Month: सितम्बर 2024

बुद्धिमान आनंद ढूँढना

महामारी जीत रही है — कोविड के मरीजों को बचाने के लिए प्रतिबद्ध एक बड़े अस्पताल के आपातकालीन कक्ष के डॉक्टर को ऐसा ही लग रहा था। वह अपना सर्वश्रेष्ठ कैसे दे?  छुट्टी के घंटों के दौरान, वह किसी छोटी चीज़ की बड़ी तस्वीरें लेकर आराम करते थे  -व्यक्तिगत बर्फ के टुकड़े।   डॉक्टर कहते है, ''यह सुनने में पागलपन जैसा लगता है।'' लेकिन कुछ छोटी लेकिन खूबसूरत चीजों में खुशी ढूंढना "मेरे सृष्टिकर्ता के साथ जुड़ने और दुनिया को इस तरह से देखने का एक अवसर है कि बहुत कम लोग इस पर ध्यान देने के लिए समय निकालते हैं।" 

डॉक्टर ने कहा, बुद्धिमानी से ऐसे आनंद की तलाश करना - तनाव कम करने और प्रतिरोधक्षमता बनाने के लिए - चिकित्सा पेशे में एक उत्तम बात है। लेकिन बाकी सब के लिए, उनकी यह सलाह है: “आपको सांस लेनी होगी। आपको सांस लेने और जीवन का आनंद लेने का एक तरीका ढूंढना होगा।

भजनकार   दाऊद ने यह विचार भजन 16 में व्यक्त किया जब उसने परमेश्वर में आनंद पाने की एक बुद्धिमान बात कही। उसने लिखा, “यहोवा मेरा भाग और मेरे कटोरे का हिस्सा है।” “इस कारण मेरा हृदय आनन्दित और मेरी आत्मा मगन हुई; मेरा शरीर भी चैन से रहेगा।” (पद 5, 9)।

दबाव को कम करने की कोशिश में लोग कई मूर्खतापूर्ण काम करते हैं। लेकिन इस डॉक्टर को बुद्धिमानी भरा रास्ता मिल गया - जिसने उसे सृष्टिकर्ता की ओर इशारा किया, जो हमें अपनी उपस्थिति का आनंद प्रदान करता है। । “तू मुझे जीवन का रास्ता दिखाएगा; तेरे निकट आनन्द की भरपूरी है, तेरे दाहिने हाथ में सुख सर्वदा बना रहता है” (पद 11)। उसमें, हम सदैव आनंद पाते हैं।

परमेश्वर का धैर्यवान प्रेम

जब मैं अपनी सुंदर, रोएँदार बिल्ली का पेट सहलाती हूँ और उसके साथ खेलती, या जब वह शाम को मेरी गोद में आकर सो जाती है, तो कभी-कभी यह विश्वास करना कठिन लगता है कि यह वही बिल्ली है जिससे हम वर्षों पहले मिले थे। मेरी पालतू बिल्ली सड़कों पर रहती थी, बहुत पतली-दुबली और वह हर किसी से डर जाती थी। लेकिन यह धीरे-धीरे बदल गया जब मैंने हर दिन उसे खाना देना शुरू किया। एक दिन आख़िरकार उसने मुझे उसे सहलाने दिया, और बाकी तो सब इतिहास है।

मेरी बिल्ली का बदल जाना उस उपचार को दर्शाता है जो धैर्य और प्रेम से आ सकता है। यह मुझे यशायाह 42 में वर्णित परमेश्वर के हृदय की याद दिलाता है। वहां, हमें उनकी आत्मा से भरे एक आने वाले सेवक के बारे में बताया गया है (पद 1), जो अथक और "विश्वासयोग्यता से" परमेश्वर के "पृथ्वी पर न्याय" को स्थापित करने के लिए काम करेगा (पद 3-4) ।

पर वह सेवक—यीशु (मत्ती 12:18-20)—हिंसा से या शक्ति के पीछे भाग कर परमेश्वर के न्याय को नहीं लाएगा। पर, वह शांत और कोमल होगा (यशायाह 42:2), दूसरों द्वारा त्यागे गए लोगों की कोमलता और धैर्यपूर्वक देखभाल करेगा - ऐसे जो "चोट खाए हुए" और घायल हो (पद 3)।

परमेश्वर अपने बच्चों को कभी नहीं छोड़ते। उसके पास हमारे घायल दिलों की देखभाल करने के लिए दुनिया का सारा समय है, जब तक कि वे अंततः ठीक न होने लगें। उनके कोमल, धैर्यवान प्रेम के द्वारा हम धीरे-धीरे एक बार फिर प्रेम और भरोसा करना सीखते हैं।

परमेश्वर के परिवार में जोड़े गए

कुछ साल पहले मैं अपने  पिता के साथ उनके प्रिय शहर गई थी और उस पारिवारिक खेत का दौरा किया जहाँ वह पले-बढ़े थे। मैंने अजीब पेड़ों का एक समूह देखा। मेरे पिताजी ने समझाया कि जब बचपन में उन्हें शरारत करने की सूझती, तो वह एक फल के पेड़ से एक टूटी हुई शाखा लेते, एक अलग प्रकार के फल के पेड़ में चीरा लगाते, और टूटी हुई शाखा को तने से बाँध देते थे, जैसा की उन्होंने बड़ो को करते देखा था। उनकी शरारतों पर तब तक ध्यान नहीं गया जब तक कि उन पेड़ों पर उम्मीद से अलग फल लगने नहीं लगे। 

जैसे ही मेरे पिताजी ने ग्राफ्टिंग की प्रक्रिया का वर्णन किया(जिसमे दो अलग-अलग पौधों के तनों को एक साथ जोड़ा जाता है, और वें एक ही पौधे के रूप में विक्सित होने लगते है), मुझे एक तस्वीर दिखी यह दर्शाते हुए कि परमेश्वर के परिवार में जोड़े जाने का हमारे लिए क्या मतलब है। मैं जानती हूँ कि मेरे दिवंगत पिता अब स्वर्ग में हैं क्योंकि यीशु में विश्वास के द्वारा उन्हें परमेश्वर के परिवार में जोड़ा गया था।

अंततः हमें भी स्वर्ग में होने का आश्वासन मिला है। प्रेरित पौलुस ने रोम में विश्वासियों को समझाया कि परमेश्वर ने अन्यजातियों, या गैर-यहूदियों के लिए एक मार्ग बनाया है जिससे परमेश्वर और उनका मेल-मिलाप हो सके: " उनकी जगह पर कलम लगाये गये और जैतून के रस के भागीदार बने  हुए।” (रोमियों 11:17)। जब हम मसीह में अपना विश्वास रखते हैं, तो हम उसके साथ जुड़ जाते हैं और परमेश्वर के परिवार का हिस्सा बन जाते हैं। "यदि तुम मुझ में बने रहो और मैं तुम में, तो तुम बहुत फल फलोगे" (यूहन्ना 15:5)।

जोड़े गए पेड़ों के समान, जब हम मसीह पर भरोसा करते हैं, तो हम एक नई रचना बन जाते हैं और बहुत फल पैदा कर सकते हैं।

मसीह पर बनाए हुए

आगरा में ताज महल, दिल्ली का लाल किला, मैसूर में रॉयल पैलेस, महाबलीपुरम में तट मंदिर सभी प्रसिद्ध नाम हैं। कुछ संगमरमर से बने हैं, कुछ लाल पत्थर से बने हैं, कुछ चट्टान को काटकर बनाए गए हैं और अन्य सोने से जड़े हुए हैं लेकिन इन सभी में एक चीज समान है, वे एक सामान्य शब्दावली के अंतर्गत आते हैं, वे सभी इमारतें हैं।

आत्मिक घर,वास्तव में, यीशु में विश्वासियों के लिए बाइबल में दिए गए नामों में से एक है। "तुम . .परमेश्वर का मंदिर हो,'' प्रेरित पौलुस ने लिखा (1 कुरिन्थियों 3:9)। विश्वासियों के लिए अन्य नाम भी हैं: "झुंड" (प्रेरितों के काम 20:28), "मसीह की देह" (1 कुरिन्थियों 12:27), "भाई और बहनें" (1 थिस्सलुनीकियों 2:14), और भी कई।

इमारत का रूपक 1 पतरस 2:5 में दोहराया गया है, जहाँ पतरस कलीसिया से कहता है, "तुम भी आप जीवते पत्थरों के समान, एक आत्मिक घर बनते जाते हो।" फिर, पद 6 में, पतरस यशायाह 28:16 को बताता है, "देखो, मैं सिय्योन में एक पत्थर रखता हूं, जो कोने के सिरे का चुना हुआ और बहुमूल्य पत्थर है।" यीशु ही अपनी इमारत की नींव है।

हम एसा समझ सकते है कि कलीसिया बनाना हमारा काम है, लेकिन यीशु ने कहा, "मैं अपनी कलीसिया बनाऊंगा" (मत्ती 16:18)। हमें परमेश्वर द्वारा "उसकी स्तुति का वर्णन करने" के लिए चुना गया है जिसने “तुम्हें अंधकार से अपनी अद्भुत ज्योति में बुलाया है” (1 पतरस 2:9)। जब हम उन स्तुतियों का बखान करते हैं, तो उसके भले काम जो वो करता है उसके लिए हम उसके हाथों में साधन बन जाते हैं।