मैं बड़ी हड़बड़ी…
अपने काम
धन
पिताजी, आप तो बहुत मज़बूत और बहादुर हैं!
पिताजी, आप तो बहुत मज़बूत और बहादुर हैं!
"क्योंकि मैं जानता हूं, कि वह अपने पुत्रों और परिवार को जो उसके पीछे रह जाएंगे आज्ञा देगा कि वे यहोवा के मार्ग में अटल बने रहें, और धर्म और न्याय करते रहें, इसलिये कि जो कुछ यहोवा ने इब्राहीम के विषय में कहा है उसे पूरा करे।" (उत्पत्ति 18:19).
अब्राहम को बहुत सी…
देशों को एकजुट करना
संसार की सबसे लम्बी अंतर्राष्ट्रीय सीमा संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा द्वारा साझा की जाती है, जिसमें अविश्वसनीय रूप से 5,525 मील भूमि और पानी शामिल है। सरहद को अचूक बनाने के लिए कार्यकर्ता नियमित रूप से सीमा के दोनों ओर दस फीट में पेड़ों को काट देते हैं। साफ की गई भूमि की इस लम्बी पट्टी को, जिसे “स्लैश” कहा जाता है, आठ हजार से अधिक पत्थरों की निशानियों द्वारा बिंदीदार बनाया गया है, जिससे कि आगंतुकों को हमेशा यह मालूम हो कि विभाजन रेखा कहाँ पड़ती है।
“स्लैश” के भौतिक वनों की कटाई सरकार और संस्कृतियों के अलगाव का प्रतिनिधित्व करती है। यीशु पर विश्वास करने वाले लोगों के रूप में, हम उस समय की प्रतीक्षा कर रहे हैं जब परमेश्वर इसे उलट देगा और समूचे संसार के सब देशों को अपने शासन के अधीन एकजुट कर लेगा। यशायाह भविष्यद्वक्ता ने एक ऐसे भविष्य के बारे में बात की थी जहाँ परमेश्वर का मंदिर दृढ़ता से स्थापित और ऊँचा किया जाएगा (यशायाह 2:2)। सब देशों के लोग परमेश्वर की विधियों को सीखने और “उसके मार्गों पर चलने” के लिए इकट्ठे होंगे (पद 3)। फिर हम उन मानवीय प्रयासों पर निर्भर नहीं रहेंगे जो शांति बनाए रखने में विफल रहे हैं। हमारे सच्चे राजा के रूप में, परमेश्वर जाति-जाति के बीच न्याय करेगा और सारे विवादों को सुलझाएगा (पद 4)।
क्या आप एक ऐसे संसार की कल्पना कर सकते हैं जिसमें विभाजन और संघर्ष नहीं पाया जाता? परमेश्वर ने ऐसे ही संसार को लाने की प्रतिज्ञा की है! हमारे चारों ओर फैली फूट के बावजूद, हम “प्रभु के प्रकाश में चल” सकते हैं (पद 5) और अब उसे अपनी वफादारी देने का चुनाव कर सकते हैं। हम यह जानते हैं कि परमेश्वर सब वस्तुओं पर शासन करता है, और किसी दिन वह अपने लोगों को एक झण्डे के नीचे एकजुट करेगा।
परमेश्वर के हाथों में
अट्ठारह वर्ष की आयु की होने पर मेरी बेटी के जीवन में एक नये युग का आरम्भ हुआ: अर्थात् वह कानूनी रूप से वयस्क हो गई थी, और अब उसके पास भविष्य में होने वाले चुनावों में अपना वोट डालने का अधिकार भी था और शीघ्र ही वह हाई स्कूल से ग्रेजूएट होने के बाद अपने जीवन को प्रारम्भ करेगी। इस परिवर्तन ने मेरे भीतर अत्यावश्यकता की भावना को जन्म दिया — अर्थात् अपनी छत तले अब मेरे पास उसके साथबिताने के लिए बहुत कम ऐसासमय होगा जिसमें मैं उसे वह ज्ञान दे पाऊँ जिसकी उसे अपने दम पर इस संसार का सामना करने के लिए आवश्यकता पड़ेगी, जैसे कि पैसों का रखरखाव कैसे करें, सांसारिक मुद्दों के प्रति सतर्क कैसे रहें, और ठोस निर्णय कैसे लें।
अपनी बेटी को उसका जीवन सम्भालने के लिए तैयार करने की मेरी यह कर्तव्यशील भावना समझने योग्य थी। आखिरकार, मैं उससे प्रेम करता था और चाहता था कि वह फले-फूले। परन्तु मुझे इस बात का भी अहसास हुआ कि जबकि इसमें मेरी भूमिका महत्वपूर्ण तो थी, परन्तु यह अकेले, या ऐसे कहें कि प्राथमिक रूप से, मेरा काम नहीं था। थिस्सलुनीकियों के लिए पौलुस के शब्दों में, वह ऐसे लोगों का एक समूह था जिनको उसने विश्वास में अपनी संतान माना क्योंकि उसने उन्हें यीशु के बारे में सिखाया था और इसलिए उसने उनसे एक दूसरे की सहायता करने का आग्रह किया (1 थिस्सलुनीकियों 5:14-15), परन्तु अंत में उसने उनकी उन्नति के लिए परमेश्वर पर भरोसा किया। उसने इस बात को स्वीकार किया कि परमेश्वर ही“[उन्हें] पूरी रीति से पवित्र करेगा” (पद 23)।
पौलुस ने परमेश्वर पर उस काम को करने का भरोसा किया जिसे वह नहीं कर पाया: अर्थात् “आत्मा, प्राण और देह” में यीशु के अन्तिम आगमन के लिए उन्हें तैयार करना (पद 23)। यद्यपि थिस्सलुनीकियों को लिखी गई पौलुस की पत्रियों में बहुत से निर्देश थे, परन्तु उनकी भलाई और तैयारी के लिए परमेश्वर पर पौलुस का भरोसा हमें यह सिखाता है कि जिनकी हम परवाह करते हैं,अंत में उनके जीवन की उन्नति परमेश्वर के हाथों में हीहोती है (1 कुरिन्थियों 3:6)।