जुरगेन मोल्टमैन नाम के एक चौरानवे वर्षीय जर्मन धर्मशास्त्री द्वारा लिखित पवित्र आत्मा पर एक पुस्तक की चर्चा के दौरान, एक इन्टरव्यू लेने वाले ने उनसे पूछा: “आप पवित्र आत्मा को कैसे सक्रिय करते हैं? क्या हम एक गोली ले सकते हैं? क्या दवा कंपनियाँ आत्मा प्रदान करती हैं?” मोल्टमैन की घनी भौहें तन गईं। अपना सिर हिलाते हुए, वह ज़ोर से अंग्रेजी में जवाब देते हुए मुस्कुराया। “मैं क्या कर सकता हुँ? कुछ मत करो आत्मा की बाट जोहो, और आत्मा आ जाएगी।”
मोल्टमैन ने हमारी गलत धारणा पर प्रकाश डाला कि हमारी ऊर्जा और विशेषज्ञता चीज़ों को करती है। प्रेरितों के काम से पता चलता है कि परमेश्वर चीज़ों को करता है। चर्च की शुरुआत में, इसका मानवीय रणनीति या प्रभावशाली नेतृत्व से कोई लेना-देना नहीं था। बल्कि, आत्मा एकाएक आकाश से बड़ी आंधी की सी सनसनाहट का शब्द तरह भयभीत, असहाय और भ्रमित शिष्यों के कमरे में आई (2:2)। इसके बाद, आत्मा ने सभी जातीय श्रेष्ठताओं को तोड़ दिया, उन लोगों को एक नए समुदाय में इकट्ठा करके जो आपस में असहमत थे; शिष्यों को यह देखकर बहुत आश्चर्य हुआ कि परमेश्वर उनके भीतर क्या कर रहा था। उन्होंने कुछ भी नहीं किया ; “आत्मा ने उन्हें समर्थ दिया” (पद. 4)।
कलीसिया—और संसार में हमारा साझा कार्य—इससे परिभाषित नहीं होता कि हम क्या कर सकते हैं। हम पूरी तरह से उस पर निर्भर हैं जो केवल आत्मा कर सकता है । यह हमें निडर और शांत दोनों होने की अनुमति देता है। इस दिन, जिस दिन हम पिन्तेकुस्त मनाते हैं, हम आत्मा की प्रतीक्षा करें और प्रत्युत्तर दें।
आप अपने प्रयासों या दृढ़ता पर भरोसा करने के लिए कैसे लुभाए जाते हैं? आपको आत्मा के द्वारा किए जाने वाले कामों के लिए कहाँ प्रतीक्षा करनी चाहिए?
प्रिय परमेश्वर , मैंने यह मानकर खुद को थका दिया है कि मुझे चीजों को पूरा करना होगा। पवित्र आत्मा, आओ और मेरी मदद करो।