जब हौली कुक नौकरी के लिए लन्दन गयीं तो उनका एक भी मित्र नहीं था l उसे सप्ताहांत(weekend) दुखदायी लगता था l वैश्विक सर्वेक्षण के अनुसार, निराश महसूस करने के मामले में यह शहर अपने आप में सबसे ऊपर है—जबकि पड़ोसी लिस्बन, पुर्तगाल, में केवल 10 फ़ीसदी निवासियों की तुलना में 55 फ़ीसदी लन्दनवासियों का कहना है कि वे अकेले हैं l 

सम्बन्ध/लगाव/वास्ता के लिए, हौली ने अपने डर को खारिज कर दिया और द लन्दन लोनली गर्ल्स क्लब(The London Lonely Girls Club) नामक एक सोशल मीडिया समूह बनाया और इसमें लगभाग पैतीस हजार लोग शामिल हुए l हर कुछ सप्ताहों में छोटे समूह की बैठकें पार्क पिकनिक, कला पाठ, आभूषण कार्यशालाएं, रात्रिभोज और यहाँ तक कि पिल्लों(puppies) के साथ आउटडोर व्यायाम सत्र की पेशकश करती हैं l 

अकेलेपन की चुनौती नयी नहीं है, न ही अलगाव की हमारी भावनाओं को चंगा करनेवाला l दाऊद ने लिखा, हमारा अनंत परमेश्वर, “परमेश्वर अनाथों का घर बसाता है; और बंदियों को छुड़ाकर संपन्न करता है” (भजन 68:6) l परमेश्वर से मसीह-समान मित्रों के लिए रास्ता बताना हमारे लिए एक पवित्र विशेषाधिकार है और, इस प्रकार, एक अनुरोध जिसे हम स्वतंत्र रूप से उसके पास ले जा सकते हैं l दाऊद ने आगे कहा, “परमेश्वर अपने पवित्र धाम में, अनाथों का पिता और विधवाओं का न्यायी है” (पद.5) l “धन्य है प्रभु, जो प्रतिदिन हमारा बोझ उठता है” (पद.9) l 

यीशु क्या ही प्यारा मित्र है! वह हमें हमेशा के मित्र देता है, जिसका आरम्भ हर पल उसकी गौरवशाली उपस्थिति से होती है l जैसा कि हौली कहती है, “मित्र का समय आत्मा के लिए अच्छा होता है l”