प्रत्येक वर्ष विभिन्न धर्मों के दो सौ मिलियन(200,000,000) से अधिक लोग तीर्थयात्रा करते हैं l सदियों से कई लोगों के लिए, एक तीर्थयात्री का कार्य किसी प्रकार का आशीष प्राप्त करने के लिए किसी पवित्र स्थान की यात्रा करना रहा है l यह सब मंदिर, बड़ा चर्च, तीर्थस्थान या अन्य गंतव्य तक पहुँचने के बारे में है जहां आशीष प्राप्त किया जा सकता है l 

हालाँकि, ब्रिटन के सेल्टिक मसीहियों(Britain’s Celtic Christians) ने तीर्थयात्रा को अलग तरह से देखा l वे दिशाहीन होकर जंगल की ओर निकल पड़े या अपनी नावों को जहाँ कहीं भी महासागर ले गया, वहीँ बहने दिया—उनके लिए तीर्थयात्रा अपरिचित क्षेत्र में ईश्वर पर भरोसा करने के बारे में है l कोई भी आशीष मंजिल पर नहीं बल्कि सफ़र के दौरान मिली l 

इब्रानियों 11 सेल्ट्स लोगों(Celts) के लिए महत्वपूर्ण परिच्छेद था l चूँकि मसीह में जीवन संसार के तरीकों को पीछे छोड़ने और परदेशियों की तरह ईश्वर के देश की ओर बढ़ने के बारे में है(पद.13-16), तीर्थयात्रा ने उनके जीवन की यात्रा को प्रतिबंधित किया l अपने कठिन, निर्जन मार्ग को प्रदान करने के लिए ईश्वर पर भरोसा करके, तीर्थयात्रियों ने उस प्रकार का विशवास विकसित किया जो पुराने वीर/योद्धा/नायक द्वारा जीया जाता था (पद.1-12) l 

सीखने के लिए क्या सबक है, चाहे हम शारीरिक रूप से लम्बी पैदल यात्रा करें या नहीं : उन लोगों के लिए जिन्होंने यीशु पर भरोसा किया है, जीवन परमेश्वर के स्वर्गीय देश की तीर्थयात्रा है, जो अँधेरे जंगलों, बन्द मार्गों और आजमाइशों से भरा है l जैसे-जैसे हम यात्रा करते हैं, हम मार्ग में परमेश्वर के प्रावधानों का अनुभव करने की आशीष से न चूकें l