राष्ट्रपति अब्राहन लिंकन ने गुलामी में रखे गए लोगों को ढाई वर्ष पहले मुक्त कराया था और विपक्ष ने आत्मसमर्पण कर दिया था, फिर भी टेक्सास राज्य ने अभी भी गुलाम लोगों की स्वतंत्रता को स्वीकार नहीं किया था l हालाँकि, 19 जून, 1865 को, गार्डन ग्रेज़र नामक सेना के एक सेनापति ने टेक्सास के एक शहर में प्रवेश किया और मांग की कि सभी गुलाम व्यक्तियों को रिहा कर दिया जाए l उस आश्चर्य और ख़ुशी की कल्पना कीजिए जब बेड़ियाँ टूट गयीं और बंधन में पड़े लोगों ने आजादी की घोषणा सुनी l
परमेश्वर उत्पीड़ितों को देखता है, और अंततः वह अन्याय के बोझ तले दबे लोगों के लिए आज़ादी की घोषणा करेगा l यह अब भी उतना ही सच है जितना मूसा के दिनों में सच था l परमेश्वर ने एक जलती हुयी झाड़ी से उसे एक जरुरी सन्देश के साथ दर्शन दिए : “मैंने अपने प्रजा के लोग जो मिस्र में हैं, उनके दुःख को निश्चय देखा है” (निर्गमन 3:7) l उसने न केवल इस्राएल के विरुद्ध मिस्र की क्रूरता देखी—बल्कि उसने इसके बारे में कुछ करने की योजना भी बनायी l परमेश्वर ने घोषणा की, “अब मैं उतर आया हूँ कि उन्हें . . . एक अच्छे और बड़े देश में . . . पहुंचाऊं” (पद.8) l उसका मकसद इस्राएल को आजादी की घोषणा करने का था, और मूसा उसका मुखपत्र/प्रवक्ता होगा l “मैं तुझे फिरौन के पास भेजता हूँ कि तू मेरी इस्राएली प्रजा को मिस्र से निकाल ले आए” (पद.10) l
हालाँकि परमेश्वर का समय उतनी जल्दी नहीं आएगा जितनी हम आशा करते हैं, एक दिन वह हमें सभी बन्धनों और अन्याय से मुक्त करेगा l वह उन सभी को आशा और मुक्ति देता है जो उत्पीड़ित हैं l
आपने परमेश्वर को उत्पीड़ितों की सहायता के लिए कार्य करते हुए कैसे देखा है? वह आपको अपने कार्य में भाग लेने के लिए कैसे आमंत्रित करता है?
प्रिय परमेश्वर, हमारे संसार की कहानी में बहुत उत्पीड़न है l निराश होना आसान है l कृपया आजादी की घोषणा करने के आपके इरादे के प्रति सचेत रहने में मेरी मदद करें l