ऑगस्टीन की आत्मकथात्मक कंफेशंस (Confessions)  यीशु के लिए उनकी लंबी और घुमावदार यात्रा का वर्णन करती है । एक अवसर पर,  वह सम्राट के लिए चापलूसी भरा भाषण देने के लिए महल में जा रहे थे । बाद में, वह अपनी भ्रामक तालियों पर चिंतन ही कर था, तभी उसकी नजर एक शराबी भिखारी पर पड़ी जो “मजाक कर रहा था और हंस रहा था।“ । उन्होंने महसूस किया कि नशे में धुत व्यक्ति को पहले से ही वह क्षणिक खुशी मिल चुकी थी जो उसका बदलता करियर ला सकता था, और वह भी बहुत कम प्रयास के साथ।  इसलिए ऑगस्टीन ने सांसारिक सफलता के लिए प्रयास करना बंद कर दिया।

लेकिन वह अभी भी वासना के गुलाम थे। वह जानते थे कि वह पाप से मुड़े बिना यीशु की ओर नहीं मुड़ सकते,  और वह अभी भी यौन अनैतिकता से जूझ रहे थे। इसलिए उन्होंने प्रार्थना की,  “मुझे पवित्रता प्रदान करो . . . लेकिन अब तक नहीं ।“ऑगस्टीन उद्वार और पाप के बीच उलझे,  लड़खड़ाते हुये चलते रहे जब तक उन्होंने सोचा कि बस अब और नहीं। दूसरों से प्रेरित होकर जो यीशु की ओर फिरे थे,  उन्होंने बाइबल में रोमियों 13:13-14  पढ़ा । “हम सीधी चाल चलें, न कि लीला-क्रीड़ा और पियक्कड़पन में, न व्यभिचार . . . वरन् प्रभु यीशु को पहिन लो, और शरीर की अभिलाषाओं को पूरा करने का उपाय न करो l”

उनके लिए यह काम कर गया। परमेश्वर ने ऑगस्टीन की वासना की जंजीरों को तोड़ने के लिए उन प्रेरित शब्दों का इस्तेमाल किया और उन्हें “अपने प्रिय पुत्र के राज्य में प्रवेश कराया, जिस में हमें छुटकारा अर्थात् पापों की क्षमा प्राप्त होती है” (कुलुस्सियों 1:13-14)। ऑगस्टीन एक बिशप बन गए  जो ख्याति और वासना की परीक्षा में बने रहे, लेकिन अब वह जानते थे कि उनके पाप करने पर उन्हें किसकी ओर देखना है। वह यीशु की ओर मुड़े। क्या आप मुड़े है?