उपन्यास अबाउट ग्रेस(About Grace) में, डेविड विंकलर अपनी विमुख/विरक्त हुयी बेटी को ढूंढना चाहता है, और हरमन शीलर एकमात्र व्यक्ति है जो उसकी मदद कर सकता है l लेकिन एक अड़चन है l डेविड की बेटी का जन्म हरमन की पत्नी के साथ डेविड के सम्बन्ध से हुआ था, और हरमन ने उसे फिर कभी उनसे सम्पर्क न करने की चेतावनी दी थी l 

दशकों बीत गए, इससे पहले कि डेविड ने हरमन को अपने किये के लिए माफ़ी मांगते हुए लिखा l “मेरे जीवन में एक खामी है क्योंकि मैं अपनी बेटी के बारे में बहुत कम जानता हूँ,” वह उसके विषय जानकारी मांगते हुए आगे कहता है l वह यह देखने का इंतज़ार करता है कि क्या हरमन उसकी मदद करेगा l 

हमें उन लोगों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए जिन्होंने हमारे साथ अन्याय किया है? इस्राएल के राजा को इस प्रश्न का सामना तब करना पड़ा जब उसके शत्रुओं को आश्चर्यजनक ढंग से उसके हाथों में सौंप दिया गया (2 राजा 6:8-20) l “क्या मैं उन्हें मार डालूं?” वह भविष्यद्वक्ता एलिशा से पूछता है l एलिशा कहता है, नहीं, “तू उनको अन्न जल दे कि खा पी कर अपने स्वामी के पास चले जाएं”(पद.21-22) l अनुग्रह के इस कार्य के द्वारा, इस्राएल को अपने शत्रुओं के साथ शांति मिली (पद.23) l 

हरमन डेविड के पत्र का उत्तर देता है, उसे अपने घर आमंत्रित करता है और उसके लिए भोजन बनाता है l वह खाने से पहले प्रार्थना करता है, “प्रभु यीशु, इतने वर्षों तक मुझ पर और डेविड पर नज़र रखने के लिए धन्यवाद l” वह डेविड को उसकी बेटी को ढूँढने में मदद करता है और डेविड बाद में उसकी जान बचाता है l परमेश्वर के हाथों में, जिन लोगों ने हमारे साथ अन्याय किया है उनके प्रति हमारे अनुग्रह के कार्य अक्सर हमारे लिए आशीष के रूप में परिणित होते हैं l