तमिल राजनेता करुणानिधि चाहते थे कि उन्हें चेन्नई में मरीना समुद्र तट/Marina beach के पास उनके गुरु सीएन अन्नादुरैके बगल में दफनाया जाए, लेकिन वह नहीं चाहते थे कि उनका तर्कवादी(rationalist) विश्वास प्रणाली के अनुसार कोई धार्मिक संस्कार किया जाए l 

हालाँकि एक विशाल स्मारक उनके विश्राम स्थल को चिह्हित करता है, लेकिन उनकी विश्वास प्रणाली ने उन्हें मानव अस्तित्व की सच्चाइयों से सीमित नहीं किया, जो कि जीवन और मृत्यु सच्चाई है l गंभीर सच्चाई यह है कि जीवन हमारे बिन, हमारे जाने के प्रति उदासीन होकर चलता रहता है l 

यहूदा के इतिहास में एक कठिन समय के दौरान, शेबना, “राजघराने के पद पर नियुक्त भंडारी” ने मृत्यु के बाद अपनी विरासत सुनिश्चित करने के लिए अपने लिए एक कब्र बनवाई l परन्तु परमेश्वर ने, अपने नबी यशायाह के द्वारा, उससे कहा, “यहाँ तेरा कौन है कि तू ने अपनी कबर यहाँ खुदवायी है? तू अपनी कबर ऊंचे स्थान में खुदवाता और अपने रहने का स्थान चट्टान में खुदवाता है?(यशायाह 22:16) l नबी ने उससे कहा, “[परमेश्वर] तुझे मरोड़कर गेंद के समान लम्बे चौड़े देश में फेंक देगा . . . वहाँ तू मरेगा”(पद.18) l 

शेबना बात से चूक गया था l मायने यह नहीं रखता कि हमें कहाँ दफनाया जाएगा; महत्वपूर्ण यह है कि हम किसकी सेवा करते हैं l जो लोग यीशु की सेवा करते हैं उन्हें यह असीम सांत्वना मिलती है : “जो मृतक प्रभु में मरते हैं, वे अब से धन्य हैं” (प्रकाशितवाक्य 14:13) l हम ऐसे परमेश्वर की सेवा करते हैं जो हमारे “प्रस्थान/मृत्यु” के प्रति कभी उदासीन नहीं रहता है l वह हमारे आगमन की आशा करता है और घर में हमारा स्वागत करता है!