उनकी कहानियाँ सुनकर, यह स्पष्ट हो जाता है कि संभवतः एक कैदी होने का सबसे कठिन भाग अलगाव और अकेलापन है l वास्तव में, एक अध्ययन से पता चला है कि चाहे उनकी कैद की अवधि कितनी भी हो, अधिकांश कैदियों को सलाखों के पीछे रहने के दौरान दोस्तों या प्रियजनों से केवल दो बार ही मुलाक़ात मिलती है। अकेलापन एक निरंतर वास्तविकता है।
मैं कल्पना कर सकता हूं उस दर्द की जो यूसुफ ने जेल में रहते हुए महसूस किया होगा; उस पर गलत तरीके से अपराध का आरोप लगाया गया था। फिर भी आशा की एक किरण दिखी थी। परमेश्वर ने यूसुफ को एक साथी कैदी के सपने की सही व्याख्या करने में मदद की, जो फिरौन का एक भरोसेमंद सेवक था। यूसुफ ने उस आदमी से कहा कि वह अपने पद पर लौटेगा और फिर वह फिरौन से उसका जिक्र करे ताकि यूसुफ़ छूट सके (उत्पत्ति 40:14) l (उत्पत्ति 40:14)। लेकिन उस व्यक्ति ने “यूसुफ को याद नहीं रखा; वह उसे भूल गया” (वचन 23)। दो और वर्षों तक, यूसुफ ने प्रतीक्षा की। प्रतीक्षा के उन वर्षों में, बिना किसी संकेत के कि उसकी परिस्थितियाँ बदल जाएँगी, यूसुफ कभी भी पूरी तरह से अकेला नहीं था क्योंकि परमेश्वर उसके साथ था। आखिरकार, फिरौन के सेवक ने अपना वादा याद किया और यूसुफ को एक और सपने की सही व्याख्या करने के बाद स्वतंत्र कर दिया गया (41:9–14)
परिस्थितियों के बावजूद जो हमें भुलाया हुआ महसूस कराती हैं, और अकेलेपन की भावनाएँ जो घेरती हैं, हम परमेश्वर की अपने बच्चों के लिए आश्वास्त करने वाली प्रतिज्ञा से बंधे रह सकते हैं: “मैं तुझे नहीं भूल सकता!” (यशायाह 49:15) l
—लीसा एम समरा
कब आपने भुलाए जाने का दर्द अनुभव किया है? परमेश्वर की निरंतर उपस्थिति की याद दिलाना किस तरह से सांत्वना प्रदान करता है?
स्वर्गीय पिता, जब मैं भूला हुआ महसूस करता हूँ, तो आप तक पहुँचने में मेरी मदद करें, और मुझे यह याद रखने में मदद करें कि आप हमेशा मेरे साथ हैं।