जब मैंने अपनी बागवानी शुरू किया, मैं जल्दी उठता और अपने सब्जी के बगीचे में यह देखने के लिए पहुंचता था कि कहीं कुछ अंकुरित तो नहीं हुआ l कुछ नहीं l “त्वरित उद्यान विकास” के लिए इंटरनेट पर खोजने के बाद, मुझे पता चला कि एक पौधे के जीवन काल का सबसे महत्वपूर्ण चरण उसका अंकुरण होता है l जानकर कि यह प्रक्रिया तेज नहीं किया जा सकता, मैं छोटे अंकुरों की शक्ति को सराहने लगा जो मिट्टी के भीतर से सूर्य के किरण की ओर और स्वभाविक मौसम के उनके लचीलेपन की ओर निकलने के लिए संघर्ष कर रहे थे l कुछ सप्ताहों तक धीरज धरने के बाद ज़मीन से बाहर फूटकर निकलते हरे अंकुरों ने मेरा स्वागत किया।
कभी-कभी हमारे जीवन में जीत और विजय को देख स्तुति करना सरल होता है, इसी तरह यह स्वीकार किए बिना कि हमारे चरित्र में वृद्धि अक्सर समय और संघर्ष के द्वारा होती है l याकूब हमें समझाता है कि जब हम “नाना प्रकार की परीक्षाओं में” पड़ें “तो इसको पूरे आनंद की बात” समझें (याकूब 1:2) l परंतु परीक्षाओं के विषय आनंद की बात क्या हो सकती है?
परमेश्वर कभी-कभी हमें चुनौतियों और संघर्ष से होकर जाने देता है जिससे कि हम वैसे बन सके, जिसके लिए उसने हमें बुलाया है। वह इस प्रत्याशा में प्रतीक्षा करता है कि हम जीवन की परीक्षाओं से “पूरे और सिद्ध” हो जाएं और हममें “किसी बात की घटी न रहे” (पद.4) l यीशु में जड़वत रहकर, हम किसी भी चुनौती में दृढ़ रहते हुए, और मजबूत होते हुए और आखिरकार अपने जीवनों में आत्मा के फल को खिलने की अनुमति देते हैं (गलतियों 5: 22–23)। उसकी बुद्धि हमें प्रत्येक दिन आवश्यक्तानुसार पोषण प्रदान करती है (यूहन्ना 15:5)।
इन दिनों आप किन परीक्षाओं से होकर गुजर रहे हैं? इन परिस्थितियों से आपको क्या सीख मिल रही है?
प्रिय स्वर्गीय पिता, कभी-कभी मुझे जिन परीक्षाओं का सामना करना पड़ता है, वे असहनीय लगती हैं l कृपया मुझे दृढ़ रहने की सामर्थ्य दें, और मेरी सहायता करें जब मैं विश्वास में बढ़ता हूँ और फलदायी विश्वासी के रूप में विकसित होता हूँ जो आप मुझे बनने के लिए बुलाए हैं l