इंटरनेट के दौर में प्रतिस्पर्धा बहुत ज़्यादा हो गई है। कंपनियाँ तेज़ी से ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए रचनात्मक तरीके विकसित कर रही हैं। उदाहरण के लिए, सुबारू वाहनों को ही लें। सुबारू के मालिक मशहूर रूप से वफ़ादार हैं, इसलिए कंपनी ने “सुब्बी सुपरफ़ैन” को वाहनों का “ब्रांड एंबेसडर” बनने के लिए आमंत्रित किया है।
कंपनी की वेबसाइट पर लिखा है, “सुबारू एंबेसडर ऊर्जावान व्यक्तियों का एक विशेष समूह है, जो सुबारू के बारे में लोगों को बताने और ब्रांड के भविष्य को आकार देने में अपना जुनून और उत्साह दिखाते हैं।” कंपनी चाहती है कि सुबारू स्वामित्व लोगों की पहचान का हिस्सा बन जाए – कुछ ऐसा जिसके बारे में वे इतने भावुक हैं कि वे इसे साझा किए बिना नहीं रह सकते।
2 कुरिन्थियों 5 में, पौलुस एक अलग “राजदूत” कार्यक्रम का वर्णन करता है, जो दूसरों को यीशु का अनुसरण करने के लिए आमंत्रित करता है l “इसलिए प्रभु का भय मानकर हम लोगों को समझाते हैं” (पद.11) l पौलुस आगे कहता है “उस ने मेल-मिलाप का वचन हमें सौंप दिया है l इसलिए, हम मसीह के राजदूत हैं; मानो परमेश्वर हमारे द्वारा विनती कर रहा है l हम मसीह की ओर से निवेदन करते हैं कि परमेश्वर के साथ मेल-मिलाप कर लो” (पद.19-20) l
कई उत्पाद हमें गहरी ज़रूरतों को पूरा करने, ख़ुशी, पूर्णता, और उद्देश्य की भावना देने की प्रतिज्ञा करते हैं l लेकिन केवल एक सन्देश—यीशु में विश्वासियों के रूप में हमें सौंपा गया मेल-मिलाप का सन्देश—वास्तव में अच्छी खबर है l और हमें हताश संसार को वह सन्देश देने का सौभाग्य मिला है l
—एडम होल्ज़
यीशु का “राजदूत” बनने के विचार के विषय आप क्या सोचते हैं? आप उस बुलाहट को व्यवहारिक रूप से कैसे जी सकते हैं?
प्रिय यीशु, आपके लिए मुझे “राजदूत” बनने के निमंत्रण के लिए आपको धन्यवाद l