यहोवा ने मुझे दूर से दर्शन देकर कहा है। मैं तुझ से सदा प्रेम रखता आया हूँ; इस कारण मैं ने तुझ पर अपनी करुणा बनाए रखी हैl – यिर्मयाह 31:3

क अज्ञात लेखक ने परमेश्वर के प्रेम का वर्णन जल की उस धारा के रूप में जो कभी जमती नहीं, उस सोते के रूप में जो कभी सूखता नहीं, और सूर्य के रूप में जो कभी अस्त नहीं होता, किया हैl परमेश्वर के अपरिवर्तनीय प्रेम को न पहचान पाने के कारण बहुत से लोग निराशा में चले गए हैंl

प्रार्थना काम करता है इसको सिद्ध करने के लिए हमें अध्ययन की आवश्यकता नहीं है। परमेश्वर का वचन हमें आश्वस्त करता है कि वह कार्य करता है।

डी एल मूडी ने एक बार कहा, “मैं सम्पूर्ण बाइबिल में परमेश्वर के प्रेम के तुल्य ऐसा कोई और सत्य नहीं पाता जिसे हमें ऐसी शक्ति और कोमलता सहित अपने साथ अपने घर लेकर आना चाहिएl शैतान निरंतर लोगों को यह विश्वास दिलाने की कोशिश में लगा रहता है कि प्रभु उनसे प्रेम नहीं करताl वह हमारे प्रथम माता-पिता को इस झूठ पर विश्वास दिलाने में सफल रहा, और बहुत बार वह हमारे साथ भी ऐसा ही करने में सफल हो जाता हैl”

मूडी आगे कहते हैं, “क्योंकि आपका बच्चा चिड़चिड़ा है या उसने आपकी किसी बात को नहीं माना, तो आप उसे घर से तो नहीं निकाल देते, जैसे कि उसका आपके साथ कोई रिश्ता ही नहीं हैl इसी प्रकार से, जब हम भटक जाते हैं तो इसके बाद परमेश्वर हमसे घृणा नहीं करने लगताl वह हमसे नहीं, अपितु पाप से घृणा करता हैl”

परमेश्वर के अनंत प्रेम के विषय में यिर्मयाह ने इस्राएल को जो लिखा, वह आज भी परमेश्वर के लोगों के लिए उतना ही सच हैl वह कभी हमारा हाथ नहीं छोड़ता, और उसकी करुणा कभी हमें निराश नहीं करतीl

हमारी परिस्थितियाँ चाहे कितनी ही विचलित करने वाली क्यों न हों, जीवन फिर भी जीने योग्य है जब हम परमेश्वर के आश्वस्त करने वाले इन वचनों को अपने हृदय में बसाते हैं: “मैं तुझ से सदा प्रेम रखता आया हूँl”

 

कितना अद्भुत है यह जानना कि

वह जो हमें ऊपर से देखता है,

हमेशा रखेगा हमें उसके सर्वदा उपस्थित

प्रेम की छाया मेंl – किंग

मनुष्य का प्रेम सीमाओं में बंधा है; परमेश्वर का प्रेम असीम हैl

पढ़ने के लिए आज का बाइबिल पाठ – यिर्मयाह 31:1-7

“उन दिनों में मैं सारे इस्राएलीकुलों का परमेश्‍वर ठहरूँगा और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे, यहोवा की यही वाणी है।” यहोवा यों कहता है : “जो प्रजा तलवार से बच निकली, उन पर जंगल में अनुग्रह हुआ; मैं इस्राएल को विश्राम देने के लिये तैयार हुआ ।” “यहोवा ने मुझे दूर से दर्शन देकर कहा है : मैं तुझ से सदा प्रेम रखता आया हूँ; इस कारण मैं ने तुझ पर अपनी करुणा बनाए रखी है। हे इस्राएली कुमारी कन्या! मैं तुझे फिर बसाऊँगा; वहाँ तू फिर सिंगार करके डफ बजाने लगेगी, और आनन्द करनेवालों के बीच में नाचती हुई निकलेगी, तू शोमरोन के पहाड़ों पर अंगूर की बारियाँ फिर लगाएगी; और जो उन्हें लगाएँगे, वे उनके फल भी खाने पाएँगे । क्योंकि ऐसा दिन आएगा, जिसमें एप्रैम के पहाड़ी देश के पहरुए पुकारेंगे : ‘उठो, हम अपने परमेश्‍वरयहोवा के पास सिय्योन को चलें।’ ” क्योंकि यहोवा यों कहता है : “याकूब के कारण आनन्द से जयजयकार करो : जातियों में जो श्रेष्‍ठ है उसके लिये ऊँचे शब्द से स्तुति करो, और कहो, ‘हे यहोवा, अपनी प्रजा इस्राएल के बचे हुए लोगों का भी उद्धार कर।’

अंतर्दृष्टि

पद 3 में परमेश्वर के प्रेम के चित्र सच में प्रचुर हैंl यह निरंतर जारी वह प्रेम है (“मैं प्रेम करता आया हूँ”) जो परमेश्वर अपने बच्चों पर भेजता हैl यह अनंत प्रेम है (“सदा का”) जिसका कोई अंत नहीं है, और यह वह प्रेम है जो हमें खींचकर उसके साथ एक सम्बन्ध में जोड़ देता हैl जैसे कि हम यूहन्ना 3:16 में पढ़ते हैं, वे सारी बातें आज भी सच हैं – “क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।”