Month: नवम्बर 2024

आत्मिक तंदुरूस्ती

ट्रे(Tre) फ़िटनेस सेंटर में नियमित है और यह प्रगट है l उसके कंधे चौड़े हैं, उसकी मांसपेशियाँ उभरी भुजाएँ मेरी जांघों के आकार के करीब हैं l उसकी शारीरिक स्थिति ने मुझे उसे आत्मिक बातचीत में शामिल करने के लिए प्रेरित किया l मैंने उससे पुछा कि क्या शारीरिक फिटनेस के प्रति उसकी प्रतिबद्धता किसी तरह से परमेश्वर के साथ स्वस्थ सम्बन्ध को दर्शाती है l हालाँकि हम बहुत गहराई तक नहीं गए, ट्रे(Tre) ने “अपने जीवन में परमेश्वर को स्वीकार किया(माना) l हमने काफी देर तक बात की और उसने मुझे अपनी चार सौ पौंड वजनी, अनुपयुक्त, अस्वस्थ संस्करण की तस्वीर दिखायी l उनकी जीवनशैली में बदलाव ने शारीरिक रूप से अद्भुत काम किया l 

1 तीमुथियुस 4:6-10 में, शारीरिक और आध्यात्मिक प्रशिक्षण केंद्र-बिंदु(focus) में आता है l “भक्ति की साधना कर l क्योंकि देह की साधना से कम लाभ होता है, पर भक्ति सब बातों के लिए लाभदायक है, क्योंकि इस समय के और आनेवाले जीवन की भी प्रतिज्ञा इसी के लिए है”(पद.7-8) l किसी की बाहरी फिटनेस परमेश्वर के साथ हमारी स्थिति को नहीं बदलती है l हमारी आध्यात्मिक फिटनेस हृदय का मामला है l इसका आरम्भ यीशु पर विश्वास करने के निर्णय से होती है, जिसके द्वारा हमें क्षमा मिलती है l उस बिंदु से, ईश्वरीय जीवन के लिए प्रशिक्षण आरम्भ होता है l इसमें “विश्वास और उस अच्छे उपदेश की बातों से . . . पालन पोषण”(पद.6) शामिल है(पद.6) और, परमेश्वर की सामर्थ्य से, ऐसा जीवन जीना जो हमारे स्वर्गिक पिता का सम्मान करता हो l 

मदद पहुँचाना

जब हेदर(Heather) की नौकरी उसे टिम के घर ले गयी, तो उसने उससे खाने की थैली में गांठ खोलने में मदद करने के लिए कहा l टिम को कुछ साल पहले दौरा(stroke) पड़ा था और अब वह स्वयं इस गाँठ को नहीं खोल पाता था l हेदर ख़ुशी-ख़ुशी स्वीकार की l अपने पूरे दिन में, हेदर के विचार बार-बार टिम के पास लौटते रहे और वह उसके लिए एक देखभाल पैकेज तैयार करने के लिए प्रेरित हुयी l जब बाद में टिम को गर्म कोको और लाल-कम्बल मिला जो वह उत्साहवर्धक शब्दों के साथ उसके दरवाजे पर छोड़ गयी थी, तो उसकी आँखों में आंसू आ गए l 

हेदर का यह उसको मदद पहुँचना उसके मूल अनुमान से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गयाl यही बात तब सच थी जब यिशै ने अपने छोटे बेटे दाऊद को अपने भाइयों को भोजन देने के लिए भेजा था जब इस्राएलियों ने “इकट्ठे होकर . . . युद्ध के लिए पलिश्तियों के विरुद्ध पांति बाँधी [थी]”(1 शमूएल 17:2) l जब दाऊद रोटी और पनीर लेकर पहुँचा, तो उसे पता चला कि गोलियत अपने दैनिक ताने देकर परमेश्वर के लोगों में भय पैदा कर रहा था (पद.8-10, 1 6, 24) l गोलियत द्वारा “जीवित परमेश्वर की सेना” की आज्ञा न मानने से दाऊद क्रोधित हुआ(पद.26) और उसने जवाब देने के लिए प्रेरित होकर राजा शाऊल से कहा, “किसी मनुष्य का मन उसके कारण कच्चा न हो; तेरा दास जाकर उस पलिश्ती से लड़ेगा”(पद.32) l

परमेश्वर कभी-कभी हमें उन स्थानों पर रखने के लिए हमारे दैनिक जीवन की परिस्थितियों का उपयोग करता है जहां वह हमारा उपयोग करना चाहता है l आइये यह देखने के लिए अपनी आँखें(और हृदय!) खुली रखें कि वह कहाँ और कैसे चाहता है कि हम किसी की सेवा करें l

जीवन को चुनना

नेथन एक मसीही-विश्वास वाले घर में बड़ा हुआ, लेकिन एक कॉलेज छात्र के रूप में वह अपने बचपन के विश्वास के विपरीत शराब पीने और पार्टी करने जैसी चीज़ों में भटकने लगा l उसने कहा, “परमेश्वर ने मुझे तब अपने पास लौटा ले आया जब मैं इसके लायक नहीं था l” समय के साथ, नेथन ने गर्मियों में प्रमुख शहरों की सड़कों पर अजनबियों के साथ यीशु को साझा करने में बिताया, और अब वह अपने चर्च में युवा सेवकाई में आवासीय अभ्यास/प्रशिक्षण प्राप्त कर रहा है l नेथन का लक्ष्य युवाओं को मसीह के लिए न जीकर समय बर्बाद करने से बचने में मदद करना है l 

नेथन की तरह, इस्राएली अगुवा मूसा के पास अगली पीढ़ी के लिए हृदय/मोह था l यह जानते हुए कि वह जल्द ही नेतृत्व छोड़ देगा, मूसा ने लोगों को परमेश्वर के अच्छे नियम बताए और फिर आज्ञाकारिता या आज्ञा उल्लंघन के परिणामों को सूचीबद्ध किया : आज्ञाकारिता के लिए और आशीष और जीवन, आज्ञा उल्लंघन के लिए शाप और मृत्यु l “जीवन ही को अपना ले, कि तू और तेरा वंश दोनों जीवित रहें,” उसने उनसे कहा, “क्योंकि तेरा जीवन . . . यही[यहोवा] है”(व्यवस्थाविवरण 30:19-20) l मूसा ने उनसे परमेश्वर से प्रेम करने, “उसकी बात [मानने], और उससे लिपटे [रहने]” का आग्रह किया(पद.20) l 

पाप को चुनने से परिणाम मिलते हैं l लेकिन जब हम अपना जीवन फिर से परमेश्वर को समर्पित करते हैं, तो वह निश्चित रूप से दया करेगा(पद.2-3) और हमें बहाल करेगा(पद.4) l यह प्रतिज्ञा इस्राएल के इतिहास के सारे लोगों में पूरा हुआ, बल्कि हमें परमेश्वर के साथ संगति में लाने के लिए क्रूस पर यीशु के अंतिम कार्य से भी पूरा हुआ l आज हमारे पास भी विकल्प है और हम जीवन चुनने के लिए स्वतंत्र हैं l

प्रार्थना में लगे रहो

एक बेकरी सहायक, माईला ने, स्वयं को बचाने में बहुत असहाय महसूस किया जब उसके निरीक्षक ने उस पर कुछ किशमिश की रोटी चुराने का आरोप लगाया l निराधार दावा और सम्बंधित वेतन कटौती उसके निरीक्षक के कई गलत कार्यों में से केवल दो थे l “परमेश्वर, कृपया मदद करें, “माईला ने हर दिन प्रार्थना की l “उसके अधीन काम करना बहुत कठिन है, लेकिन मुझे इस नौकरी की ज़रूरत है l”

यीशु एक विधवा के बारे में बताता है जिसने खुद को असहाय महसूस किया और “अपने मुद्दई के खिलाफ न्याय माँगा”(लूका 18:3) l वह अपने मामले को सुलझाने के लिए किसी ऐसे व्यक्ति के पास गयी जिसके पास अधिकार था—एक न्यायधीश के पास l यह जानने के बावजूद कि न्यायधीश अन्यायी था, वह उसके पास जाती रही l 

न्यायाधीश की अंतिम प्रतिक्रिया(पद.4-5) हमारे स्वर्गिक पिता की प्रतिक्रिया से बिलकुल भिन्न है, जो प्रेम और सहायता के साथ तुरंत प्रतिक्रिया देता है(पद.7) l यदि दृढ़ता के कारण एक अन्यायी न्यायाधीश विधवा का मामला हल कर सकता है, तो परमेश्वर न्यायी न्यायाधीश है, हमारे लिए कितना कुछ कर सकता है और करेगा(पद.7-8)? हम “उसके चुने हुओं का न्याय” चुकाने के लिए(पद.7) उस पर भरोसा कर सकते हैं और प्रार्थना में लगातार बने रहना हमारे विश्वास को दिखाने का एक तरीका है l हम कायम हैं क्योंकि हमें विश्वास है कि परमेश्वर हमारी स्थिति पर पूर्ण बुद्धिमत्ता से प्रतिक्रिया देगा l 

अंततः, अन्य कर्मचारियों द्वारा उसके व्यवहार के बारे में शिकायत करने के बाद माईला के निरीक्षक ने इस्तीफा दे दिया l जब हम परमेश्वर की आज्ञाकारिता में चलते हैं, आइए प्रार्थना करते रहें, यह जानते हुए कि हमारी प्रार्थनाओं की सामर्थ्य उसमें निहित है जो सुनता है और हमारी मदद करता है l