जब द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटेन के हाउस ऑफ़ कॉमन्स/लोकसभा(House of Commons) पर बमबारी की गयी, तो प्रधान मंत्री विंस्टन चर्चिल ने संसद से कहा कि उन्हें इसके मूल डिज़ाइन के अनुसार इसका पुनर्निर्माण करना चाहिए l यह छोटा होना चाहिए, इसलिए बहसें आमने-सामने रहेंगी l यह अर्धवृत्ताकार के बजाय आयताकार(oblong) होना चाहिए, जिससे राजनेताओं को “केंद्र के चारों ओर घूमने” की अनुमति मिल सके l इसने ब्रिटेन की पार्टी प्रणाली को संरक्षित रखा, जहाँ वामपंथी(Left) और दक्षिणपंथी(Right) पूरे कमरे में एक-दूसरे का सामना करते थे, जिससे पक्ष बदलने से पहले सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता होती थी l चर्चिल ने निष्कर्ष निकाला, “हम अपने इमारतों को आकार देते हैं और उसके बाद हमारी इमारतें हमें आकार देती हैं l”

परमेश्वर सहमत प्रतीत होते हैं l निर्गमन के आठ अध्याय (अध्याय 24-31) तम्बू के निर्माण सम्बंधित निर्देश देते हैं, और छह और (अध्याय 35-40) वर्णन करते हैं कि इस्राएल ने यह कैसे किया l परमेश्वर उनकी आराधना की परवाह करता था l जब लोग आँगन में दाखिल हुए, तो चमचमाते सोने और तम्बू के रंगीन पर्दों ने उन्हें चकाचौंध कर दिया (26:1, 31-37) l होमबली की वेदी (27:1-8) और जल पात्र (30:17-21) ने उन्हें उनकी क्षमा की कीमत की याद दिलाई l तम्बू में एक दीवट (25:31-40), रोटी की मेज़ (25:23-30), धूप की वेदी (30:1-6), और वाचा का संदूक (25:10-22) था l प्रत्येक वस्तु का बहुत महत्व था l 

परमेश्वर हमें हमारे उपासना स्थल के लिए विस्तृत निर्देश नहीं देते हैं जैसा उसने इस्राएल के साथ किया था, फिर भी हमारी उपासना कम महत्वपूर्ण नहीं है l हमारा असली अस्तित्व उसके रहने के लिए अलग रखा गया एक तम्बू/उपासना स्थल होना है l हम जो कुछ भी करें वह हमें याद दिलाए कि वह कौन है और क्या करता है l