Month: सितम्बर 2018

घर का मार्ग

कभी-कभी जीवन यात्रा इतनी कठिन दिखायी है जिससे हम अभिभूत/पराजित हो जाते हैं, और ऐसा महसूस होता है मानो अंधकार असीमित है l ऐसे ही एक सुबह हमारे पारिवारिक चिंतन के समय, मेरी पत्नी को अपने मनन के समय एक नयी सीख मिली l  “मैं सोचती हूँ कि परमेश्वर चाहता है कि जो बातें हम इस अन्धकार में सीख रहें हैं उन्हें ज्योति में न भूलें  l”

पौलुस अपनी टीम के साथ एशिया में अत्यधिक कठिनाईयों का वर्णन करते हुए, इन्हीं विचारों को कुरिन्थियों को लिख रहा है (2 कुरिन्थियों 1) l पौलुस चाहता था कि कुरिन्थुस के विश्वासी समझ जाएं कि परमेश्वर किस प्रकार अंधकारमय पलों को भी बदल सकता है l वह कहता है, “हमें शांति मिली है, इसलिए हम भी दूसरों को शांति दे सकते हैं” (पद.4) l पौलुस और उसकी टीम आजमाइशों में सीख रहे थे ताकि वे कुरिन्थियों को उसी प्रकार की कठिनाइयों में शांति और सलाह दे सकें l और यदि हम सुनने को तत्पर हैं तो परमेश्वर हमारे लिए भी ऐसा ही करता है l वह हमें आजमाइशों से सीखी हुई बातों से दूसरों को शांति देने के लिए तैयार करके हमारी आजमाइशों से हमें छुटकारा देगा l

क्या आप वर्तमान में अन्धकार में हैं? पौलुस के शब्दों और अनुभव द्वारा उत्साहित हो जाएं l भरोसा करें कि परमेश्वर आपके क़दमों को दिशा दे रहा है और अपनी सच्चाइयों को आपके हृदय में स्थापित कर रहा है ताकि आप समान स्थितियों में लोगों को उत्साहित कर सकें l आप उस स्थिति से परिचित हैं और आप घर का मार्ग जानते हैं l

यात्रा के लिए सामर्थ्य

मसीही जीवन की एक उत्कृष्ट रूपक कथा, हाइंड्स फीट ऑन हाई प्लेसेस(Hinds Feet on High Places), हबक्कूक 3:19 पर आधारित है l कहानी का अत्यधिक-भयभीत नामक चरित्र चरवाहे के साथ यात्रा पर जाता है l किन्तु बहुत डरा हुआ होने के कारण अत्यधिक-भयभीत चरवाहे से उसे गोद में लेकर चलने का आग्रह करता है l

चरवाहा दयालुता से उसको उत्तर देता है, “बजाए इसके कि तुम खुद ही ऊँचे स्थानों पर चढ़ो मैं स्वयं तुम्हें गोद में उठाकर ले चल सकता था l किन्तु यदि मैंने ऐसा किया होता, तो तुम्हारे पिछले टांग विकसित नहीं होते, और ऐसी स्थिति में तुम मेरे साथ चल नहीं पाते l”

 अत्यधिक-भयभीत पुराने नियम के नबी हबक्कूक के प्रश्न दोहराता है (और यदि मैं ईमानदार हूँ तो मेरे भी प्रश्न वही हैं) : “मैं क्यों दुःख सहूँ?” “मेरी यात्रा कठिन क्यों है?”

इस्राएल के निर्वासन में जाने से पहले, हबक्कूक, यहूदा में ई. पूर्व सातवीं शताब्दी के आधिरी भाग में था l नबी ऐसे समाज में खुद को उपस्थित पाया जो सामाजिक अन्याय को अनदेखा करता था और बेबीलोन के आसन्न आक्रमण से अभय था (हबक्कूक 1:2-11) l उसने प्रभु से हस्तक्षेप करके कष्ट को दूर करने को कहा (1:13) l परमेश्वर का उत्तर था कि वह न्याय करेगा किन्तु अपने समय में (2:3) l

विश्वास में, हबक्कूक ने प्रभु पर भरोसा करने का चुनाव किया l यदि कष्ट का अन्त नहीं भी होता है, नबी यह विश्वास करता था कि परमेश्वर निरंतर उसकी सामर्थ्य बना रहेगा l

हम भी सुखकर महसूस कर सकते हैं कि प्रभु हमारी सामर्थ्य है और दुःख सहने में हमारी सहायता करते हुए मसीह के साथ हमारी संगति को गहरा करने में हमारे जीवन की सबसे अधिक चुनौतीपूर्ण यात्राओं का उपयोग करेगा l

ऑफिसर मिग्लियो का हृदय

पीछे वहाँ पुलिस थाने में, थके हुए ऑफिसर मिग्लियो दीवार से टिक गए l एक घरेलु हिंसा के निबटारे में उनकी ड्यूटी का आधा समय निकल चुका था l उस घटना के परिणामस्वरूप एक प्रेमी(बॉयफ्रेंड) हिरासत में, और एक जवान लड़की आपातकालीन कक्ष में थी, और एक विचलित माँ सोच रही थी कि यह सब कैसे हो गया l ऑफिसर को इस मामले को सुलझाने में बहुत समय देना था l

उनके सार्जेंट ने उनसे सहानुभूति से बोला, “विक, आप कुछ नहीं कर सकते थे l” लेकिन उनके शब्द खाली गए l कुछ ऑफिसर अपनी ड्यूटी को ड्यूटी के समय ही पूरा करते हैं किन्तु विक मिग्लियो ऐसा कभी नहीं करते थे l और ऐसे कठिन मामले तो बिल्कुल नहीं l

ऑफिसर मिग्लियो यीशु मसीह की तरस को दर्शाते हैं l मसीह के शिष्य अभी-अभी उसके पास एक प्रश्न लेकर आए थे : “स्वर्ग के राज्य में बड़ा कौन है?” (मत्ती 18:1) l एक बालक को अपने बीच खड़ा करके, उसने अपने शिष्यों से कहा, “जब तक तुम न फिरो और बालकों के समान न बनो, तुम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने नहीं पाओगे” (पद.3) l तत्पश्चात उसने बच्चों को हानि पहुंचानेवालों को एक सख्त चेतावनी दी (पद.6) l वास्तव में बच्चे यीशु के लिए इतने विशेष थे कि यीशु ने हमसे कहा, “स्वर्ग में उनके दूत मेरे स्वर्गीय पिता का मुँह सदा देखते हैं” (पद.10) l

तब, यह कितना सुखद है, कि बच्चों के लिए यीशु का प्रेम हमारे लिए उसके प्रेम से सम्बंधित है l इसी कारण वह हमें बच्चों की तरह विश्वास रखते हुए अपने पुत्र और पुत्री बनने के लिए बुलाता है l