करने के लिए अपनी बलहीनता को पहचानना l “लोगों ने यहोशापात से कहा, “एक बड़ी सेना आपके विरुद्ध आक्रमण करने आ रही है l” इस कारण उसने खुद को और अपने सारे लोगों को पोषण/भोजन से वंचित करके “पूरे यहूदा में उपवास का प्रचार करवाया” (पद.3) l उसके बाद उन्होंने परमेश्वर से सहायता मांगी l अंत में अपनी सेना को इकठ्ठा करने के बाद, यहोशापात ने गायकों को नियुक्त किया जो उसकी सेना के आगे-आगे परमेश्वर की प्रशंसा करते थे (पद.21) l जब वे गाकर स्तुति करने लगे, प्रभु ने “लोगों पर जो यहूदा के विरुद्ध आ रहे थे, घातकों को बैठा दिया और वे मारे गए” (पद.22) l
यहोशापात का निर्णय परमेश्वर में उसके गहरे भरोसे को प्रगट कर रहा था l उसने जानबूझकर मनुष्य और सेना के कौशल पर भरोसा नहीं करने का चुनाव किया किन्तु इसके बदले परमेश्वर पर भरोसा किया l अपने संघर्षों/परीक्षाओं में खुद पर भरोसा न करके, हम उसकी ओर फिरें और उसे अपनी ताकत बनने दें l
हम परमेश्वर की सामर्थ्य का अनुभव करने के लिए अपनी निर्बलता को स्वीकार करें l