“मैं सचमुच भयभीत हूँ l” एक किशोरी ने अपने फेसबुक मित्रों को आनेवाले अपने कुछेक मेडिकल जांच के विषय एक मार्मिक नोट भेजा l वह अपने घर से तीन घंटे की दूरी पर हॉस्पिटल में भर्ती अनेक जांच से निकल रही थी और व्याकुलता से इंतज़ार कर रही थी जब डॉक्टर्स उसकी गंभीर चिकित्सीय समस्याओं की जड़ जानने की कोशिश में लगे थे l

हममें से किसने अपने युवावस्था अथवा बाद के वर्षों में वास्तव में भयभीत करने वालीं अनिच्छित जीवन घटनाओं का सामना नहीं किया होगा? और हम सहायता के लिए किसकी ओर मुड़ सकते हैं? हमें इन परिस्थितियों में साहस के लिए वचन में कैसी शांति मिलती है?

यह सच्चाई कि परमेश्वर हमारे संघर्षों में साथ रहकर मदद करेगा हमें आशा दे सकती है l यशायाह 41:13 हमसे कहता है, “क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर यहोवा, तेरा दाहिना हाथ पकड़कर कहूँगा, ‘मत डर, मैं तेरी सहायता करूँगा l’”

इसके साथ, प्रार्थना में अपनी वर्तमान कठिनाइयां परमेश्वर के समक्ष प्रस्तुत करने पर वह हमें अवर्णनीय, हृदय की सुरक्षा करने वाली शांति देगा (फ़िलि. 4:6-7) l

हम परमेश्वर की विजयी उपस्थिति और उसकी शांति जो “सारी समझ से परे है” (पद.7), के द्वारा वास्तव में भयभीत करनेवाली स्थितियों को सहने के लिए आशा और मदद पा सकते हैं l