1963 की गर्मियों में, पूरी रात चलनेवाली बस यात्रा के बाद, नागरिक अधिकार सक्रिय प्रतिभागी(civil rights activist) फैनी लू हैमर और छह काले रंग वाले यात्रियों ने विनोना, मिसीसिपी में एक ढाबे पर भोजन करने के लिए रुके l कानून प्रवर्तन अधिकारियों(law enforcement officers) द्वारा उनको वहां से चले जाने हेतु विवश करने के बाद, उनको गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया l किन्तु वह अपमान गैरकानूनी गिरफ्तारी के साथ ख़त्म नहीं हुआ l सभी को बुरी तौर से पीटा गया, परन्तु फैनी को सबसे अधिक l उस क्रूर आक्रमण के बाद जिसने उसे मृत्यु के निकट पहुँचा दिया था उसने गीत गाना आरंभ कर दी : “पौलुस और सीलास जेल में कैद थे, मेरे लोगों को जाने दो l” और वह अकेले नहीं गा रही थी l दूसरे कैदी भी, अपने शरीर में सिमित परन्तु आत्मा में नहीं, इस आराधना में जुड़ गए l
प्रेरितों 16 के अनुसार, जब यीशु के विषय दूसरों को बताने के जुर्म में पौलुस और सीलास को कैद कर लिया गया उन्होंने अपने को एक कठिन स्थान में पाया l परन्तु क्लेश उनके विश्वास को निरुत्साहित नहीं कर सका l “आधी रात के लगभग पौलुस और सीलास प्रार्थना करते हुए परमेश्वर के भजन गा रहे हे, और कैदी उनकी सुन रहे थे” (पद. 25) l उनकी निर्भीक आराधना ने यीशु के विषय संवाद जारी रखने का मार्ग प्रशस्त किया l “और उन्होंने उसको(जेल अधीक्षक) और उसके सारे घर के लोगों को प्रभु का वचन सुनाया” (पद. 32) l पौलुस, सीलास, या फैनी की तरह हममें से ज्यादातर लोग ऐसी चरम परिस्थितयों का सामना नहीं करेंगे, परन्तु हममें से हर एक असुविधाजनक स्थितियों का सामना करेंगे l जब ऐसा होता है, हमारी सामर्थ्य हमारे विश्वासयोग्य परमेश्वर से आती है l काश हमारे हृदयों में एक गीत हो जिससे उसकी महिमा हो और हमें उसके विषय बोलने के लिए निर्भीकता मिले – परेशानी के मध्य भी l
जो कठिन समय उससे प्रार्थना और प्रशंसा करता है वह सभी बातों को नियंत्रित करता है l