मेरी मित्र सू की टिप्पणी-उसके पति के साथ दोपहर के भोजन पर अनौपचारिक रूप से की गई-पर मैं जोर से हंसा और इसपर मैंने विचार भी किया। सोशल मीडिया एक उत्तम वस्तु भी हो सकती है, जो हमें वर्षों और मीलों दूर बैठे मित्रों के साथ सम्पर्क में रहने और उनके लिए प्रार्थना करने में सहायता कर सकती है। परन्तु यदि हम सावधान नहीं हैं, तो यह जीवन का एक अवास्तविक दृष्टिकोण भी बना सकती है। जब हम “बढ़िया बातों” को और बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया हुआ देखते हैं, तो हम दूसरों के जीवन को बिना किसी कठिनाई वाला होने का विचार करने की ओर पथभ्रष्ट हो सकते हैं, और हम इस बात पर आश्चर्य करने लगते हैं कि हम ने क्या गलत किया है।
दूसरों के साथ अपनी तुलना करना नाखुश रहने का सबसे बढ़िया नुस्खा है। जब शिष्यों ने आपस में एक-दूसरे से तुलना की (देखें लूका 9:46; 22:24), यीशु ने इसे उसी समय समाप्त करवा दिया। अपने पुनरुत्थान के ठीक बाद यीशु ने पतरस को बताया कि वह अपने विश्वास के लिए किस प्रकार दुःख उठाएगा। तब पतरस यूहन्ना की ओर मुड़ा और पूछा, “प्रभु इसका क्या हाल होगा?” यीशु ने उत्तर दिया, “यदि मैं चाहूँ कि वह मेरे आने तक ठहरा रहे, तो तुझे इससे क्या? तू मेरे पीछे हो ले।” (यूहन्ना 21:21-22) ।
यीशु ने पतरस का ध्यान बेकार की तुलना की सबसे अच्छी दवा की ओर किया। जब हमारे मन परमेश्वर और उसने हमारे लिए क्या किया की ओर केन्द्रित होते हैं, तो हमारा अपने ऊपर से ध्यान हट जाता है और हम उसके पीछे चलने के लिए ललायित रहते हैं। संसार की प्रतिस्पर्धा के दबाव और तनाव के स्थान पर वह हमें अपनी प्रेममय उपस्थिति और शान्ति देता है। उसकी तुलना किसी के साथ नहीं की जा सकती।
तुलना करना आनन्द का चोर है। थियोडोर रोज़वैल्ट