जब केरी का छोटा बेटा मस्क्युलर डिस्ट्रॉफी(muscular dystrophy-एक बीमारी) से सम्बंधित एक और सर्जरी से गुजर रहा था, तो वह किसी और के लिए कुछ करके अपने परिवार की स्थिति से अपना ध्यान हटाना चाहती थी l इसलिए उसने अपने बेटे के छोटे हो चुके लेकिन कम उपयोग किए गए जूतों को इकठ्ठा किया और उन्हें एक सेवकाई को दान कर दिया l उसके योगदान ने मित्रों, परिवार के सदस्यों और यहाँ तक कि पड़ोसियों को भी इसमें शामिल होने के लिए प्रेरित किया और जल्द ही दो सौ से अधिक जोड़ी जूते दान कर दिए गए l 

हालाँकि जूती मुहीम(shoe drive) चलाने का उद्देश्य दूसरों को आशीष देना था, केरी को लगता है कि उसके परिवार को अधिक आशीष मिली l “पूरे अनुभव ने वास्तव में हमारा उत्साह बढ़ाया और हमें बाहर की ओर ध्यान केन्द्रित करने में मदद की l” 

पौलुस समझ गया था कि यीशु के अनुयायियों के लिए उदारतापूर्वक देना कितना विशेष है l यरूशलेम जाते समय प्रेरित पौलुस इफिसुस में रुका l वह जानता था कि यह संभवतः उस चर्च के लोगों के साथ उसकी आखिरी मुलाकात होगी जिसकी स्थापना उसने वहाँ की थी l चर्च के वृद्धों को अपने विदाई भाषण में, उसने उन्हें याद दिलाया कि कैसे उसने परमेश्वर की सेवा में लगन से काम किया था (प्रेरितों 20:17-20) और उन्हें भी ऐसा करने के लिए उत्साहित किया l फिर उसने यीशु के शब्दों के साथ अंत किया : “लेने से देना धन्य है” (पद.35) l 

यीशु चाहता है कि हम स्वतंत्र रूप से और विनम्रतापूर्वक अपने आप को दे दें (लूका 6:38) l जब हम उस पर हमारा मार्गदर्शन करने के लिए भरोसा करते हैं, तो वह हमें ऐसा करने के लिए अवसर प्रदान करेगा l केरी के परिवार की तरह, हम भी इसके फलस्वरूप प्राप्त होने वाले आनंद से आश्चर्यचकित हो सकते हैं l