एक दर्जन टीमें, जिनमें से प्रत्येक में कंधे से कंधा मिलाकर खड़े तीन लोग शामिल थे, चार पैरों वाली दौड़ के लिए तैयार थीं। प्रत्येक बाहरी व्यक्ति बीच में खड़े व्यक्ति से टखनों और घुटनों पर रंग-बिरंगे कपड़े से बंधा हुआ था, तीनों ने अपनी आँखें फिनिश लाइन (समापन रेखा) पर टिकाई हुई थीं। जब सीटी बजी, तो टीमें आगे बढ़ीं। उनमें से अधिकांश गिर गए और अपने पैर जमाने के लिए संघर्ष करने लगे। कुछ समूहों ने चलने के बजाय कूदना चुना। कुछ ने हार मान ली। लेकिन एक टीम ने अपनी शुरुआत में देरी की, अपनी योजना की पुष्टि की और आगे बढ़ते हुये आपस में बातें करते रहें। वे रास्ते में लड़खड़ाए लेकिन आगे बढ़ते रहे और जल्द ही सभी टीमों से आगे निकल गए। सहयोग करने की उनकी इच्छा, कदम दर कदम, उन्हें एक साथ फिनिश लाइन पार करने में सक्षम बनाया।
यीशु में विश्वासियों के समुदाय के भीतर परमेश्वर के लिए जीना अक्सर उतना ही निराशाजनक लगता है जितना कि चार पैरों वाली दौड़ के दौरान आगे बढ़ने की कोशिश करना। हम अक्सर उन लोगों के साथ बातचीत करते समय लड़खड़ा जाते हैं जो हमसे अलग राय रखते हैं।
पतरस प्रार्थना, आतिथ्य और अपने उपहारों का उपयोग करके आगे के जीवन के लिए एकता में खुद को संरेखित करने की बात करता है। वह यीशु में विश्वासियों से आग्रह करता है कि वे “एक दूसरे से गहराई से प्यार करें” (1 पतरस 4:8), बिना शिकायत किए एक दूसरे का अतिथि सत्कार करें और “दूसरों की सेवा करें, और परमेश्वर के अनुग्रह के विश्वानसयोग्य भण्डारियों की नाईं एक दूसरे की सेवा में लगायें (पद 10)। । जब हम ईश्वर से हमें संवाद करने और सहयोग करने में मदद करने के लिए कहते हैं, तो हम दुनिया को यह दिखाने में दौड़ का नेतृत्व कर सकते हैं कि मतभेदों का आनन्द कैसे लिया जाए और एकता में एक साथ रहा जाए।
आपको किसी ऐसे व्यक्ति के साथ काम करने में कब संघर्ष करना पड़ा जो आपसे अलग था? परमेश्वर ने आपकी कैसे मदद की है?
पराक्रमी परमेश्वर, जब मैं आपकी तरह प्यार करना सीखता हूं तो कृपया दूसरों से बातचीत करने में और दूसरों के साथ सहयोग करने में मेरी मदद करें।