हालाँकि तंत्रिका विज्ञान(neuroscience) ने यह समझने में काफी प्रगति की है कि मस्तिष्क कैसे काम करता है, वैज्ञानिक मानते हैं कि वे अभी भी इसे समझने के आरंभिक चरण में हैं l वे मस्तिष्क की संरचना, उसके कार्य के कुछ पहलुओं और उन क्षेत्रों को समझते हैं जो पर्यावरण पर प्रतिक्रिया करते हैं, हमारी इन्द्रियों को सक्रीय करते हैं, गति उत्पन्न करते हैं और भावनाओं को थामते हैं l लेकिन वे अभी भी यह पता नहीं लगा पाए हैं कि ये सभी परस्पर क्रिया(interactions) व्यवहार, धारणा और स्मृति में कैसे योगदान करते हैं l परमेश्वर की अविश्वसनीय रूप से जटिल, बनायीं गयी उत्कृष्ट कृति(masterpiece)—मानवता(humanity)—अभी भी रहस्यमय है l
दाऊद ने मानव शरीर के आश्चर्य को स्वीकार किया l आलंकारिक भाषा(figurative language) का उपयोग करते हुए, उसने परमेश्वर की सामर्थ्य का उत्सव मनाया, जो माता के गर्भ में “रचे [हुए]” होने की सम्पूर्ण प्राकृतिक प्रक्रिया पर उसके संप्रभु नियंत्रण(sovereign control) का प्रमाण था l उसने लिखा, “मैं भयानक और अद्भुत रीति से रचा गया हूँ l तेरे काम तो आश्चर्य के हैं” (पद.14) l प्राचीन लोग माँ के गर्भ में बच्चे के विकास को एक महान रहस्य के रूप में देखते थे (सभोपदेशक 11:5 देखें) l मानव शरीर की अद्भुत जटिलताओं के सीमित ज्ञान के बावजूद, दाऊद अभी भी परमेश्वर के अद्भुत कार्य और उपस्थिति के प्रति विस्मय और आश्चर्य में कहा था (भजन 139:17-18) l
मानव शरीर की आश्चर्यजनक और अद्भुत जटिलता(complexity) हमारे महान परमेश्वर की सामर्थ्य और संप्रभुता(sovereignty) को दर्शाती है l हमारी एकमात्र प्रतिक्रिया प्रशंसा, विस्मय और आश्चर्य हो सकती है!
आपके शरीर की जटिल बनावट आपको परमेश्वर की स्तुति करने के लिए कैसे प्रेरित करती है? आज आप किस रचनात्मक तरीके से उसे धन्यवाद दे सकते हैं?
प्रिय परमेश्वर, मुझे इतना भयानक और आश्चर्यजनक रूप से जटिल बनाने के लिए मैं आपकी प्रशंसा करता हूँ l आप कितना अद्भुत रचनाकार हैं!