“क्या है” का देश
2002 में अपनी सत्रह-वर्षीय बेटी मेलेस्सा को एक कार दुर्घटना में खोने के इतने वर्षों बाद भी, मैं खुद को कभी-कभी “क्या अगर” के संसार में जाता हुआ महसूस करता हूँ l दुःख में, जून की उस शाम की उस दुखद घटना के विषय पुनः कल्पना करना सरल है, कि-यदि सब ठीक हो जाता-मेलेस्सा सुरक्षित घर लौटती होती l
यद्यपि, वास्तविकता में, हममें से किसी के लिए “क्या अगर” के देश में होना अच्छा स्थान नहीं है l यह पछतावा का, दूसरी बार अनुमान लगाने का, और नाउम्मीदी का स्थान है l यद्यपि दुःख वास्तविक है और शोक बना रहता है, जीवन बेहतर है और परमेश्वर महिमान्वित होता है जब हम “क्या है” के संसार में बसते हैं l
उस संसार में, हम आशा, प्रोत्साहन, और सुख पाते हैं l हमारे पास निश्चित आशा है (1 थिस्स. 4:13)-ख़ास भरोसा-कि क्योंकि मेलेस्सा यीशु से प्रेम करती थी वह ऐसे स्थान में है “जो बहुत अच्छा है” (फ़िलि. 1:23) l हमारे पास समस्त सुख के परमेश्वर की सहायक उपस्थिति है (2 कुरिं. 1:3) l हमारे पास “संकट में अति सहज से [मिलनेवाली] परमेश्वर की [सहायता] है (भजन 46:1) l और अक्सर सहविश्वासियों का प्रोत्साहन हमारे साथ है l
हम सब जीवन के दुःख से दूर रहना चाहते हैं l किन्तु कठिन समय आने पर, परमेश्वर पर भरोसा करने से हमें मदद मिलती है, जो क्या है के देश में हमारी निश्चित आशा है l
सब त्याग दें
कॉलेज बास्केटबॉल खेलते समय, मैंने हरेक खेल के मौसम में अभिज्ञ निर्णय किया कि मैं जिम में जाकर अपने को पूरी तरह कोच के अधीन करूँगा-कोच की आज्ञानुसार सब करूँगा l
मेरे टीम के लिए यह बोलना लाभकारी नहीं होता, “हे कोच! मैं यहाँ हूँ l मैं बास्केट में बाल डालना चाहता हूँ और बाल को आगे ले जाना चाहता हूँ, किन्तु मुझसे बाल लेकर दौड़ने, बचाव करने और पसीना बहाने को न कहें !”
टीम की भलाई के लिए प्रत्येक सफल खिलाड़ी को कोच की बातों पर पर्याप्त् भरोसा करना होगा l
मसीह में, हमें परमेश्वर का “जीवित बलिदान” बनना होगा (रोमियों 12:1) l हम अपने उद्धारकर्ता और प्रभु से बोलते हैं : “मैं आप पर भरोसा करता हूँ l जो भी आप मुझे आज्ञा देंगे, मैं करूँगा l” तब वह हमें हमारे मस्तिष्क को उसकी इच्छित वस्तुओं पर केन्द्रित होने के लिए “रूपांतरित” करता है l
यह जानना सहायक होगा कि परमेश्वर वही हमसे करवाता है जिसके लिए सज्जित किया है l जैसे पौलुस याद दिलाता है, “उस अनुग्रह के अनुसार जो हमें दिया गया है, हमें भिन्न-भिन्न वरदान मिले हैं” (पद.6) l
जानते हुए कि हम अपने जीवनों में परमेश्वर पर भरोसा कर सकते हैं, हम अपना जीवन उस पर निछावर कर सकते हैं, यह जानकार कि उसने हमें बनाया और उसके लिए समस्त प्रयास में हमारी मदद करता हैं l
पुराना तौभी नया
2014 में, कनटकी में राष्ट्रीय कोरवेट आजायबघर में अचानक धरती में बना एक बड़ा गड्ढा आठ पुराने, अनमोल शेवेरले कोरवेट स्पोर्ट्स कारों को लील गया l कुछ तो मरम्मत करने लायक ही नहीं रहीं l
1992 में बनी, समूह की सबसे कीमती दस-लाखवां कोरवेट कार पर विशेष ध्यान दिया गया l जो उस सर्वोत्तम कृति के साथ हुआ चिताकर्षक था l विशेषज्ञों ने उस कार के मूल भागों का मरम्मत करके उसको उसके मूल रूप में ला दिया l यद्यपि यह छोटी खूबसूरती बहुत ख़राब आकार में थी, वर्तमान में बिल्कुल नयी दिखाई देती है, मानो अभी बनकर आई हो l
पुराना और टूटा हुआ नया बना दिया गया l
हमारे लिए बड़ी ताकीद है कि यीशु में विश्वसियों के लिए परमेश्वर ने ऐसा ही रखा है l प्रकाशितवाक्य 21:1 में यूहन्ना “नए आकाश और नयी पृथ्वी” की बात करता है l अनेक बाइबिल विद्वान “नयी” पृथ्वी को नूतन पृथ्वी के रूप में देखते हैं, क्योंकि नयी शब्द का उनका अध्ययन बताता है कि उसका अर्थ “नूतन” या “नवीकरण” कर देना है, जब पुराने की खराबी मिटा दी गई है l इस पृथ्वी की विकृति को परमेश्वर ठीक कर देगा और नूतन बनाएगा, फिर भी एक परिचित स्थान जहाँ विश्वासी उसके साथ रहेंगे l
एक नयी, आरामदायक, परिचित, और खुबसूरत पृथ्वी के विषय विचार करना कितनी अद्भुत सच्चाई है l परमेश्वर की हस्तकला की विभूति की कल्पना करें l
आज वह दिन है
मेरी पूर्वस्कूली नातिन मैगी और उसकी KG क्लास में पढ़नेवाली बहन केटी घर के पीछे कम्बल तम्बू बनाकर खेलने के लिए अनेक कम्बल ले गए l दोनों कुछ समय तक बाहर थे जब माँ ने मैगी को उसे बुलाते सुना l
“माँ, जल्दी आइये!” मैगी चिल्लाई l “मैं यीशु को अपने हृदय में बुलाना चाहती हूँ, और मुझे आपकी सहायता चाहिए l प्रत्यक्ष तौर पर उसने अपने जीवन में यीशु की ज़रूरत महसूस किया, और वह उसमें विश्वास करने को तैयार थी l
मैगी का यीशु पर भरोसा हेतु सहायता माँगना 2 कुरिन्थियों 6 में उद्धार के लिए पौलुस के शब्द याद दिलाते हैं l वह यीशु मसीह की-मृत्यु और पुनरुत्थान के साथ-उसके आने की सत्यता पर चर्चा कर रहा था, एक युग का आरंभ जिसे वह “[परमेश्वर की प्रसन्नता का समय” कहता है l हम ऐसे ही युग में रहते हैं, उद्धार अभी उपलब्ध है l उसने कहा, “देखो, अभी वह प्रसन्नता का समय है; देखो, अभी बह उद्धार का दिन है” (पद.2) l यीशु से क्षमा प्राप्ति हेतु विश्वास नहीं करनेवाले हर एक के लिए ऐसा करने का समय अभी है l यह अत्यावश्यक है l
शायद पवित्र आत्मा ने यीशु में विश्वास करने हेतु आपकी ज़रूरत आपको बता दी है l मैगी की तरह, इसे दूर न करें l यीशु के पास जाएं l आज वह दिन है!
घेरनेवाली आवाज़(Surround Sound)
वाल्ट डिज़नी ने सर्वप्रथम चलचित्र की आवाज़ सुनने का स्टीरियोफोनिक धवनि” या सराउंड साउंड प्रस्तुत किया क्योंकि निर्माता चाहते थे कि दर्शक संगीत एक नए ढंग से सुने l
किन्तु “सराउंड साउंड” का उपयोग हजारों वर्ष पहले, नहेम्याह ने यरूशलेम की पुनःनिर्मित दीवार के समर्पण के समय किया था l “मैं ने यहूदी हाकिमों [के] ... दो बड़े दल ठहराए, जो धन्यवाद करते हुए ... चलते थे,” उसने कहा (नहे. 12:31) l दो संगीत समूह दक्षिण की ओर, अर्थात् कूड़ाफाटक की ओर ... चले l एक बांयीं ओर और दूसरा दाहिनी ओर चला, और उन्होंने यरूशलेम की शहरपनाह को स्तुति से घेर लिया (पद. 31, 37-40) l
संगीत समूहों ने लोगों को आनंद करने में अगुवाई की क्योंकि “परमेश्वर ने उनको बहुत ही आनंदित किया था” (पद.43) l वास्तव में, उनके आनंद की ध्वनि दूर दूर तक फ़ैल गई (पद.43) l
उनकी प्रशंसा परमेश्वर की सहायता का परिणाम था क्योंकि लोग सम्बल्लत जैसे शत्रुओं के विरोध पर विजय पाकर दीवार को पुनःनिर्मित किया था l परमेश्वर ने हमें क्या दिया है जिससे आनंद और प्रशंसा उमड़ता है? परमेश्वर का हमारे जीवनों में स्पष्ट मार्गदर्शन? या हमारा एकमात्र उपहार : उद्धार?
शायद हम अपनी प्रशंसा से “सराउंड साउंड” नहीं रच सकते, किन्तु हम परमेश्वर द्वारा प्राप्त “महान आनंद” में आनंदित हों l तब दूसरे हमें परमेश्वर की प्रशंसा करते सुनकर हमारे जीवनों में उसके कार्य देख सकते हैं l
भलाई
दो किशोरियों की कल्पना करें l एक मजबूत और स्वस्थ्य है l दूसरी असहाय l वह अपने व्हीलचेयर में जीवन की सामान्य भावनात्मक चुनौतियों के साथ अनेक शारीरिक तकलीफ और संघर्ष से भी जूझती है l
किन्तु दोनों परस्पर संगति का आनंद लेती हुई खुश हैं l दो खुबसूरत किशोरियाँ-प्रत्येक दूसरे में मित्रता का खज़ाना देखती हैं l
यीशु ने अपना अधिक समय और ध्यान ऐसे लोगों में लगाया जो व्हीलचेयर में लड़की की तरह थे l आजीवन असक्तता अथवा शारीरिक विकलांगता वाले लोगों के साथ जिनको विभिन्न कारणों से नीचा देखा जाता था l वास्तव में, यीशु ने धार्मिक अगुओं की घृणा के पात्र “उनमें से” एक को उसे अभियंजित करने दिया (लूका 7:39) l एक और अवसर पर, जब एक स्त्री ने समान क्रिया द्वारा प्रेम दर्शाया, यीशु ने उसके आलोचक से कहा, “उसे छोड़ दो; ..उस ने तो मेरे साथ भलाई की है” (मरकुस 14:6) l
परमेश्वर सबको समान महत्व देता है; उसकी नज़रों में सब बराबर हैं l वास्तव में, हम सभों को मसीह के प्रेम और क्षमा की घोर आवश्यकता है l उसके प्रेम ने उसे हमारे लिए क्रूस पर मरने को विवश किया l
हम भी यीशु की तरह प्रत्येक को देखें : और परमेश्वर के स्वरुप में रचित और उसके प्रेम के योग्य l मसीह के समान हम सब के साथ बराबरी का व्यवहार करें और उसकी तरह भलाई देखें l
हमें मालूम न था
एक स्थानीय कलीसिया के स्वयंसेवकों ने एक ठण्डी शाम को निम्न-आय वाले लोगों के भवन-समूहों में भोजन वितरण किया l एक स्त्री भोजन पाकर उल्लासित हुई l उसने अपनी खाली आलमारी दिखाकर उनसे कहा कि वे उसकी प्रार्थनाओं के उत्तर थे l
स्वयंसेवकों के चर्च लौटने पर एक महिला रोने लगी l “जब मैं छोटी थी,” उसने कहा, “वह महिला मेरी सन्डे स्कूल शिक्षिका थी l वह प्रत्येक रविवार चर्च आती है l हमें मालूम न था कि वह लगभग भूखी मर रही है!”
स्पष्तः: वे लोग चिंता करनेवाले लोग थे जो परस्पर बोझ उठाना चाहते थे, जैसे पौलुस गलातियों 6:2 में सलाह देता है l फिर भी उन्होंने स्त्रियों की ज़रूरतों पर ध्यान नहीं दिया था-जिसको वे प्रति रविवार देखते हैं-और उसने अपनी ज़रूरतें नहीं बताई थी l यह हमारे लिए अपने चारों-ओर के प्रति और अभिज्ञ रहने की कोमल ताकीद हो सकती है और, जैसे पौलुस कहता है, “जहां तक, अवसर मिले हम सब के साथ भलाई करें, विशेष करके विश्वासी भाइयों के साथ” (6:10) l
एक साथ उपासना करनेवालों को परस्पर सहायता करने का अवसर है ताकि मसीह की देह में कोई सहायता विहीन न रहे l जब हम एक दूसरे को जानते और चिंता करते हैं, शायद हमें कभी नहीं कहना पड़ेगा, “हमें मालूम न था l”
यह कभी खाली नहीं होता
सेवा निवृत होनेवाली एक मित्र से उनके जीवन के अगले पड़ाव के विषय पूछने पर वह बोली, “मुझे निश्चित करना होगा कि मेरे पास पैसा हो l” अगले दिन अपने वित्तीय सलाहकार से बातचीत करते समय उसने मुझे समझाया किस तरह मैं पैसे के अभाव से बच सकता हूँ l निःसंदेह, हम अपने बाकी जीवन की ज़रूरतों के लिए श्रोत…
इवी का निर्णय
25 अमरीकी किशोर में इवी हाई स्कूल गायक-मण्डली में एक थी जिसने एक भिन्न संस्कृति और पीढ़ी के लोगों में गाने, साक्षी देने, और परमेश्वर का प्रेम प्रगट करने गई l और इवी के लिए, उस दौरे का एक दिन विशेषकर यादगार और आनंदपूर्ण था l
उस दिन, गायक-मण्डली एक नर्सिंग-होम में गाने और आवासियों से मिलने गए l गाने…