नेथन एक मसीही-विश्वास वाले घर में बड़ा हुआ, लेकिन एक कॉलेज छात्र के रूप में वह अपने बचपन के विश्वास के विपरीत शराब पीने और पार्टी करने जैसी चीज़ों में भटकने लगा l उसने कहा, “परमेश्वर ने मुझे तब अपने पास लौटा ले आया जब मैं इसके लायक नहीं था l” समय के साथ, नेथन ने गर्मियों में प्रमुख शहरों की सड़कों पर अजनबियों के साथ यीशु को साझा करने में बिताया, और अब वह अपने चर्च में युवा सेवकाई में आवासीय अभ्यास प्राप्त कर रहा है l नेथन का लक्ष्य युवाओं को मसीह के लिए न जीकर समय बर्बाद करने से बचने में मदद करना है l 

नेथन की तरह, इस्राएली अगुवा मूसा के पास अगली पीढ़ी के लिए हृदय/मोह था l यह जानते हुए कि वह जल्द ही नेतृत्व छोड़ देगा, मूसा ने लोगों को परमेश्वर के अच्छे नियम बताए और फिर आज्ञाकारिता या आज्ञा उल्लंघन के परिणामों को सूचीबद्ध किया : आज्ञाकारिता के लिए और आशीष और जीवन, आज्ञा उल्लंघन के लिए शाप और मृत्यु l “जीवन ही को अपना ले, कि तू और तेरा वंश दोनों जीवित रहें,” उसने उनसे कहा, “क्योंकि तेरा जीवन . . . यही[यहोवा] है”(व्यवस्थाविवरण 30:19-20) l मूसा ने उनसे परमेश्वर से प्रेम करने, “उसकी बात मानने, और उससे लिपटे रहने” का आग्रह किया(पद.20) l 

पाप को चुनने से परिणाम मिलते हैं l लेकिन जब हम अपना जीवन फिर से परमेश्वर को समर्पित करते हैं, तो वह निश्चित रूप से दया करेगा(पद.2-3) और हमें बहाल करेगा(पद.4) l यह प्रतिज्ञा इस्राएल के इतिहास के सारे लोगों में पूरा हुआ, बल्कि हमें परमेश्वर के साथ संगति में लाने के लिए क्रूस पर यीशु के अंतिम कार्य से भी पूरा हुआ l आज हमारे पास भी विकल्प है और हम जीवन चुनने के लिए स्वतंत्र हैं l