इंडोनेशिया के पानी और ग्रेट बैरियर रीफ में एक “भेष बदलने का स्वामी” रहता है। नकलची ऑक्टोपस (अष्टबाहु), अन्य ऑक्टोपस की तरह, अपने परिवेश के साथ घुलने-मिलने के लिए अपनी त्वचा का रंग बदल सकता है। यह बुद्धिमान प्राणी ज़हरीली लायनफिश और यहां तक कि घातक समुद्री सांपों जैसे प्राणियों की खतरे भरी नकल कर अपना आकार, चाल-चलन और व्यवहार भी बदल लेता है।
नकलची ऑक्टोपस के विपरीत, यीशु में विश्वास करने वालों का उद्देश्य हमारे चारों ओर मौजूद दुनिया में अलग दिखना है। हम उन लोगों से ख़तरा महसूस कर सकते हैं जो हमसे असहमत हो और उनमें घुलने-मिलने के लिए प्रलोभित हो जाते हैं, ताकि मसीह के अनुयायियों के रूप में पेहचाने न जाए। हालाँकि, प्रेरित पौलुस हमसे आग्रह करता है कि हम अपने शरीरों को “जीवित, पवित्र और परमेश्वर को भावता हुआ बलिदान करके चढ़ाओ (रोमियों 12:1), अपने जीवन के हर क्षेत्र से यीशु को दर्शाते हुए।
दोस्त या परिवार के सदस्य कोशिश कर सकते है कि हम पर “इस संसार के सदृश बनने” (पद 2) का दबाव डालें। लेकिन परमेश्वर की संतान होने के नाते हम यह दिखा सकते है कि हम किसकी सेवा करते है, उससे अपने जीवन को मिलाते हुए जिस पर हम विश्वास करते है। जब हम पवित्र शास्त्र का पालन करते हैं और उसके प्रेमपूर्ण चरित्र को दर्शाते हैं, तो हमारा जीवन यह प्रदर्शित कर सकता है कि आज्ञाकारिता का प्रतिफल हमेशा किसी भी नुकसान से अधिक होता है। आज आप यीशु की नकल कैसे करेंगे?
आप कब यीशु में अपरिचित विश्वासी बनने की परीक्षा में पड़े है? आप कब परिवार के सदस्यों या दोस्तों से अलग हो गए हैं क्योंकि आपने अपने शब्दों और कार्यों के द्वारा से यीशु का प्रतिनिधित्व करना चुना है?
प्यारे यीशु, कृपया मुझे दूसरों के सामने आपको प्रतिबिंबित करने का साहस और दृढ़ता दें।