बहत सुन्दर
जब हाईलैंड पार्क, मिशिगन की सड़कों की लाइटें हटा दी गयीं, तो लोगों की तीव्र इच्छा के कारण एक अन्य प्रकाश श्रोत को वहाँ जगह मिल गयी अर्थात् सूर्य l संघर्ष कर रहे शहर के पास जनोपयोगी(utility) सेवा कंपनी को भुगतान करने के लिए धन की कमी थी l बिजली कंपनी ने सड़क की लाइटें बन्द कर दीं और 1,400 बिजली के खम्बों से लाइटबल्ब हटा दिए l इससे निवासी असुरक्षित और अँधेरे में रह गए l एक निवासी ने समाचार समूह को बताया, “अभी कुछ बच्चे स्कूल जा रहे हैं l कोई रोशनी नहीं है l उन्हें केवल सड़क पर चलने का खतरा मोल लेना है l”
यह तब बदल गया जब कस्बे में सौर ऊर्जा से चलने वाली स्ट्रीट लाइटें लगाने के लिए एक गैर-लाभकारी(non-profit) समूह का गठन हुआ l एक साथ काम करते हुए, मानवतावादी संगठन(humanitarian organization) ने एक प्रकाश श्रोत को सुरक्षित करते हुए ऊर्जा बिलों पर शहर का पैसा बचाया, जिससे निवासियों की ज़रूरतों को पूरा करने में मदद मिली l
मसीह में हमारे जीवन में, हमारा भरोसेमंद प्रकाश श्रोत स्वयं यीशु, परमेश्वर का पुत्र है l जैसा कि प्रेरित यूहन्ना ने लिखा, “परमेश्वर ज्योति है और उसमें कुछ भी अंधकार नहीं”(1 यूहन्ना 1:5) l यूहन्ना ने कहा, “यदि जैसा वह ज्योति में है, वैसे ही हम भी ज्योति में चलें, तो एक दूसरे से सहभागिता रखते हैं, और उसके पुत्र यीशु का लहू हमें सब पापों से शुद्ध करता है”(पद.7) l
यीशु ने स्वयं घोषणा की, “जगत की ज्योति मैं हूँ; जो मेरे पीछे हो लेगा वह अंधकार में न चलेगा, परन्तु जीवन की ज्योति पाएगा”(यूहन्ना 8:12) l हमारे हर पग पर परमेश्वर के पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन के साथ, हम कभी भी अन्धकार में नहीं चलेंगे l उसका प्रकाश हमेशा तेज़ चमकता रहता है l
आज्ञाकारिता एक चुनाव/विकल्प है
नीदरलैंड में सर्दियां शायद ही कभी बहुत अधिक बर्फ लाती हैं, लेकिन, अधिक ठण्ड होने पर नहरों पर बर्फ जम जाती है l जब मेरे पति, टॉम, वहाँ बड़े हो रहे थे, तो उनके माता-पिता का पारिवारिक नियम था : “जब तक बर्फ इतनी मोटी न हो जाए कि घोड़े का वजन सह सके, तब तक बर्फ से दूर रहें l” क्योंकि घोड़े अपनी उपस्थिति का सबूत पीछे छोड़ देते थे, टॉम और उसके मित्रों ने सड़क से कुछ खाद/मिट्टी उठाकर पतली बर्फ के सतह पर डाला और उस पर जाने का जोखिम उठाया l उन्हें कोई हानि नहीं पहुँची, न ही किसी को पता चला, परन्तु वे अपने मन में जानते थे कि वे अनाज्ञाकारी थे l
आज्ञाकारिता हमेशा स्वाभाविक रूप से नहीं आती l आज्ञापालन करने या न करने का विकल्प कर्तव्य की भावना या सज़ा के डर से उत्पन्न हो सकता है l लेकिन हम अपने ऊपर अधिकार रखने वालों के प्रति प्रेम और सम्मान के कारण उनकी आज्ञा का पालन करना भी चुन सकते हैं l
यूहन्ना 14 में, यीशु ने यह कहकर अपने शिष्यों को चुनौती दी, “यदि कोई मुझ से प्रेम रखेगा तो वह मेरे वचन को मानेगा, और मेरा पिता उससे प्रेम रखेगा . . . जो मुझ से प्रेम नहीं रखता, वह मेरे वचन नहीं मानता”(पद.23-24) l आज्ञा मानना हमेशा आसान विकल्प नहीं होता है, लेकिन हमारे भीतर रहने वाली आत्मा की सामर्थ्य हमें उसकी आज्ञा मानने की इच्छा और क्षमता देती है(पद.15-17) l उसकी सक्षमता से, हम उसकी आज्ञाओं का पालन करना जारी रख सकते हैं जो हमसे सबसे अधिक प्यार करता है—सजा के डर से नहीं, बल्कि प्रेम से l
मसीह के चरित्र का प्रतिबिम्बन
मेज पर दो चेहरे उभरे हुए थे—एक तेज़ क्रोध से बिगड़ा था, दूसरा भावनात्मक दर्द से विकृत था l पुराने मित्रों के पुनःमिलन में अभी-अभी चीख-पुकार मच गयी थी, जिसमें एक महिला दूसरी महिला को उसके विश्वासों के लिए डांट रही थी l विवाद तब तक जारी रहा जब तक कि पहली महिला रेस्टोरेंट से बाहर नहीं चली गयी, जिससे दूसरी हिल गयी और अपमानित हुयी l
क्या हम सचमुच ऐसे समय में रह रहे हैं जब विचारों में मतभेद बर्दास्त नहीं किया जा सकता? सिर्फ इसलिए कि दो लोग सहमत नहीं हो सकते इसका मतलब यह नहीं है कि उनमें से कोई भी बुरा है l जो वाणी कठोर या अडिग होती है वह कभी भी प्रेरक नहीं होती है, और मजबूत विचारों को शालीनता या करुणा पर हावी नहीं होना चाहिए l
रोमियों 12 “परस्पर आदर [कैसे करें]” और अन्य लोगों के साथ “एक सा मन [कैसे रखें] के लिए एक मार्गदर्शक है (पद.10,16) l यीशु ने संकेत दिया कि उस पर विश्वास करने वालों की पहचान करने वाली विशेषता एक दूसरे के प्रति हमारा प्रेम है (यूहन्ना 13:35) l जबकि अभिमान और क्रोध हमें आसानी से पटरी से उतार सकते हैं, वे उस प्रेम के बिल्कुल विपरीत हैं जो ईश्वर चाहता है कि हम दूसरों को दिखाएँ l
जब हम अपनी भावनाओं पर नियंत्रण खो देते हैं तो दूसरों को दोष न देना एक चुनौती है, लेकिन ये शब्द “जहां तक हो सके, तुम भरसक सब मनुष्यों के साथ मेल मिलाप रखो” हमें दिखाते हैं कि ऐसा जीवन जीने की जिम्मेदारी जो मसीह के चरित्र को प्रतिबिंबित करती है, किसी और तक स्थानांतरित नहीं हो सकती है (रोमियों 12:18) l यह हममें से हर एक के साथ निहित है जो उसका नाम धारण करता है l
यीशु की आशा करना
मेरा मित्र पॉल अपने रेफ्रीजरेटर के मरम्मत के लिए तकनीशियन के आने का इंतजार कर रहा था जब उसने अपने फोन पर उपकरण कम्पनी से एक सन्देश देखा l इसमें लिखा था : “जीसस अपने रास्ते पर हैं और लगभग 11.35 बजे उनके पहुँचने की उम्मीद है l” पॉल को जल्द ही पता चला कि तकनीशियन का नाम वास्तव में जीसस(hay-SOOS) था l
लेकिन हम परमेश्वर के पुत्र यीशु के आने की उम्मीद कब कर सकते हैं? जब वह दो हज़ार वर्ष पहले एक मनुष्य के रूप में आया और हमारे पापों का दण्ड भुगता, तो उसने कहा कि वह वापस आएगा—लेकिन केवल पिता ही उसकी वापसी का सटीक “दिन या घड़ी” जानता था (मत्ती 24:36) l यदि हमें पता चल जाए कि हमारा उद्धारकर्ता पृथ्वी पर वापस आ रहा है तो इससे हमारी दिन-प्रतिदिन की प्राथमिकताओं में क्या अंतर आ सकता है? (यूहन्ना 14:1-3)
यीशु हमें उसकी वापसी के लिए तैयार रहने के लिए आगाह किया : “जिस घड़ी के विषय में तुम सोचते भी नहीं हो, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा l उसने हमें याद दिलाया कि “जागते रहो, क्योंकि तुम नहीं जानते कि तुम्हारा प्रभु किस दिन आएगा” (पद.42) l
यीशु मसीह की वापसी के दिन, हमें सचेत करने के लिए हमारे फोन पर कोई अलर्ट नहीं मिलेगा l तो, हमारे भीतर काम करने वाली आत्मा की सामर्थ्य के द्वारा, आइये प्रत्येक दिन को अनंत काल के सन्दर्भ में जीएं, परमेश्वर की सेवा करें और उसके प्यार और आशा के सन्देश को दूसरों के साथ साझा करने के अवसर का हम लाभ उठाएं l
पैरों का धोना . . और व्यंजन
चार्ली और जान की शादी की पचासवीं सालगिरह पर, उन्होंने अपने बेटे जॉन के साथ एक कैफे में नाश्ता किया। उस दिन, रेस्तरां में बहुत कम कर्मचारी थे, केवल एक प्रबंधक, रसोइया और एक किशोर लड़की थी जो परिचारिका, वेट्रेस और बसर(गंदे बर्तन उठाने और मेज़ साफ करने वाला) के रूप में काम कर रही थी। जैसे ही उन्होंने अपना नाश्ता ख़त्म किया, चार्ली ने अपनी पत्नी और बेटे से कहा, "क्या अगले कुछ घंटों में आपके लिए कोई महत्वपूर्ण काम होने वाला है?" उनके पास कुछ भी नहीं था.
इसलिए, मैनेजर की अनुमति से, चार्ली और जान ने रेस्तरां के पीछे बर्तन धोना शुरू कर दिया, जबकि जॉन ने अव्यवस्थित टेबलों को साफ करना शुरू कर दिया। जॉन के अनुसार, उस दिन जो हुआ वह वास्तव में उतना असामान्य नहीं था। उनके माता-पिता ने हमेशा यीशु का उदाहरण पेश किया था जो "सेवा कराने नहीं, बल्कि सेवा कराने आए थे" (मरकुस 10:45)।
यूहन्ना 13 में, हम मसीह द्वारा अपने शिष्यों के साथ साझा किये गये अंतिम भोजन के बारे में पढ़ते हैं। उस रात, शिक्षक ने उनके गंदे पैर धोकर उन्हें विनम्र सेवा का सिद्धांत सिखाया (पद14-15)। यदि वह एक दर्जन पुरुषों के पैर धोने का नीच काम करने को तैयार था, तो उन्हें भी खुशी-खुशी दूसरों की सेवा करनी चाहिए।
हमारे सामने आने वाली सेवा का प्रत्येक मार्ग अलग-अलग दिख सकता है, लेकिन एक बात समान है: सेवा करने में बहुत आनंद है। सेवा के कार्यों के पीछे का उद्देश्य उनका प्रदर्शन करने वालों की प्रशंसा करना नहीं है, बल्कि सारी स्तुति हमारे विनम्र, आत्म-त्यागी ईश्वर की ओर निर्देशित करते हुएप्रेमपूर्वक दूसरों की सेवा करनाहै ।
अंधकार और ईश्वर का प्रकाश
जब ऐलेन को विकसित कैंसर का पता चला, तो वह और उसके पति चक जानते थे कि उसे यीशु के पास जाने में देर नहीं लगेगा। उन दोनों ने भजन 23 की प्रतिज्ञा को संजोया कि जब वे अपने चौवन वर्षों के साथ की सबसे गहरी और सबसे कठिन घाटी से यात्रा करेंगे तब परमेश्वर उनके साथ रहेगा। उन्होंने उस तथ्य पर आशा किया कि ऐलेन यीशु से मिलने के लिए तैयार थी, क्योंकि उसने दशकों पहले यीशु में अपना विश्वास रखी थी।
अपने पत्नी के स्मारक सभा में, चक ने साझा किया कि वह अभी भी "घोर अंधकार से भरी हुई तराई में” यात्रा कर रहा था (भजन 23:4)। उसकी पत्नी का जीवन स्वर्ग में पहले ही शुरू हो गया था। लेकिन
"घोर अंधकार" अभी भी उसके और अन्य लोगों के साथ था जो ऐलेन से बहुत प्यार करते थे।
जब हम “घोर अंधकार से भरी हुई तराई में” यात्रा करते हैं, तो हम अपने प्रकाश के स्रोत को कहाँ ढूँढ़ सकते हैं? प्रेरित यूहन्ना ने घोषणा किया की कि “परमेश्वर ज्योति है और उसमें कुछ भी अंधकार नहीं” (1 यूहन्ना 1:5)। और यूहन्ना 8:12 में, यीशु ने घोषणा की : “जगत की ज्योति मैं हूँ; जो मेरे पीछे हो लेगा, वह अंधकार में न चलेगा, परन्तु जीवन की ज्योति पाएगा।”
यीशु में विश्वासियों के रूप में, हम (उसकी) उपस्थिति के प्रकाश में चलते हैं" (भजन संहिता 89:15)। हमारे परमेश्वर ने हमारे साथ रहने और हमारे प्रकाश का स्रोत बनने का वादा किया है, भले ही हम घोर अंधकार में से होकर गुज़रें।
हिम्मत मत हारो
मुझे ऐसा समय याद नहीं है जब मेरी माँ डोरोथी अच्छी सेहत में थीं। कई वर्षों तक एक गंभीर मधुमेह रोगी के कारण उनका ब्लड शुगर अत्यधिक अनियमित था। परेशानियां बढ़ गई और उनकी क्षतिग्रस्त किडनी के लिए स्थायी डायलिसिस की आवश्यकता पड़ी। न्यूरोपैथी और टूटी हड्डियों के परिणामस्वरूप व्हीलचेयर का उपयोग करना पड़ा। और धीरे धीरे उनकी आंखों की रौशनी इतनी कम हो गई कि अन्धापन होने लगा।
लेकिन जैसे-जैसे उनके शरीर ने काम करना बंद कर दिया, माँ का प्रार्थना जीवन और अधिक सशक्त हो गया। वह दूसरों के लिए परमेश्वर के प्रेम को जानने और अनुभव करने के लिए प्रार्थना करने में घंटों बिताती थी। पवित्रशास्त्र के अनमोल वचन उन्हें और भी मधुर लगने लगे। इससे पहले कि उनकी आँखों की रोशनी कम हो जाए, उन्होंने अपनी बहन मार्जोरी को एक पत्र लिखा जिसमें 2 कुरिन्थियों 4 के शब्द शामिल थे: “इसलिए हम हियाव नहीं छोड़ते; यद्यपि हमारा बाहरी मनुष्यत्व नष्ट होता जाता है तो भी हमारा भीतरी मनुष्यत्व दिन प्रतिदिन नया होता जाता है” पद 16)।
प्रेरित पौलुस जानते थे कि "हिम्मत हारना" कितना आसान है। 2 कुरिन्थियों 11 में, वह अपने जीवन में खतरे, दर्द और अभाव के कष्ट का वर्णन करते है - (पद- 23-29)। फिर भी उन्होंने उन "परेशानियों" को अस्थायी माना और जो हम देख सकते हैं सिर्फ उसके बारे में सोचने के लिए ही नहीं बल्कि जो हम नहीं देख सकते उसके बारे में भी सोचने के लिए हमें प्रोत्साहित किया - जो शाश्वत है (4:17-18)।
हमारे साथ जो कुछ भी हो रहा है उसके बावजूद, हमारे प्यारे पिता हर दिन हमारे आंतरिक नवीनीकरण को जारी रख रहे हैं। हमारे बीच उनकी मौजूदगी निश्चित है.' प्रार्थना के उपहार के माध्यम से, वह केवल एक सांस की दूरी पर है। और हमें मजबूत करने और हमें आशा और खुशी देने के उनके वादे सच्चे हैं।
प्रतिज्ञा पूरी हुई
जब मैं बच्चा था तो प्रत्येक गर्मियों में, मैं अपने दादा-दादी के साथ एक सप्ताह की छुट्टियाँ मनाने के लिए दो सौ मील की यात्रा किया करता था। मुझे बाद में जाकर यह पता चला कि मैंने उन दोनों से जिन्हें मैं प्रेम करता था कितना ज्ञान प्राप्त किया था। उनके जीवन के अनुभव और परमेश्वर के साथ उनके करीबी सम्बन्ध ने उन्हें ऐसे-ऐसे दृष्टिकोण प्रदान किए थे जिनकी अभी तक भी मेरा युवा मन कल्पना नहीं कर सकता था। परमेश्वर की विश्वासयोग्यता के बारे में उनके साथ हुई बातचीत ने मुझे इस बात के लिए आश्वस्त किया कि परमेश्वर भरोसेमंद है और अपने द्वारा की गई हर प्रतिज्ञा को पूरा करता है।
जब एक स्वर्गदूत यीशु की माता, मरियम से मिलने आया तो उस समय पर वह एक किशोरी थी। जिब्राईल के द्वारा लाया गया वह अविश्वसनीय समाचार अभिभूत करने वाला रहा होगा, फिर भी उसने अनुग्रह के साथ उस कार्य को स्वेच्छा से स्वीकार कर लिया (लूका 1:38)। लेकिन शायद उनकी बुजुर्ग रिश्तेदार इलीशिबा से मुलाकात - जो एक चमत्कारी गर्भावस्था के बीच में थी (कुछ विद्वानों का मानना है कि वह साठ साल की रही होगी) - उन्हें आराम मिला क्योंकि इलीशिबा ने जिब्राईल के शब्दों की उत्साहपूर्वक पुष्टि की कि वह प्रतिज्ञा किए गए बच्चे मसीहा की मां थीं। (पद 39-45)।
जैसे-जैसे हम मसीह में बढ़ते और परिपक्व होते जाते हैं, जैसे मेरे दादा-दादी करते थे, वैसे-वैसे हम सीखते जाते हैं कि वह अपनी प्रतिज्ञाओं को पूरा करता है। उसने इलीशिबा और उसके पति जकर्याह के लिए एक संतान की अपनी प्रतिज्ञा को पूरा किया (पद 57-58)। और वह पुत्र, अर्थात् यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला, उस प्रतिज्ञा का अग्रदूत (संदेशवाहक) बना जो सैकड़ों वर्ष पहले की गई थी, अर्थात् वह प्रतिज्ञा जो मनुष्यजाति के भविष्य की दिशा को बदल देगी। प्रतिज्ञा किया हुआ मसीहा, अर्थात् संसार का उद्धारकर्ता, आ रहा है! (मत्ती 1:21–23)
सन्नाटा के लिए कमरा
यदि आप अमेरिका में, एक शांतिपूर्ण और सुनसान जगह ढूँढ रहें हैं, मिनियापोलिस, मिन्नेसोटा में एक कमरा है, जिसे आप पसंद करोगे। यह सब आवाज का 99.99% सोख लेता है! ऑरफ़ील्ड प्रयोगशालाओं के विश्व प्रसिद्ध एनेकोइक (प्रतिध्वनि-मुक्त) कक्ष को "पृथ्वी पर सबसे शांत स्थान" कहा गया है। जो लोग इस ध्वनि रहित स्थान का अनुभव करना चाहते हैं उन्हें शोर की कमी से विचलित होने से बचने के लिए बैठना आवश्यक है, और कोई भी कभी भी कमरे में पैंतालीस मिनट से अधिक नहीं बिता पाया है।
हममें से कुछ लोगों को इतना सन्नाटा चाहिए। फिर भी हम कभी-कभी शोर-शराबे और व्यस्त दुनिया में थोड़ी शांति के लिए तरसते हैं। यहां तक कि जो समाचार हम देखते हैं और जो सोशल मीडिया पर देखते हैं, वे भी एक प्रकार का कोलाहलपूर्ण "शोर" लाता हैं जो हमारे ध्यान के लिए लड़ता है। इसका अधिकांश भाग ऐसे शब्दों और छवियों से भरा हुआ है जो नकारात्मक भावनाओं को उत्तेजित करता हैं। इसमें खुद को डुबाना परमेश्वर के आवाज को आसानी से दबा सकता है।
जब भविष्यद्वक्ता एलिय्याह होरेब पर्वत पर परमेश्वर से मिलने गया, तो उसने उसे तेज, प्रचण्ड आँधी, या भूकंप या आग में नहीं पाया (1 राजा 19:11-12)। यह तब तक नहीं था जब एलिय्याह को "धीमा शब्द सुनाई दिया" उसने अपना चेहरा ढँक लिया और "सर्वशक्तिमान परमेश्वर यहोवा" से मिलने के लिए गुफा से बाहर निकला (पद. 12-14)।
हो सकता है आपका आत्मा शांत रहने के लिए तरस रहा है, लेकिन इससे भी ज्यादा—यह परमेश्वर का आवाज़ सुनने के लिए तड़प रहा है। हो सकता है कि आपकी आत्मा शांत रहने के लिए तरस रही हो, लेकिन इससे भी ज्यादा—यह परमेश्वर की आवाज़ सुनने के लिए तड़प रही हो। अपने जीवन में सन्नाटा के लिए कमरा खोजें ताकि आप परमेश्वर के "धीमे शब्द " (पद. 12) से कभी भी न चूकें।