Month: मई 2021

क्या नहीं देखा जा सकता?

इतिहासकारों का कहना है कि परमाणु युग 16 जुलाई, 1945 को शुरू हुआ था,  जब न्यू मैक्सिको के दूरदराज के रेगिस्तान में पहला परमाणु आयुध विस्फोटित किया गया था l लेकिन यूनानी दार्शनिक डेमोक्रिटस (सी. 460–370 ई.पू.) किसी भी चीज़ के आविष्कार से बहुत पहले परमाणु के अस्तित्व और शक्ति की खोज कर रहा था जो कायनात/सृष्टि के इन छोटे निर्माण खण्डों को भी देख सकता था l डेमोक्रिटस जितना देख सकता था उससे अधिक समझता था और उसका परिणाम परमाणु सिद्धांत था l

पवित्रशास्त्र हमें बताता है कि विश्वास का सार जो नहीं देखा जा सकता उसे मजबूती से पकड़ना है l इब्रानियों 11:1 पुष्टि करता है, “अब विश्वास आशा की हुई वस्तुओं का निश्चय, और अनदेखी वस्तुओं का प्रमाण है l” यह अभिलाषी या सकारात्मक सोच का परिणाम नहीं है l यह उस परमेश्वर में विश्वास है जिसे हम देख नहीं सकते हैं लेकिन जिसका अस्तित्व कायनात/सृष्टि में सबसे सच्ची वास्तविकता है l उसकी वास्तविकता उसके रचनात्मक कार्यों में प्रदर्शित किया गया है (भजन 19:1) और उसका अदृश्य चरित्र और तरीके उसके पुत्र, यीशु  में दिखाई देता है, जो हमें पिता का प्यार दिखाने के लिए आया था (यूहन्ना 1:18) l

यह वह परमेश्वर है जिसमें हम “जीवित रहते, और चलते-फिरते, और स्थिर रहते हैं,” जैसे प्रेरित पौलुस कहता है (प्रेरितों 17:28) l उसी तरह, “हम रूप को देखकर नहीं, पर विश्वास से चलते हैं (2 कुरिन्थियों 5: 7) l फिर भी हम अकेले नहीं चलते है l अनदेखा परमेश्वर हर कदम पर हमारे साथ चलता है l

हमारे हृद्यों में निवास

कभी-कभी बच्चों के शब्द हमें ईश्वर के सत्य की गहरी समझ में डाल सकते हैं l एक शाम जब मेरी बेटी छोटी थी,  मैंने उसे मसीही विश्वास के महान रहस्यों में से एक के बारे में बताया─कि परमेश्वर अपने पुत्र और आत्मा के द्वारा अपने बच्चों में निवास करता है l जैसे ही मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया,  मैंने कहा कि यीशु उसके साथ और उसके अन्दर है l “वह मेरे पेट में हैं?” उसने पुछा l “ठीक है, तुमने उसे निगला नहीं है,” मैंने उत्तर दिया l “लेकिन वह तुम्हारे साथ पूरी तरह से है l”

मेरी बेटी का यीशु का “उसके पेट में” होने का शाब्दिक अनुवाद मुझे ठहरकर विचार करने को विवश किया कि कैसे जब मैंने यीशु को अपना उद्धारकर्ता बनने के लिए कहा,  तो वह आया और मेरे भीतर निवास करने लगा l

प्रेरित पौलुस ने इस रहस्य का उल्लेख किया जब उसने प्रार्थना की कि पवित्र आत्मा इफिसुस के  विश्वासियों को मजबूत करेगा ताकि “विश्वास के द्वारा मसीह [उनके] हृदय में बसे” (इफिसियों 3:17) l यीशु के भीतर रहने के साथ,  वे समझ सकते थे कि वह उनसे कितना प्यार करता था l इस प्रेम से परिपूर्ण,  वे अपने विश्वास में परिपक्व होंगे और प्रेम में सच बोलते हुए दूसरों को दीनता और नम्रता से प्यार करेंगे (4:2,25) l

यीशु का अपने अनुयायियों के अंदर रहने का मतलब है कि उसका प्यार उन लोगों को कभी नहीं छोड़ता, जिन्होंने उसको अपने जीवन में निमंत्रित किया है l उसका प्रेम जो ज्ञान से परे है (3:19) हमें उसमें जड़वत करते हुए, समझने में मदद करता है कि वह हमसे कितना अधिक प्रेम करता है l

बच्चों के लिए लिखे गए शब्द इसे सबसे उत्तम तरीके से व्यक्त कर सकता है : “हाँ,  यीशु मुझे प्यार करता है!”