जब मेरी माँ वृद्धों के अस्पताल(hospice) में और पृथ्वी पर अपने जीवन के आखिरी दिनों में थीं, तो एक नर्सिंग होम देखभाल कर्मी की वास्तविक दयालुता ने मुझे छू लिया l मेरी कमजोर माँ को धीरे से कुर्सी से उठाकर बिस्तर पर लिटाने के बाद, नर्सिंग सहायक ने माँ के सर को सहलाते हुए उन पर झुकते हुए बोली, “आप बहुत प्यारी हैं l” फिर उसने पुछा कि मैं कैसी हूँ l उसकी दयालुता ने मुझे तब भी रुलाया था और आज भी रुलाता है l 

उसकी दयालुता का एक साधारण कार्य था, लेकिन यह वही था जिसकी मुझे उस पल आवश्यकता थी l इससे मुझे इससे सामना करने में मदद मिली, यह जानकार कि इस महिला की नज़र में मेरी माँ सिर्फ एक मरीज़ नहीं थी l वह उसकी देखभाल करती थी और उसे एक बहुत ही मूल्यवान व्यक्ति के रूप में देखती थी l 

जब नाओमी और रूत अपने पतियों को खोने के बाद बेघर हो गयीं, तो बोअज़ ने रूत को कटाई करने वालों के पीछे बचा हुआ अनाज बीनने की अनुमति देकर उस पर दया दिखायी l यहाँ तक कि उसने कटाई करने वालों को उसे अकेला छोड़ देने की भी आज्ञा दी(रूत 2:8-9) l उसकी दयालुता नाओमी के लिए रूत की देखभाल से प्रेरित थी : “जो कुछ तू ने . . . अपनी सास से किया है . . . सब मुझे विस्तार के साथ बताया गया है”(पद.11) l उसने उसे एक विदेशी या विधवा के रूप में नहीं बल्कि एक आवश्यकतामंद महिला के रूप में देखा l 

परमेश्वर चाहता है कि हम “करुणा, दया, नम्रता, और सहनशीलता धारण करें”(कुलुस्सियों 3:12) l जब परमेश्वर हमारी मदद करता है, दयालुता के हमारे साधारण कार्य दिलों को खुश कर सकते हैं, आशा  ला सकते हैं और दूसरों में दयालुता को प्रेरित कर सकते हैं l