एक दिन, छठी कक्षा की छात्रा ने देखा कि उसका सहपाठी एक छोटे से उस्तरे से अपना हाथ काट रहा है। सही काम करने की कोशिश में, उसने उस्तरा उससे ले लिया और उसे फेंक दिया। हैरानी की बात है कि, प्रशंसा पाने के बजाय, उसे दस दिन के लिए स्कूल से निलंबित कर दिया गया। क्यों? उसके पास कुछ समय के लिए उस्तरा था – ऐसा कुछ जो स्कूल में करने की अनुमति नहीं है। जब उससे पूछा गया कि क्या वह फिर से ऐसा करेगी, तो उसने जवाब दिया: “भले ही मैं मुसीबत में पड़ जाऊँ, . . . मैं फिर से ऐसा करूँगी।” जिस तरह इस लड़की के अच्छे काम करने की कोशिश ने उसे मुसीबत में डाल दिया (बाद में उसका निलंबन वापस ले लिया गया), उसी तरह यीशु के राज्य में हस्तक्षेप करने के कार्य ने उसे धार्मिक अगुओं के साथ अच्छी मुसीबत में डाल दिया
फरीसियों ने यीशु द्वारा एक विकृत हाथ वाले व्यक्ति की चंगाई को उनके नियमों का उल्लंघन बताया l मसीह ने उनसे कहा, कि अगर परमेश्वर के लोगों को सब्त के दिन गंभीर परिस्थितियों में पशुओं की देखभाल करने की अनुमति थी, तो “ भला, मनुष्य का मूल्य भेड़ से कितना बढ़ कर है!” (मत्ती 12:12) l क्योंकि “मनुष्य का पुत्र तो सब्त के दिन का भी प्रभु है।” सब्त का प्रभु होकर, यीशु यह तय कर सकते थे कि उस पर क्या करना है और क्या नहीं (पद.6-8) l यह जानते हुए कि यह धार्मिक नेताओं को नाराज़ करेगा, उसने फिर भी उस आदमी के हाथ को पूरी तरह से ठीक कर दिया (पद.13-14) l
कभी-कभी मसीह में विश्वास करने वाले लोग “अच्छी मुसीबत” में पड़ सकते हैं – ऐसा करके जो परमेश्वर को सम्मान देता है लेकिन कुछ लोगों को खुश नहीं कर सकता – क्योंकि वे दूसरों की ज़रूरत में मदद करते हैं। जब हम ऐसा करते हैं, जैसा कि परमेश्वर हमें मार्गदर्शन देता है, तो हम यीशु का अनुकरण करते हैं और प्रकट करते हैं कि लोग नियमों और रीति-रिवाजों से ज़्यादा महत्वपूर्ण हैं।
—मार्विन विलियम्स
आप दूसरों को दयालुता कैसे दिखा सकते हैं? आपको परमेश्वर के लिए अच्छी मुसीबत में शामिल होने का इच्छुक क्यों होना चाहिए?
प्रिय यीशु, कृपया मुझे उन रीति-रिवाजों से दूर रखें जो दूसरों से प्रेम करने से रोकते हैं l