“रेस्ट/विश्राम(Rest)” नामक कविता में, कवि धीरे-धीरे “फुरसत” के समय को “काम” से अलग करने की हमारी प्रवृत्ति को चुनौति देता हुआ पूछता है, “क्या सच्ची फुरसत / सच्चा परिश्रम एक नहीं है?” यदि आप जीवन के कर्तव्यों से दूर रहकर उसके स्थान पर सच्ची फुरसत का अनुभव करना चाहते हैं, तो लेखक आग्रह करता है, “फिर भी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करें; उसका उपयोग करें, उसे व्यर्थ न गवाएँ ——/ अन्यथा वह आराम नहीं है l /क्या सुन्दरता निहारना चाहेंगे/ अपने निकट? चारों-ओर? / केवल कर्तव्य है / ऐसी ही स्थिति है l”
कवि इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि सच्चा विश्राम और आनंद दोनों ही प्रेम और सेवा से मिलते हैं—एक विचार जो थिस्सलुनीकियों के लिए पौलुस का प्रोत्साहन याद दिलाता है l अपनी बुलाहट के वर्णन के द्वारा विश्वासियों को प्रोत्साहित करते हुए कि “उनका चाल-चलन परमेश्वर के योग्य हो” (1 थिस्सलुनीकियों 2:12) प्रेरित और अधिक निश्चित विवरण देता है l
और ऐसे जीवन का चित्र जो वह बनाता है वह शांत सत्यनिष्ठा, प्रेम और सेवा का है l पौलुस प्रार्थना करता है कि परमेश्वर “ऐसा करें कि . . . आपका प्रेम एक दूसरे के प्रति और सब के प्रति बढ़ता और उमड़ता रहे’” (3:12) और वह यीशु में विश्वासियों से आग्रह करता है कि “चुपचाप रहने और अपना-अपना काम काज करने और अपने अपने हाथों से कमाने का प्रयत्न [करें]” (4:11) l यह उस तरह का जीवन है, जिस तरह से परमेश्वर ने हमें सक्षम बनाया है, चुपचाप प्रेम और सेवा करना, जो दूसरों के समक्ष विश्वास के जीवन की सुन्दरता को प्रकट करता हैI (पद.12)
अथवा, जैसे वह लेखक लिखता है, सच्चा आनंद “प्रेम करने और सेवा करने/ सबसे ऊंचा और सर्वोत्तम;/ आगे बढ़ने वाला! अडिग—/और यही सच्चा विश्राम है l”
किस तरह परमेश्वर की उपस्थिति आपको सच्चा आनंद का अनुभव करने में सहायता करती है? किस तरह परमेश्वर के राज्य में विश्राम और सेवा संयुक्त हैं?
प्रेमी परमेश्वर, आपका धन्यवाद कि मुझे आपकी सुन्दरता का अनुभव करने के लिए दैनिक जीवन के कर्तव्यों और नियमित कार्यक्रम से दूर रहने की आवश्यकता नहीं है l आपके साथ शांत जीवन के आनंद को जानने में मेरी मदद करें l