“आपको मेरी सुनना होगा, मैं आपका भाई हूँ!” यह अनुरोध पड़ोस में रहनेवाला एक बड़े भाई का अपने छोटे भाई से था जो अपने पिता को अपने घर से अलग कर रहा था और जो बड़े भाई को पसंद नहीं था l स्थिति के विषय स्पष्ट रूप से बड़ा भाई सर्वोत्तम निर्णय लेने में सक्षम था l
हममें से कितने लोग बड़े भाई या बहन का विवेकपूर्ण सलाह लेने से इनकार किये हैं? यदि आपने अपने से परिपक्व व्यक्ति की अच्छी सलाह नहीं मानने के परिणाम का अनुभव किये हैं, तो आप अकेले नहीं हैं l
यीशु में हम विश्वासियों के लिए सबसे महान शरणस्थान परिवार है – जो उसमें समान विश्वास रखने के कारण आत्मिक रूप से सम्बंधित हैं l इस परिवार में परिपक्व पुरुष और स्त्री शामिल हैं जो परमेश्वर से और एक दूसरे से प्रेम करते हैं l मेरे पड़ोस में उस छोटे भाई की तरह, हमें भी कभी-कभी वापस मार्ग पर लाने के लिए चेतावनी और सुधार की ज़रूरत होती है l यह ख़ास तौर से उस समय सच है जब हम किसी का अपमान करते हैं या कोई हमारा अपमान करता है l उचित करना कठिन हो सकता है l फिर भी मत्ती 18:15-20 में यीशु के शब्द हमें बताते हैं कि हमारे आत्मिक परिवार में परस्पर अपमान होने पर हमें क्या करना चाहिए l
कृतज्ञता से, हमारे स्वर्गिक पिता ने हमारे जीवनों में ऐसे लोग रख रखे हैं जो उसे और दूसरों को आदर देने में हमारी मदद करने को तैयार हैं l और जब हम सुनते हैं, परिवार में सब कुछ भला होता है (पद.15) l
बुद्धिमत्ता उन्नति करती है जब हम परिपक्व विश्वासियों की सुनते हैं l