Month: सितम्बर 2021

राख़ से उभरना

टनी के न्याय को समझना आसान है। जो हम बोते है वही काटते है। जैसे की पौलूस प्रेरित पहली शताब्दी की गलतियों की कलीसिया को लिखते है।
धोखा न खाओ, परमेश्‍वर उपहास में नहीं उड़ाया जाता, क्योंकि मनुष्य जो कुछ बोता है, वही काटेगा। (गलतियों 6 :7)

इसी विचार को कई वर्ष पहले अय्यूब की पुस्तक में कहा गया था। अय्यूब…

बनने का समय

यह हमारे घर के भीतरी भाग को एक तरोताजा, नया रूप देने का समय था l लेकिन जैसे ही मैंने पेंटिंग के लिए एक कमरा तैयार करना आरम्भ किया, हमारे राज्य सरकार ने घोषणा की, कि कोविड-19 महामारी के कारण घर सुधार की कई वस्तुओं की बिक्री रोक लगा देगी l जैसे ही मैं यह घोषणा सुना, मैं शीघ्रता से दूकान जाकर आवश्यक सामग्री खरीद ले आया l आप उचित आपूर्ति के बगैर अपने घर को नया रूप नहीं दे सकते हैं l 

इफिसियों 4 लिखते समय पौलुस के मस्तिष्क में भी नया रूप देने की कुछ योजना थी l लेकिन बदलाव जिसकी बात वह कर रहा था सतही तबदीली से बहुत दूर थी l यद्यपि यीशु को उद्धारकर्ता ग्रहण करना हमें नई सृष्टि बना देता है, के बावजूद कुछ निरंतर चलने वाले काम हैं जो पवित्र आत्मा को करना अनिवार्य है l और “सत्य की धार्मिकता और पवित्रता” (इफिसियों 4:24) प्राप्त करने में उसे समय लगता है और उसे काम करना पड़ता है l 

पवित्र आत्मा की उपस्थिति अन्दर आवश्यक बदलाव करता है जो हमें हमारे शब्दों और कार्यों में यीशु को प्रतिबिंबित करने में मदद कर सकता है l वह झूठ के स्थान पर “सच” (पद.25) बोलने में हमारी मदद करता है l वह क्रोध से सम्बंधित पाप से बचने में मदद करता है (पद.26) l और वह ऐसे शब्द बोलने में अगुवाई करता है जो “उन्नति के लिए उत्तम हो, ताकि उससे सुननेवालों पर अनुग्रह हो” (पद.29) l आत्मा द्वारा नियंत्रित ये क्रियाएं आंतरिक बदलाव के हिस्से हैं जो कृपा, करुणा, और क्षमा जैसी चीजों में प्रगट होती हैं (पद.32) l आत्मा हमारे अन्दर काम करके हमें स्वयं यीशु का अनुकरण करने और हमारे स्वर्गिक पिता के हृदय को प्रतिबिंबित करने में योग्य बनाता है (पद.24; 5:1) l