मैं सब जानता हूँ
निमोनिया और अत्यधिक खाँसी के कारण मेरे पुत्र और बहु मेरे पौत्र, कैमेरोन को हॉस्पिटल ले जाना ज़रूरी समझे l उन्होंने हमसे उनके पाँच-वर्षीय बेटे, नेथन को स्कूल से घर ले जाने का आग्रह किया जिसे हमदोनों करने में खुश थे l
मार्लिन ने नेथन से कार में पूछा, “क्या तुम चकित हो कि आज हम तुम्हें लेने आए?” वह बोला, “नहीं!” पूछने पर कि क्यों नहीं, उसने उत्तर दिया, “क्योंकि मैं सब जानता हूँ!”
एक पाँच-वर्षीय बच्चा सब कुछ जाने का दावा करता है, किन्तु हम बड़े उम्र वाले उससे कुछ बेहतर जानते हैं l हमारे पास अक्सर उत्तर से अधिक प्रश्न होते हैं l हम जीवन के क्यों, कब, और कैसे पर सोचते हैं-अक्सर यह भूलकर कि यद्यपि हम सब कुछ नहीं जानते, हम सर्वज्ञानी परमेश्वर को जानते हैं l
भजन 139:1,3 सर्वज्ञानी परमेश्वर का हमें घेरनेवाला और अतिनिकट प्रेम के विषय बताता है l दाऊद कहता है, “तू ने मुझे जांचकर जान लिया है ... मेरे चलने और लेटने की तू भली-भांति छानबीन करता है, और मेरे पूरे चालचलन के भेद जानता है l” परमेश्वर हमसे सम्पूर्ण प्रेम करता है, आज हम किसका सामना करेंगे पूर्णरूपेण जानता है, और हमारे जीवन की हर परिस्थिति में हमारी पूर्ण मदद करना जानता है l यह जानना कितना आरामदायक है l
हमारा ज्ञान सदा सीमित रहेगा, किन्तु परमेश्वर को जानना ही सर्वाधिक अर्थपूर्ण है l हम उस पर भरोसा रख सकते हैं l
अनंत उद्धारकर्ता
जेरलिन टैली की मृत्यु 2015 में विश्व के सबसे उम्रदराज़ व्यक्ति-116 वर्ष की उम्र में हुई l 1995 में, यरूशलेम शहर अपना 3,000 वां वर्षगाँठ मनाया l एक व्यक्ति के लिए एक सौ सोलह वर्ष, और एक शहर के लिए 3,000 बहुत है, किन्तु कैलिफोर्निया की श्वेत पहाड़ियों के देवदार वृक्षों की उम्र 4,800 वर्ष से भी अधिक होती है यानी कुलपति अब्राहम से भी 800 वर्ष बड़े!
यहूदी नेतृत्व द्वारा यीशु के व्यक्तित्व के विषय चुनौती देने पर, यीशु ने भी खुद को अब्राहम से पहले बताया l यीशु ने कहा, “पहले इसके कि अब्राहम उत्पन्न हुआ, मैं हूँ” (यूहन्ना 8:58) l उसके दृढ़कथन से उसका सामना करनेवाले चकित होकर उसे पत्थरवाह करना चाहा l उनको ज्ञात था कि वह कालानुक्रमिक उम्र की बात नहीं किन्तु परमेश्वर का प्राचीन नाम “मैं हूँ” (निर्ग. 3:14) द्वारा वास्तव में अनंत होने का दावा कर रहा था l वह त्रिएक परमेश्वर का सदस्य होकर, ऐसा दावा कर सकता था l
यूहन्ना 17:3 में, यीशु ने कहा, “ और अनंत जीवन यह है कि वे तुझे एकमात्र सच्चे परमेश्वर को और यीशु मसीह को, ... जानें l अनंत ने समय में प्रवेश किया ताकि हम सर्वदा जीवित रहें l वह हमारे बदले मृत्यु सहकर, पुनरुथित होकर अपना उद्देश्य पूरा किया l उसके बलिदान के कारण, हम अनंत भविष्य की राह देखते हैं, जहाँ हम उसके साथ अनंत बिताएंगे l वह अनंत है l
बांटने योग्य धन
1974 के मार्च में, एक कुआं खोदते समय चीनी किसानों ने चौकानेवाली खोज की l मध्य चीन के सूखी धरती के नीचे लाल भूरे रंग की पकी मिट्टी की सेना (Terracotta Army) मिली-ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी की आदम कद पकी मिट्टी की मूर्तियाँ l इस अद्भुत खोज में लगभग 8,000 सैनिक, 150 अश्वारोही सेना, और 520 घोड़ों द्वारा खींचे जानेवाले 130 रथ l यह टेराकोटा सेना चीन के सैलानी स्थलों में सबसे अधिक प्रसिद्ध है, जिसे लाखों लोग देखने आते हैं l यह अदभुत धन शताब्दियों से छिपा था किन्तु अब संसार के साथ बांटा जा रहा है l
प्रेरित पौलुस ने मसीह के अनुगामियों को लिखा कि उनके अन्दर एक धन है जिसे संसार के साथ बांटना होगा : “वही [ज्योति] हमारे हृदयों में चमकी ... परन्तु हमारे पास वह धन मिट्टी की बरतनों में रखा है” (2 कुरिं. 4:7) l यह धन हमारे अन्दर मसीह और उसके प्रेम का है l
यह धन छिपाने के लिए नहीं बांटने के लिए है कि परमेश्वर के प्रेम और अनुग्रह द्वारा प्रत्येक राष्ट्र के लोग उसके परिवार में शामिल हो सकें l काश हम भी, पवित्र आत्मा की सामर्थ्य में आज किसी के साथ यह धन बाँट सकें l
हमारे प्रावधान का श्रोत
अगस्त 2010 में, संसार की निगाहें कोपिआपो, चिली के एक खनन दस्ते की ओर थी l 33 खनिक 2,300 फीट धरती के नीचे अँधेरे में फंसे थे l उन्हें सहायता की आशा न थी l 17 दिनों के इंतज़ार के बाद बचाव दल ने, खनिकों तक जल, भोजन और दवाईयाँ पहुँचाने के लिए चार सुराख़ बनाए l खनिक ऊपर धरती से इन वाहिकाओं पर अर्थात् बचाव दल के प्रावधान पर निर्भर थे l उनहत्तरवें दिन, बचाव दल ने अंतिम खनिक को सुरक्षित बाहर निकाला l
हममें से हर कोई इस संसार में खुद की सामर्थ के बाहर के प्रावधान पर निर्भर है l संसार का रचनाकार, परमेश्वर हमारी समस्त ज़रूरतें पूरी करता है l उन खनिकों के लिए उन सुराखों की तरह, प्रार्थना समस्त ज़रूरतों की पूर्तिकर्ता से हमें जोड़ता है l
यीशु ने हमें प्रार्थना करने को उत्साहित किया, “हमारी दिन भर की रोटी आज हमें दे” (मत्ती 6:11) l उनके दिनों में रोटी जीवन का बुनियादी भोजन था अर्थात् लोगों की दैनिक ज़रूरत का चिंत्रण l यीशु हमें केवल भौतिक आवश्यकताओं के लिए नहीं किन्तु समस्त ज़रूरतों के लिए प्रार्थना करने को कहता है-सुख,चंगाई,साहस,बुद्धिमत्ता l
हर क्षण उस तक प्रार्थना द्वारा हमारी पहुँच है, और वह हमारे मांगने से पूर्व हमारी ज़रूरत जानता है (पद.8) l आज आप किस से संघर्षरत हैं? “जितने यहोवा को पुकारते हैं ...उन सभों के वह निकट रहता है” (भजन 145:18) ;
तुम उसे क्या कहते हो?
1929 के एक शनिवार संध्या अखबार के साक्षात्कार में, अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा, “बचपन में मैं बाइबिल और तालमूद(यहूदी धर्म साहित्य) दोनों ही की शिक्षा प्राप्त की, किन्तु मैं नासरी . . . . के प्रकाशमान रूप द्वारा सम्मोहित हूँ l कोई भी यीशु की उपस्थिति की वास्तविकता अनुभव किये बगैर सुसमाचारों को नहीं पढ़ सकता l उसका व्यक्तित्व प्रत्येक शब्द में धड़कती है l ऐसे जीवन में कोई मिथ्या नहीं है l”
नया नियम हमें यीशु के देशवासियों का उदहारण देता है जो उसके विषय कुछ विशेष पाते थे l जब यीशु ने अपने अनुयायियों से पुछा, “लोग मनुष्य के पुत्र को क्या कहते हैं?” उनके उत्तर थे कि कुछ यूहन्ना बप्तिस्मा देनेवाला, दूसरे कहते हैं वह एलिय्याह है, और अन्य उसे यिर्मयाह अथवा कोई और नबी (मत्ती 16:14) l इस्राएल के महान नबियों के साथ गिनती वास्तव में एक सम्मान था, किन्तु यीशु को सम्मान नहीं चाहिए था l वह उनकी समझ देखना चाहता था और विश्वास खोज रहा था l इसलिए उसने दूसरा प्रश्न किया : “परन्तु तुम मुझे क्या कहते हो? (16:15) l
पतरस की घोषणा ने पूरी तरह यीशु की पहचान बता दी: “तू जीवते परमेश्वर का पुत्र मसीह है” (पद.16) l
यीशु चाहता है कि हम उसको और उसके बचानेवाले प्रेम को जाने l इसलिए हममें से प्रत्येक को इस प्रश्न का उत्तर देना ही होगा, “आप के लिए यीशु कौन है?”
आप मोल क्या है?
एक कहानी के अनुसार ईसा पूर्व 75 में एक अमीर रोमी युवक, जुलियस सीज़र समुद्री डकैतों द्वारा अगवा कर फिरौती हेतु बंधक बनाया गया l जब उन्होंने फिरौती में चाँदी के 20 तोड़े मांगे (आज लगभग 600,000 डॉलर), सीज़र हंसकर बोला शायद उनको नहीं पता वह कौन है l उसने उनसे फरौती की रकम को 50 तोड़े करने को कहा! क्यों? क्योंकि उसे भरोसा था उसका मूल्य 20 तोड़ों से अधिक है l
सीज़र के अपने अभिमानी मूल्य और हमारे ऊपर परमेश्वर द्वारा ठहराए हुए मूल्य के बीच कितना बड़ा अंतर है l हमारी कीमत पैसे से नहीं किन्तु हमारे एवज़ में परमेश्वर द्वारा किए हुए कार्य से आंकी जाती है l
हमें बचाने के लिए उसे क्या फिरौती देनी पड़ी? पिता ने हमें हमारे पापों से हमें बचाने के लिए क्रूस पर अपने एकलौते पुत्र की मृत्यु द्वारा कीमत चुकायी l “तुम्हारा निकम्मा चाल-चलन जो बापदादों से चला आता है, तुम्हारा छुटकारा चाँदी-सोने अर्थात् नाशवान वस्तुओं के द्वारा नहीं हुआ; पर निर्दोष और निष्कलंक मेमने, अर्थात् मसीह के बहुमूल्य लहू के द्वारा हुआ” (1 पतरस 1:18-19) l
परमेश्वर हमसे इतना प्रेम किया कि उसने हमारी फिरौती और छुटकारे के लिए अपने पुत्र को मरने और पुनरुत्थित होने दिया l उसके लिए आपकी कीमत इतनी बड़ी है l
एक नया उद्देश्य
जेकब डेविस एक परेशान दरजी था l पश्चिमी अमरीका में 1800 के दशक में सोना खोदकर अप्रत्याशित लाभ उठाने की चाहत शीर्ष पर थी और सोने खोदने वालों के पैंट घिसते जाते थे l उसका समाधान? डेविस, लीवाई स्त्रौआस के कपड़े की दूकान से तम्बू बनाने का कपड़ा खरीदकर, उस वजनी, मजबूत सामग्री से पैंट बनाया-और नीले जीन्स बन गए l आज, विश्व में सर्वाधिक लोकप्रिय कपड़ों में अनेक प्रकार के डेनिम जीन्स(लिवाइस जीन्स भी) हैं, और केवल इसलिए कि तम्बू के कपड़े को नया उद्देश्य मिला l
शिमोन और उसके मित्र गलील की झील में मछुआरे थे l तब यीशु आकर उन्हें उसका अनुसरण करने को बुलाया l उसने उनको नया उद्देश्य दिया l अब वे मछली नहीं पकड़ेंगे l जब यीशु ने उनसे कहा, “मेरे पीछे आओ; मैं तुम को मनुष्यों के मछुए बनाऊंगा” (मरकुस 1:17) l
उनके जीवन में इस नए उद्देश्य के साथ, ये लोग यीशु द्वारा सिखाए और प्रशिक्षित किये गए ताकि, उसके स्वर्गारोहण पश्चात क्रूस और मसीह के पुनरुत्थान के सन्देश को लेकर वे परमेश्वर द्वारा लोगों के हृदयों को अपने अधीन करने हेतु उपयोग किये जाएंगे l आज,हम मसीह के प्रेम और उद्धार का सुसमाचार बांटते हुए उसके पद चिन्हों पर चलते हैं l
हमारे जीवन इस प्रेम को घोषित और प्रकट करें, जो दूसरों का जीवन, उद्देश्य, और अनंत गंतव्य बदल सकता है l
आपकी यात्रा
मैं 1960 के उपद्रवी दशक में पला बढ़ा और धर्म की ओर अपनी पीठ फेर दी l मैं सम्पूर्ण जीवन चर्च गया किन्तु एक भयानक दुर्घटना के बाद अपने 20 वर्ष के आरंभ में विश्वास किया l उस समय से, मैंने अपनी व्यस्क अवस्था द्वारा हमारे लिए यीशु का प्रेम दूसरों तक पहुंचाने में लगाया है l यह एक यात्रा…
कैदियों को आज़ादी
जोर्जिया, स्वन्नाह के निकट शक्तिशाली आठवीं एयर फ़ोर्स का राष्ट्रीय आजयबघर घूमते समय, मेरी पत्नी और मैं युद्ध बंदियों की एक प्रदर्शनी देखकर द्रवित हुए, जिसमें जर्मनी के एक युद्ध-बंदी शिविर बैरकों का नमूना बनाया गया था l मार्लीन के पिता, जिम द्वितीय विश्व युद्ध में इस “शक्तिशाली आठवीं” एयर फ़ोर्स में उद्देश्य पूर्ति हेतु यूरोप के ऊपर उड़कर सेवा…