शरणार्थी बच्चों की कहानियों से प्रेरित होकर फिल और सैंडी ने उनमें से दो के लिए अपना दिल और घर खोल दिया। हवाई अड्डे पर उन्हें लेने के बाद, वे घबराए हुए चुपचाप घर चले गए। क्या वे इसके लिए तैयार थे? वे एक ही संस्कृति, भाषा या धर्म साझा नहीं करते थे, लेकिन वे इन अनमोल बच्चों के लिए शरण देने वाले लोग बन गए थे। बोअज़ रूथ की कहानी से प्रेरित हुआ। उसने सुना था कि कैसे उसने नाओमी का समर्थन करने के लिए अपने लोगों को छोड़ दिया, और जब रूथ उसके खेत में कटाई करने आई, तो बोअज़ ने उसके लिए यह आशीर्वाद प्रार्थना की, “यहोवा तेरी करनी का फल दे, और इस्राएल का परमेश्वर यहोवा जिसके पंखों के तले तू शरण लेने आई है तुझे पूरा बदला दें” (रूत 2:12)।
रूत ने एक रात बोअज़ की नींद में बाधा डालते हुए उसे उसकी आशीष की याद दिलाई। अपने पैरों के पास हलचल से जागते हुए, बोअज़ ने पूछा, “तुम कौन हो?” रूत ने उत्तर दिया, “मैं तो तेरी दासी रूत हूँ; तू अपनी दासी को अपनी चद्दर ओढ़ा दे, क्योंकि तू हमारी भूमि छुड़ानेवाला कुटुम्बी है” (3:9) l
चद्दर और पंखों के लिए इब्रानी शब्द एक ही है l बोअज़ ने रुत से विवाह करके उसे शरण दी, और उनके परपोते दाऊद ने इस्राएल के परमेश्वर की प्रशंसा में उनकी कहानी को दोहराया : “हे परमेश्वर, तेरी करुणा कैसी अनमोल है! मनुष्य तेरे पंखों के तले शरण लेते हैं” (भजन 36:7) l
—माइक विटनर
कब किसी ने आपको शरण दी और आपने कैसा महसूस किया? किस तरह आप—बड़े या छोटे तरीकों से—दूसरों को शरण दे सकते हैं?
पिता, मैं आपमें शरण लेता हूँ l दूसरों तक आपकी शरण पहुँचाने में मेरा उपयोग करें l