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Articles by एमी बाउचर पाई

मैं आपको देखता हूँ

एक ऑनलाइन लेखक समूह में जहाँ हम परस्पर सहयोग और प्रोत्साहित करते हैं एक सहेली बोली, “मैं आपको देख सकती हूँ l तनाव और चिंता महसूस करते हुए, मैं उसके शब्दों से शांति और सुख महसूस करती हूँ l उसने मुझे “देखा”-मेरी आशाएँ, भय, संघर्ष, और सपने-और मुझसे प्रेम किया l

अपनी सहेली के सरल किन्तु सामर्थी प्रोत्साहन को सुनकर, मैंने अब्राहम के घर की दासी, हाजिर पर विचार किया l सारै और अब्राम के अनेक वर्षों तक वारिस की चाह में, सारै ने संस्कृति का अनुसरण करके अपने पति से हाजिर द्वारा संतान उत्पन्न करने को कहा l किन्तु हाजिरा गर्भवती होकर सारै को तिरस्कार की निगाहों से देखा, बदले में सारै के दुर्व्यवहार से हाजिरा दूर मरुभूमि की ओर भागी l

प्रभु ने हाजिरा को दुःख और भ्रम में देखकर उसे अनेक वंश देने की प्रतिज्ञा की l इस सामना के बाद, हाजिरा ने प्रभु को “एल रोई,” अर्थात् सर्वदर्शी ईश्वर पुकारा (उत्प. 16:13), क्योंकि उसे मालुम था कि वह अकेली और त्यागी हुई नहीं है l

हाजिरा की तरह हम भी देखे गए और प्रेम प्राप्त किये l मित्र अथवा परिवार द्वारा हम उपेक्षित अथवा अस्वीकृत किये जा सकते हैं, फिर भी हमारा पिता हमारे बाहरी चेहरे को नहीं, किन्तु हमारे समस्त भीतरी भावनाओं और भय को जानता है l वह हमें जीवन देनेवाले शब्द बोलता है l

अदृष्ट नायक

बाइबिल की कहानियाँ हमें रोककर चकित करती हैं l जैसे, मूसा द्वारा प्रतिज्ञात देश में परमेश्वर के लोगों की अगुवाई करते वक्त अमालेकियों के आक्रमण के समय, मूसा को कैसे ज्ञात हुआ कि पहाड़ पर चढ़कर परमेश्वर की लाठी थामनी है? (निर्गमन 17:8-15) l हमें नहीं मालूम, किन्तु हम पाते हैं कि मूसा के हाथ उठाने पर, इस्राएली युद्ध जीतते थे, और नीचे करने पर अमालेकी l मूसा के श्रमित होने पर, उसका भाई हारून और एक अन्य व्यक्ति, हूर, मूसा के हाथों को थामे रहे कि इस्राएली जीत जाएँ l

हमें हूर के विषय अधिक नहीं बताया गया है, किन्तु इस्राएल के इतिहास के इस मुकाम पर उसकी भूमिका महत्वपूर्ण थी l यह हमें ताकीद मिलती है कि अदृश्य नायक विशेष हैं, कि सहयोगी और अगुओं को उत्साहित करनेवाले मुख्य हैं और उपेक्षित भूमिका निभाते हैं l अगुओं का ज़िक्र इतिहास में आएगा या सोशल मीडिया पर उनकी बड़ाई होगी, किन्तु अन्य तरीकों से सेवा करनेवालों की शांत, विश्वासयोग्य साक्षी को प्रभु नज़रंदाज़ नहीं करता l वह मित्रों और परिवार के लिए प्रतिदिन प्रार्थना करनेवालों को देखता है l वह उस स्त्री को देखता है जो रविवार को चर्च में कुर्सियाँ उठाती है l वह प्रोत्साहन के शब्द बोलनेवाले पड़ोसी को देखता है l

परमेश्वर हमारे महत्वहीन कार्य को भी देखता है l और हम किसी भी अदृष्ट मददगार नायक पर ध्यान देकर उसको धन्यवाद दें l

जीवन की श्वास

एक ठंडी और तुषाराच्छादित सुबह में, मेरी बेटी और मैं स्कूल जाते समय, अपने श्वास को भाप में बदलते देखा l हमारे मुहं से निकलनेवाली वाष्पमय बादलों पर हम खिलखिला रहे थे l मैंने उस क्षण को उपहार स्वरूप लिया, उसके साथ आनंद करना और जीवित l

आम तौर पर हमारा अदृश्य श्वास ठंडी हवा में दिखाई दिया, और श्वास और जीवन के श्रोत-हमारा सृष्टिकर्ता प्रभु-के विषय सोचने को कायल किया l आदम को धूल से रचकर उसमें श्वास फूंकनेवाला हमें और समस्त जीवों को जीवन देता है (उत्प. 2:7) l सब वस्तुएँ उसकी ओर से हैं-हमारा श्वास भी, जिसे हम बगैर सोचे लेते हैं l      

इस सुविधा युक्त और तकनीकी संसार में रहते हुए हम हमारे आरंभ को और कि परमेश्वर हमारा जीवनदाता है को भूलने की परीक्षा में पड़ सकते हैं l किन्तु जब हम ठहरकर विचारते हैं कि परमेश्वर हमारा बनानेवाला है, हम अपने दिनचर्या में धन्यवादी आचरण जोड़ सकते हैं l हम दीन, धन्यवादी हृदयों से जीवन के उपहार को स्वीकार करने हेतु उससे सहायता मांग सकते हैं l हमारा धन्यवाद छलक कर दूसरों को स्पर्श करें, ताकि वे भी प्रभु की भलाइयों और विश्वासयोग्यता के लिए उसे धन्यवाद दे सकें l

पाने के लिए खोना

जब मैं अपने अंग्रेज मंगेतर से विवाह करके ग्रेट ब्रिटन में रहने लगी, मैंने सोचा यह विदेश में पंच-वर्षीय रोमांच होगा l मैंने कभी नहीं सोचा कि मैं लगभग बीस वर्षों से यहाँ लगातार रहूँगी, या कभी-कभी इस अहसास के साथ कि मैंने अपने परिवार और मित्र, कार्य, और समस्त परिचित बातों को अलविदा कही थी l किन्तु जीवन के पुराने तरीके छोड़कर, मैंने एक बेहतर जीवन पाया है l

यीशु ने अपने शिष्यों से प्रतिज्ञा की कि जीवन पाने का उल्टा उपहार है, जब हम खोकर पाते हैं l जब उसने बारह शिष्यों को सुसमाचार सुनाने हेतु भेजा, उसने उनसे उसे अपने माता या पिता, बेटा या बेटी से अधिक प्रेम करने को कहा (मत्ती 10:37) l उसके शब्द एक ऐसी संस्कृति में कही गई जहाँ परिवार समाज की आधारशिला थी और अत्यधिक महत्वपूर्ण l किन्तु उसकी प्रतिज्ञा थी कि वे उसके लिए अपना जीवन खोकर, उसे प्राप्त करेंगे (पद.39) l

मसीह में खुद को पाने के लिए हमें विदेश नहीं जाना पड़ेगा l सेवा और समर्पण द्वारा-जैसे शिष्य परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार सुनाने हेतु तैयार थे-हम प्रभु को देने से अधिक प्रभु के उदार प्रेम के कारण अधिक प्राप्त करते हैं l अवश्य ही वह हमसे प्रेम करता है चाहे हम जितनी भी उसकी सेवा करें, किन्तु दूसरों के लिए अपने को समर्पित करके हम संतोष, अर्थ, और तृप्ति पातें हैं l

अंगूठी(Signet ring)

एक नए विदेशी मित्र से मिलने पर मैंने उसकी शानदार अंग्रेजी उच्चारण और उसकी छोटी ऊँगली में अंगूठी देखी l बाद में पता चला कि वह मात्र आभूषण नहीं था; उस पर अंकित परिवार की शिखा पारिवारिक इतिहास बता रही थी l

वह मुद्रिका समान थी-शायद जिस तरह हाग्गै में वर्णित है l इस संछिप्त पुराने नियम की पुस्तक में, नबी हाग्गै परमेश्वर के लोगों से मंदिर के पुनःनिर्माण का आह्वान करता है l वे निर्वासन से अपने देश लौटकर मंदिर का पुनःनिर्माण आरंभ कर चुके थे, किन्तु शत्रु विरोध ने उनकी योजना स्थगित कर दिया था l हाग्गै के सन्देश में यहूदा के अगुआ, ज़रुब्बाबेल को दी गई प्रतिज्ञा भी है, कि एक अंगूठी की तरह वह उसका चुना हुआ और अलग किया हुआ अगुआ है l

प्राचीन काल में, अंगूठी पहचान हेतु उपयोग होती थी l हस्ताक्षर करने की बजाए, लोग अपनी अंगूठी से गरम मोम या मुलायम मिट्टी में निशान लगाते थे l परमेश्वर की संतान होकर, हम भी सुसमाचार फैलाकर, उसके अनुग्रह से पड़ोसी से प्रेम करके, और शोषण को ख़त्म करने में प्रयास करके, संसार पर निशान छोड़ते हैं l

हममें से प्रत्येक का अपना अद्वितीय निशान है  जो हममें परमेश्वर स्वरुप प्रकट करता है और ख़ास वरदान, अनुराग, और बुद्धिमत्ता का मिश्रण दर्शाता है l

हमें परमेश्वर के संसार में अंगूठी की तरह बनने की बुलाहट और अवसर मिला है l

सुननेवाले और करनेवाले

मेरे पासवान, पति का फ़ोन बजा l हमारे चर्च की एक प्रार्थना योद्धा, अकेले रहने वाली 70 वर्ष की एक महिला को हॉस्पिटल ले जाया गया l वह अत्यधिक बीमार होने के कारण खाना पीना छोड़ दी थी और देखने और चलने में भी असमर्थ थी l इस बात से अज्ञात कि उसके साथ क्या होगा हमने उसके लिए परमेश्वर से सहायता और दया मांगी l हम उसके हालचाल के विषय चिंतित थे l चर्च क्रियाशीलता से 24 घंटे उसके सेवा में लग गई और उसके साथ अन्य मरीजों, आगंतुकों और चिकत्सीय कर्मचारियों के साथ मसीही प्रेम दिखाया l

यहूदी मसीहियों को लिखते हुए याकूब ने कलीसिया को ज़रुरतमंदों की सेवा करने हेतु उत्साहित किया l याकूब चाहता था कि विश्वासी परमेश्वर के वचन को सुनने से अधिक अपने विश्वास को कार्य में बदलें (1:22-25) l अनाथों और विधवाओं की ज़रूरतें दर्शाते हुए (पद.27), उसने एक कमज़ोर समूह को नामित किया, क्योंकि प्राचीन संसार में उनकी सेवा परिवार की जिम्मेदारी थी l

हमारी कलीसिया और समाज में जोखिम में पड़े लोगों के प्रति हमारा प्रतिउत्तर क्या है? क्या हम विधवाओं और अनाथों की सेवा को अपने विश्वास के अभ्यास का महत्वपूर्ण भाग मानते हैं? परमेश्वर हर जगह लोगों की सेवा के प्रति हमारी आँखें खोले l

सर्वदा सर्वोत्तम सौदा

कितना पर्याप्त है? हम उस दिन यह प्रश्न पूछ सकते हैं जब अनेक विकसित देश खरीददारी में बिताते हैं l अमरीकी धन्यवाद अवकाश दिन के बाद, काला शुक्रवार, में अनेक दूकान सबेरे खुल जाते हैं और सस्ते में सौदा करते हैं; यह दिन दूसरे देशों में फ़ैल गया है l कुछ ग्राहक सिमित श्रोत के कारण सस्ते में खरीदना चाहते हैं l किन्तु दुर्भाग्यवश, दूसरों के लिए यह लालच ही प्रेरणा है और मोल-तोल हिंसक हो जाती है l

“उपदेशक” (सभो. 1:1) के रूप में पुराने नियम की बुद्धिमत्ता का लेखक उपभोगतावाद की सनक जिसका सामना हम दूकानों में–और अपने हृदयों में करते हैं, का उपचार बताता है l उसके अनुसार, धन प्रेमियों के पास कभी भी प्रयाप्त नहीं होगा और धन उन पर शासन करेगा l  और फिर भी, वे धन विहीन मरेंगे : “जैसा वह माँ के पेट से निकला वैसा ही लौट जाएगा” (5:15) l प्रेरित पौलुस तीमुथियुस की पत्री में उपदेशक की बात दोहराता है, रूपये का लोभ सब प्रकार की बुराइयों की जड़ है, और कि हमें “संतोष सहित भक्ति” (1 तीमु. 6:6-10) का पीछा करना चाहिए है l

बहुतायत अथवा अभाव में, हम अपने परमेश्वर द्वारा आकार दिए हुए अपने हृदयों को अस्वास्थ्यकर वस्तुओं से भरने के तरीके खोज सकते हैं l किन्तु शांति और स्वास्थ्य हेतु प्रभु को देखने पर, वह इसे भलाई और प्रेम से भर देगा l

बलिदानी विश्वास

रविवार की सुबह है, मैं चर्च की फुलवारी में जहाँ मेरे पति पासवान हैं बैठी हूँ l मुझे  फ़ारसी भाषा में प्रशंसा और आराधना संगीत सुनाई दे रहा है l लन्दन के मेरे चर्च में एक जोशपूर्ण ईरानी मंडली इकट्ठी होती है, और हम मसीह के लिए उनके उत्साह से दीन महसूस करते हैं जब वे सताव की कहानियाँ बताते हैं, जैसे अपने वरिष्ठ पासवान के भाई की विश्वास की खातिर शहादत l ये विश्वासी प्रथम शहीद, स्तिफनुस के क़दमों पर चल रहे हैं l

आरंभिक कलीसिया में नियुक्त अगुओं में से एक, स्तिफनुस, ने “बड़े-बड़े अद्भुत काम और चिन्ह” दिखाकर यरूशलेम में ध्यान अर्जित की (प्रेरितों 6:8) और वह यहूदी अधिकारियों के समक्ष लाया गया कि अपने कार्यों का बचाव कर सके l आरोपियों की निर्दयता दर्शाने से पूर्व उसने विश्वास का जोशपूर्ण बचाव किया l किन्तु पश्चाताप करने की बजाए, वे “उसपर दांत पीसने लेगे” (7:54) l उनहोंने उसे नगर से बाहर ले जाकर उसको पत्थरवाह किया-यद्यपि वह उनकी क्षमा हेतु प्रार्थना कर रहा था l  

स्तिफनुस और वर्तमान शहीदों की कहानियाँ हमें याद दिलाती हैं कि लोग मसीह के सन्देश के प्रति क्रूर हैं l अपने विश्वास की खातिर सताए नहीं जाने पर भी हम विश्व की सतायी जानेवाली कलीसियाओं के लिए प्रार्थना करें l और हम कभी भी सताए जाने पर , उससे अनुग्रह पाकर जिसने हमारे लिए अत्यधिक सहा विश्वासयोग्य रहें l

व्यवहारिक प्रेम

“क्या आपके पास कुछ है जो मैं धो सकती हूँ?” मैंने अपने घर में एक मेहमान से पूछा l उनका चेहरा खिल उठा, और उसने अपनी पुत्री से कहा, “अपने गंदे कपड़े ले आओ-एमी हमारे कपड़े धो देगी!” मैं मुस्कराई, यह जानते हुए कि मेरा पेशकश थोड़े वस्तुओं से बढ़कर कहीं अधिक हो गया है l

बाद में रस्सी पर कपड़े फैलाते समय, प्रातः बाइबिल पठन से एक वाक्यांश मेरे मस्तिस्क में आया : “दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्छा समझो” (फिलि. 2:3) l मैं पौलुस की लिखी फिलिप्पियों की पत्री पढ़ रही थी, जिसमें उसने परस्पर सेवा और एकता में मसीह की बुलाहट के योग्य जीवन जीने का आह्वान किया l वे अत्याचार सह रहे थे, किन्तु पौलुस उनसे एक मन रहने को कहा l उसे मालूम था कि उनकी एकता मसीह के साथ रहने और परस्पर सेवा में प्रगट है, जिससे वह अपने विश्वास में ताकतवर रहेंगे l 

हम स्वार्थी इच्छा या व्यर्थ अहंकार के बगैर दूसरों से प्रेम करने का दावा कर सकते हैं, किन्तु व्यवहारिक प्रेम के बिना हमारे हृदय की वास्तविक दशा प्रगट नहीं होगी l यद्यपि मैंने कुड़कुड़ाना चाहा, मसीह का शिष्य होकर, मुझे अपने बुलाहट अनुसार अपना प्रेम मित्रों के सामने दर्शाना था-साफ़ हृदय से l

परमेश्वर की महिमा के लिए हम अपने परिवार, मित्रों, और पड़ोसियों की सेवा का अवसर खोजें l