मेरे बचपन के पड़ोस में स्थित रेस्तराँ में प्रोटोकॉल  (औपचारिक अवसरों पर सुनिश्चित नियमों और प्रक्रियाओं की व्‍यवस्‍था) 1950 के दशक के अंत और 1960 के दशक की शुरुआत में सामाजिक और नस्लीय गतिशीलता के अनुरूप थे। रसोई में काम करने वाले सहायक – मैरी, रसोइया और मेरे जैसे बर्तन धोने वाले – अश्वेत थे; हालाँकि, रेस्तराँ में मौजूद ग्राहक श्वेत थे। अश्वेत ग्राहक भोजन का ऑर्डर दे सकते थे, लेकिन उन्हें इसे पिछले दरवाजे से उठाना पड़ता था। ऐसी नीतियों ने उस युग में अश्वेतों के साथ असमान व्यवहार को मजबूत किया। हालाँकि हम तब से बहुत आगे बढ़ चुके हैं, फिर भी हमारे पास परमेश्वर की छवि में बने लोगों के रूप में एक-दूसरे से कैसे संबंध बनाते हैं, इस बारे में विकास की गुंजाइश है। 
जैसे पवित्रशास्त्र में रोमियों 10:8-13  हमें यह देखने में मदद करता हैं कि परमेश्वर के परिवार में सभी का स्वागत है; कोई पिछला दरवाज़ा नहीं है. सभी एक ही रास्ते से प्रवेश करते हैं – शुद्धिकरण और क्षमा के लिए यीशु की मृत्यु में विश्वास के माध्यम से। इस परिवर्तनकारी अनुभव के लिए बाइबल का शब्द है उद्धार पाए हुये (बचाये गये)  (पद- 9, 13)। आपकी सामाजिक स्थिति या नस्लीय (जातीय) स्थिति या फिर दूसरों की अन्य स्थिति से कोई फ़र्क नहीं पड़ता है। “जैसा कि पवित्रशास्त्र कहता है, ‘जो कोई उस पर विश्वास करेगा, वह लज्जित न होगा। क्योंकि यहूदियों और यूनानियों में कुछ भेद नहीं, इसलिए कि वह सब का प्रभु है और अपने सब नाम लेनेवालों के लिए उदार है ” (पद 11- 12) क्या आप अपने हृदय में यीशु के बारे में बाइबल के संदेश पर विश्वास करते हैं? तो उसके परिवार में आपका स्वागत है! 
-आर्थर जैक्सन