प्रेम के साथ सेवा
जब क्रिस्टल ने पहली बार वर्जिनिया कॉफ़ी शॉप में काम करना आरम्भ किया, तो उसने इब्बी नाम के एक ग्राहक को सेवा दी l चूँकि इब्बी सुनने में अक्षम है, इसलिए उसने अपने फोन पर टाइप किये हुए नोट का उपयोग करके अपना आर्डर दिया l जब क्रिस्टल को पता चला कि इब्बी एक नियमित ग्राहक है, तो उसने पर्याप्त अमेरिकी सांकेतिक भाषा(sign Language) सीखकर उसे बेहतर सेवा देने का निश्चय किया ताकि वह बिना लिखे अपना आर्डर दे सके l
एक छोटे से तरीके से, क्रिस्टल ने इब्बी को दिखया कि पतरस हम सभी को एक-दूसरे के लिए किस तरह का प्रेम और सेवा प्रोत्साहित करता है l यीशु के उन विश्वासियों को लिखे अपने पत्र में, जो तितर-बितर और निर्वासित हो गए थे, प्रेरित ने संकेत दिया कि उनसे “अधिक प्रेम रखो” और अपने वरदानों का उपयोग “दूसरे की सेवा [के लिए करो]”(1 पतरस 4:8, 10) l उसने हमें जो भी गुण और योग्यताएँ प्रदान की हैं वे उपहार हैं जिनका उपयोग हम दूसरों की भलाई के लिए कर सकते हैं l जैसा कि हम करते हैं, हमारे शब्द और कार्य परमेश्वर को आदर दे सकते हैं l
पतरस के शब्द उन लोगों के लिए ख़ास तौर से विशेष थे जिन्हें उसने लिखा था, क्योंकि वे पीड़ा और अलगाव के समय का अनुभव कर रहे थे l उन्होंने उन्हें संकट के समय एक-दूसरे की सेवा करने के लिए उत्साहित किया ताकि उन्हें अपनी आजमाइशों में सहन करने में मदद मिल सके l यद्यपि हम किसी अन्य व्यक्ति द्वारा अनुभव किए गए ख़ास दर्द को नहीं जानते हैं, परमेश्वर हमें सहानुभूति दिखाने के साथ-साथ दयालुता और ख़ुशी से अपने शब्दों, संसाधनों और क्षमताओं के साथ परस्पर सेवा करने में मदद कर सकता है l परमेश्वर हमें अपने प्रेम के प्रतिबिम्ब के रूप में दूसरों की सेवा करने में मदद करें l
परमेश्वर का समय
मैग दूसरे देश की अपनी नियोजित यात्रा की प्रतीक्षा कर रही थी l लेकिन, जैसा कि उसकी सामान्य पद्धति थी, उसने पहले इसके बारे में प्रार्थना की l “यह केवल एक छुट्टी है,” एक मित्र ने टिप्पणी की l “आपको परमेश्वर से परामर्श करने की ज़रूरत क्यों है?” हालाँकि, मैग सब कुछ उसे समर्पित करने में विश्वास करती थी l इस बार, उसने महसूस किया कि वह उसे यात्रा रद्द करने के लिए प्रेरित कर रहा है l उसने ऐसा ही किया, और बाद में—जब वह वहाँ होती—उस देश में एक महामारी फ़ैल गयी l “मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे परमेश्वर मेरी रक्षा कर रहा था,” वह कहती है l
नूह को भी परमेश्वर की सुरक्षा पर भरोसा था जब वह और उसका परिवार जल प्रलय कम होने के बाद लगभग दो महीने तक जहाज में इंतजार करता रहा l दस महीने से अधिक समय तक बंद रहने के बाद, वह बाहर निकलने के लिए उत्सुक रहा होगा l आखिरकार, “जल पृथ्वी पर से सूख गया [था]” और “धरती सूख गयी [थी]”(उत्पत्ति 8:13) l लेकिन नूह ने केवल जो देखा उस पर भरोसा नहीं किया; इसके बजाय उसने जहाज तभी छोड़ा जब परमेश्वर ने उससे कहा(पद.15-19) l उसे भरोसा था कि लम्बे इंतज़ार के लिए परमेश्वर के पास अच्छा कारण था—शायद धरती अभी तक पूरी तरह से सुरक्षित नहीं था l
जब हम अपने जीवन में निर्णयों के बारे में प्रार्थना करते हैं, अपनी परमेश्वर प्रदत्त क्षमताओं का उपयोग करते हुए और उसकी अगुवाई की प्रतीक्षा करते हुए, हम उसके समय पर भरोसा कर सकते हैं, यह जानते हुए कि हमारा बुद्धिमान सृष्टिकर्ता जानता है कि हमारे लिए सर्वोत्तम क्या है l जैसा कि भजनकार ने कहा, “मैं ने तो तुझ पर भरोसा रखा है . . . मेरे दिन तेरे हाथ में है”(भजन सहिंता 31:14-15) l
दूसरे व्यक्तियों का मामला
हमारे चार पोता-पोती एक छोटे ट्रेन सेट के साथ खेल रहे थे, और छोटे दो पोते एक इंजन पर बहस कर रहे थे l जब हमारा आठ वर्षीय पोता हस्तक्षेप करने लगा, तो उसकी छह वर्षीय बहन बोली, “उनके मामले के बारे में चिंता मत करो l” आमतौर पर—हम सभी के लिए बुद्धिमान शब्द l लेकिन जब बहस आंसुओं में बदल गयी, तो दादी आगे बढ़कर, उन्हें अलग की और झगड़ रहे बच्चों को ढाढ़स बंधाई l
दूसरों के मामले से दूर रहना अच्छा है जब ऐसा करने से मामला और बिगड़ सकता है l लेकिन कभी-कभी हमें प्रार्थनापूर्वक इसमें शामिल होने की ज़रूरत होती है l फिलिप्पियों को लिखे अपने पत्र में, प्रेरित पौलुस एक उदाहरण देता है कि ऐसा कब करना है l यहाँ उन्होंने दो स्त्रियों, युओदिया और सुन्तुखे से आग्रह करता है कि वे “प्रभु में एक मन रहें”(4:2) l प्रत्यक्ष रूप में, उनकी असहमति इतनी तीव्र हो गयी थी कि प्रेरित को हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर होना पड़ा(पद.3), भले ही वह कैद में था(1:7) l
पौलुस जानता था कि स्त्रियों का तर्क फूट पैदा कर रहा था और सुसमाचार से ध्यान हटा रहा था l इसलिए, उसने उन्हें याद दिलाते हुए धीरे से सच बोला कि उनके नाम “जीवन की पुस्तक में’ लिखे गए थे(4:3) l पौलुस चाहते थे कि ये स्त्रियाँ और चर्च के सभी लोग विचार और कार्यों में परमेश्वर के लोगों के रूप में रहें(पद.4-9) l
जब आप अनिश्चित हैं कि आपको इसमें शामिल होना चाहिए या नहीं, तो प्रार्थना करें, यह विश्वास करते हुए कि “परमेश्वर जो शांति का सोता है तुम्हारे साथ रहेगा”(पद.9; देखें पद.7) l
लगभग सत्य अभी भी असत्य है
छायांकन/सिनेकला(cinematography)? बहुत अच्छा l देखिये? विश्वसनीय l सामग्री? दिलचस्प और प्रासंगिक l वीडियो प्रसिद्ध बॉलीवुड अभिनेता आमिर खान का था, जो राजनैतिक बयान दे रहे थे जो उनसे बिलकुल अलग लग रहे थे l ऑनलाइन कई लोगों का मानना था कि यह सच था, और सोचा कि शायद यह अभिनेता की ओर से एक नयी घोषणा थी l
लेकिन यह वायरल वीडियो गलत था l यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस(AI) का उपयोग करके अभिनेता का गहरा नकली प्रतिरूपण(deep-fake impersonation) था, और इसका उद्देश्य अशांति पैदा करने की स्वार्थी महत्वाकांक्षा थी l अभिनेता ने वास्तव में वे बयान नहीं दिए थे, और वीडियो जितना रोमांचक था, वह झूठ पर आधारित था l
हम अपने को ऐसे युग में जीते हुए देख रहे हैं, जहां हमारी तकनीकियों के कारण, झूठ को इस सीमा तक बढ़ाया और गुणित किया जाता है कि वह हमें सच प्रतीत होता है l नीतिवचन की पुस्तक, जो ईश्वरीय ज्ञान का संग्रह है, अक्सर सत्य और झूठ के बीच के अंतर के बारे में बात करती है l नीतिवचन कहती है, “सच्चाई सदा बनी रहेगी, परन्तु झूठ पल ही भर का होता है”(नीतिवचन 12:19) l और अगली उक्ति हमें बताती है, “बूरी युक्ति करनेवालों के मन में चल रहता है, परन्तु मेल की युक्ति करनेवालों को आनंद होता है”(पद.20) l
परमेश्वर के आदेशों से लेकर बॉलीवुड अभिनेताओं के बारे में वीडियो तक हर चीज़ पर ईमानदारी लागू होती है l सच्चाई “सदा बनी रहेगी l”