Month: जून 2017

बढ़ने का समय

पिछले बसंत में मैं अपने घर के पीछे. दरवाजे के निकट गुलाब के पौधे को काट डालना चाहा l पिछले तीन वर्षों तक वह खिला नहीं था और उसकी बदसूरत फलहीन टहनियाँ चारों ओर फ़ैल रहीं थीं l

जीवन की व्यस्तता में बागवानी विलंबित हो गई l कुछ सप्ताह बाद गुलाब का वह पौधा फूलों से भर गया l सैकड़ों बड़े-बड़े सफ़ेद खुशबुदार गुलाब, मेरे दरवाजे के ऊपर लटके हुए थे, और मेरे आँगन में खुबसूरत पंखुड़ियां बिखरी हुई थीं l

मेरे गुलाब के पौधे के पुनर्जीवन ने लूका 13:6-9 में अंजीर के पेड़ के विषय यीशु का दृष्टान्त याद दिलाया l इस्राएली अंजीर के पेड़ को फल उत्पन्न करने के लिए तीन वर्ष देते थे l  फलहीन होने पर उन्हें काट दिया जाता था कि भूमि का उपयोग हो सके l यीशु की कहानी में, माली ने स्वामी से एक ख़ास पेड़ के फलवंत होने के लिए चौथा वर्ष माँगा l सन्दर्भ में, (पद.1-5), अर्थ यह है : इस्राएलियों ने गलत जीवन जीया था, और परमेश्वर उनका न्याय कर सकता था l किन्तु परमेश्वर ने धीरज रखकर उनको उसकी ओर मुड़कर, क्षमा प्राप्त करने और फलने का अतिरिक्त समय दिया l

परमेश्वर चाहता है कि सब फलवंत हों और उसने अतिरिक्त समय दिया है l चाहे हम अभी भी विश्वास की ओर बढ़ रहें हैं अथबा अविश्वासी परिजनों और मित्रों के लिए प्रार्थना कर रहें हैं, उसका धीरज हम सब के लिए शुभसमाचार है l

व्यवहारिक विश्वास

किराने की दूकान जाते समय मेरी सहेली को लगा जैसे सड़क किनारे जाती स्त्री को अपने कार में बैठा लूँ l कार में बैठाने के बाद, उसने जाना कि पैसे नहीं होने के कारण वह गर्म और आर्द्र वातावरण में अनेक मील पैदल चलकर वापस अपने घर जा रही थी l केवल वह पैदल लम्बी यात्रा करके घर ही नहीं जा रही थी किन्तु उसी दिन अनेक घंटे चलकर प्रातः 4 बजे अपने काम पर भी पहुंची थी l

उस स्त्री को अपनी कार में बैठाकर मेरी सहेली ने आज के सन्दर्भ में याकूब के मसीहियों को अपने कार्यों द्वारा अपने विश्वास को प्रगट करने का निर्देश पूरा किया : “विश्वास भी, यदि कर्म सहित न हो तो अपने स्वभाव में मरा हुआ है” (पद.17) l उसकी चिंता थी कि कलीसिया विधवाओं और अनाथों की देखभाल करें (याकूब 1:27), किन्तु वह यह भी चाहता था कि वे मात्र शब्दों पर नहीं किन्तु विश्ववास पर चलकर प्रेम के कार्य करें l

हम अपने कर्मों से नहीं विश्वास से बचाए गए हैं, किन्तु हम दूसरों से प्रेम करके और उनकी ज़रूरतों को पूरा करके विश्वास को प्रगट करते हैं l इस जीवन में साथ चलते हुए, काश हम भी, मेरी सहेली की तरह, ज़रुरतमंदों के प्रति सजग रहें जिन्हें हमारी मदद चाहिए l

अपूर्ण कार्य

अपनी मृत्यु के बाद, महान शिल्पकार माइकलएंजलो ने अनेक अपूर्ण योजनाएँ छोड़ गए l किन्तु उनकी चार मुर्तिकलाएँ समाप्त नहीं हो सकती थीं l The Bearded Slave, the Atlas Slave, the Awakening Slave, और the Young Slave, जो अपूर्ण दिखाई देने के बावजूद, वैसे ही हैं जैसा माइकलएंजलो चाहते थे l कलाकार बताना चाहता था कि सर्वदा दासत्व में रहने का भाव कैसा होता है l

बेड़ियों में जकड़ी प्रतिमाएँ गढ़ने की अपेक्षा, माइकलएंजलो ने प्रतिमाओं को गढ़ते समय उन्हें उस चट्टान में ही फंसा दिखाया जिसमें से वे गढ़े गए थे l शरीर पत्थर से बाहर दिखाई देती हैं किन्तु पूरी तौर पर नहीं l माँसपेशियाँ दिखती है, किन्तु प्रतिमाएँ अपने को स्वतंत्र नहीं कर पातीं l

दास प्रतिमाओं(Slave sculptures) के साथ त्वरित साहनुभूति दिखाई देती है l उनकी हालत पाप के साथ मेरे संघर्ष से भिन्न नहीं है l मैं अपने को स्वतंत्र नहीं कर पाता हूँ : उन प्रतिमाओं की तरह मैं भी “पाप की व्यवस्था के बंधन में” बंदी हूँ (रोमि.7:23) l अथक प्रयास के बाद भी, मैं अपने को बदल नहीं सकता l किन्तु परमेश्वर का धन्यवाद हो, हम अपूर्ण कार्य में बंधे नहीं रहेंगे l हम स्वर्ग जाने तक पूर्ण नहीं होंगे, किन्तु इस बीच पवित्र आत्मा के कार्य द्वारा हम बदलते जाएंगे l परमेश्वर उस काम को पूरा करने का वादा किया है जो उसने हमारे अन्दर आरंभ किया है (फ़िलि.1:6) l

पाँच उँगलियों की प्रार्थना

प्रार्थना एक सूत्र नहीं, परमेश्वर के साथ बातचीत है l फिर भी हमें अपने प्रार्थना समय को तरोताज़ा करने हेतु एक “तरीका” उपयोग करना संभव है l हम भजन और दूसरे वचनों को (जैसे प्रभु की प्रार्थना) को प्रार्थना के रूप में उपयोग कर सकते हैं, अथवा ACTS तरीका (Adoration-आराधना, Confession-पाप स्वीकार, Thanksgiving-धन्यवाद, and Supplication-विनती) उपयोग कर सकते हैं l हाल ही में मुझे “पाँच उँगलियों की प्रार्थना” का पता चला जो परहित प्रार्थना के लिए मर्दार्शिका हो सकती है l

·        दोनों हाथ जोड़ने पर, अंगूठा आपके सबसे निकट है l इसलिए अपने निकट के लोगों के लिए-अपने प्रियों के लिए प्रार्थना करें (फ़िलि.1:3-5) l

·        अगली ऊँगली तर्जनी है l शिक्षकों के लिए-बाइबिल शिक्षक और उपदेशक, और बच्चों को पढ़ानेवालों के लिए प्रार्थना करें (1 थिस्स. 5:25) l

·        अगली ऊँगली सबसे लम्बी है l अधिकारियों के लिए प्रार्थना करें-राष्ट्रीय और स्थानीय अगुवे, और अपने काम के पर्वेक्षक के लिए प्रार्थना करें(1 तीमू. 2:1-2) l

·        चौथी ऊँगली सबसे कमजोर है l परेशान और दुखित लोगों के लिए प्रार्थना करें (याकूब 5:13-16) l

·        उसके बाद छोटी ऊँगली l यह परमेश्वर की महानता के समक्ष आपके छोटेपन  की याद दिलाती है l अपनी ज़रूरतों के लिए प्रार्थना करें (फ़िलि. 4:6,19) l

आप जो भी तरीका उपयोग करें, अपने पिता से बात करें l वह आपके दिल की आवाज़ सुनना चाहता है l

बहुत अच्छा!

कुछ दिनों में एक ही विषय दिखाई देता है l हाल ही में मेरा एक दिन ऐसा ही था l हमारे पासवान ने विस्मयकारी, दो मिनट के अन्तराल में खिलते फूलों की फोटोग्राफी के साथ  उत्पत्ति पर अपना उपदेश आरंभ किया l तब, घर में, सोशल मीडिया की सूची में फूलों के अनेक चित्र दिखाई दिए l बाद में जंगल में घूमते समय, बसंत के जंगली फूल से हम घिरे थे-लाखों में जंगली गेंदे और आईरिस l

सृष्टि के तीसरे दिन परमेश्वर ने फूल और हर दूसरे प्रकार की वनस्पति (और सुखी भूमि जिसमें वे पैदा हो सकें) बनाए l और उस दिन दूसरी बार, परमेश्वर ने उन्हें “अच्छा” कहा (उत्पत्ति 1:10, 12) l केवल सृष्टि के छठवें दिन, परमेश्वर ने दो बार “अच्छा” कहा (पद.24,31) l वास्तव में, इस दिन जब उसने मनुष्य को रचा और उसकी श्रेष्ठकृति पूरी हो गई, उसने अपने द्वारा रचित सभी वस्तुओं को देखा “कि वह बहुत ही अच्छा है!”

सृष्टि की कहानी में, हम एक ऐसा सृष्टिकर्ता देखते हैं जो अपनी सृष्टि में आनंद लेता है-और सृष्टि करने में आनंदित दिखाई देता है l अन्यथा ऐसा रंगीन और अद्भुत विविधता वाला संसार क्यों बनाया जाए? और उसने सर्वोत्तम को अंत के लिए रखा जब उसने “मनुष्य को अपने स्वरुप के अनुसार उत्पन्न किया” (पद.27) l उसकी छविवाले होने के कारण हम उसकी खूबसूरत हस्तकला द्वारा आशीषित और प्रेरित हैं l

परमेश्वर के वचन में भीगना

जब हमारा बेटा ज़ेवियर छोटा बच्चा था हम पारिवारिक सैर पर मोंटेरेरी बे मछलीघर घूमने गए l मछली घर में घुसकर, मैंने छत से लटकता हुए एक बड़ी प्रतिमा की ओर इशारा किया l “देखो एक कुबड़ी व्हेल मछली l”

ज़ेवियर की आँखें बड़ी हो गयीं l “विशाल,” उसने कहा l

मेरे पति मुड़कर बोले l “वह यह शब्द कैसे जानता है?”

“उसने हमें बोलते सुना होगा l” मैंने अपना कन्धा समेटा, और चकित हुई कि हमारा बेटा शब्दावली सीख लिया है जो हमने उसे स्वेच्छा से नहीं सिखाया था l

व्यवस्थाविवरण 6 में, परमेश्वर ने अपने लोगों से जानबूझ कर अपने युवा पीढ़ियों को वचन और आज्ञाकारिता सिखाने को कहा l इस्राएलियों द्वारा परमेश्वर के विषय अपना ज्ञान बढ़ाकर, वे और उनके बच्चे परमेश्वर का अधिक आदर करना सीखेंगे और उसको निकटता से जानने, उससे पूर्ण प्रेम करने, और उसके प्रति आज्ञाकारिता के प्रतिफल का आनंद लेंगे (पद.2-5) l

जानबूझ कर उसके वचन से अपना हृदय और मस्तिष्क भरने से (जपद.6), हम बेहतर तैयारी से अपने दैनिक गतिविधियों में परमेश्वर के प्रेम और सच्चाई को अपने बच्चों के साथ बाँट पाएंगे (पद.7) l उदहारण से अगुवाई करके, हम अपने युवाओं को परमेश्वर का अधिकार पहचाना, उसका आदर करना और उसकी अपरिवर्तनीय सच्चाई के लिए सज्जित और उत्साहित कर पाएंगे (पद.8-9) l

जब स्वाभाविकता से परमेश्वर का वचन हमारे हृदय और मुँह से निकलेगा, हम पीढ़ियों  तक विश्वास की मजबूत विरासत छोड़ेंगे (4:9) l

सेवा हेतु उपस्थित

हमारी कलीसिया नए अगुओं को समर्पित करनेवाली थी l सेवक-अगुआ के प्रतीक को बताने के लिए, कलीसिया के प्राचीनों ने पाँव धोने के यादगार क्षण में भागीदारी की l प्रत्येक अगुआ-पासवान के साथ-मण्डली की उपस्थिति में एक दूसरे के पाँव धोए l

उस दिन प्राचीनों द्वारा किये गए कार्य को यीशु ने हमारे लिए नमूना के तौर पर किया था, जैसे कि यूहन्ना 13 में वर्णित है l उस घटना में, जिसे अंतिम भोज कहा जाता है, यीशु ने “भोजन पर से उठकर ... बर्तन में पानी भरकर चेलों के पाँव धोने ... लगा” (यूहन्ना 13:4-5) l बाद में, यीशु अपने शिष्यों को इसका कारण बताते हुए कहा, “दास अपने स्वामी से बड़ा नहीं, और न भेजा हुआ अपने भेज्नेवेवाले से” (पद.16) l उसने यह भी कहा, “मैं तुम्हारे बीच में सेवक के समान हूँ” (लूका 22:27) l

यदि ऐसा छोटा काम यीशु की गरिमा से निम्न नहीं है, तो दूसरों की सेवा हमारे लिए भी निम्न नहीं है l उसने हमारे सामने कितना अद्भुत उदाहरण रखा l वास्तव में, वह “इसलिए नहीं आया कि उसकी सेवा टहल की जाए, पर इसलिए आया कि आप सेवा टहल करे” (मरकुस 10:45) l उसने हमें दिखाया कि एक अगुआ और एक सेवक होना क्या है l यह यीशु है, जो सेवा करता है l

संगीत समारोह में बजाना

हमारी पौत्री के स्कूल बैंड संगीत गोष्ठी, में 11 और 12 वर्ष के बच्चों को एक साथ ख़ूबसूरती से बजाते देख मैं प्रभावित हुआ l हर एक अकेले प्रदर्शित करके उपलब्धि प्राप्त नहीं कर सकते थे जो उन्होंने साथ मिलकर किया l सभी साजों ने अपनी भागीदारी निभायी और परिणाम था मधुर संगीत!

रोमियों को पौलुस ने लिखा, “हम जो बहुत हैं, मसीह में एक देह होकर आपस में एक दूसरे के अंग हैं l जबकि उस अनुग्रह के अनुसार जो हमें दिया गया है, हमें भिन्न-भिन्न वरदान मिले हैं” (रोमियों 12:5-6) l पौलुस द्वारा वर्णित वरदानों में भविष्यवाणी, सेवा, सिखाना, उपदेश देना, दान देना, अगुवाई, उत्साहित करना और दया है (पद.7-8) l प्रत्येक वरदान हर एक के लाभ के लिए स्वतंत्र रूप से उपयोग किया जाए (1 कुरिं. 12:7) l

संगीत मण्डली  में  की एक परिभाषा है “बनावट अथवा योजना में सहमति; संयुक्त क्रिया; तालमेल अथवा सामंजस्य l” यीशु मसीह द्वारा हम जो उसकी संतान हैं, के लिए प्रभु की योजना यही है l “भाईचारे के प्रेम से एक दूसरे से स्नेह रखो; परस्पर आदर करने में एक दूसरे से बढ़ चलो” (पद.10) l लक्ष्य सहभागिता है, प्रतियोगिता नहीं l

एक अर्थ में, हम प्रतिदिन देखनेवाले और सुननेवाले संसार के “मंच पर हैं l” परमेश्वर की संगीत मण्डली में कोई अकेला गायक नहीं है, किन्तु सभी वाद्य विशेष हैं l हम दूसरों के साथ एकता में अपने योगदान देकर संगीत को सर्वोत्तम बनाते हैं l

ख़ामोशी

सहायता ट्रकों के गाँव की टूटी झोपड़ियां हटाते समय चूज़े भागने लगे l नंगे पाँव बच्चे घूरते रहे l बारिश से उजड़ी “सड़क” पर यातायात कम थी l

अचानक, काफिले ने दीवारों से घिरी मेयर का बड़ा मकान देखा जो खाली था l लोगों के पास बुनियादी ज़रूरतें नहीं थीं जबकि वह दूर शहर में आलिशान मकान में रहता था l

ऐसा अन्याय हमें क्रोधित करता है, जिससे परमेश्वर का नबी भी क्रोधित हुआ l व्यापक शोषण देखकर हबक्कूक ने कहा, “हे यहोवा, मैं कब तक तेरी दोहाई देता रहूँगा, और तू न सुनेगा?” (हबक्कूक 1:2) l किन्तु परमेश्वर ने ध्यान  देकर कहा, “हाय उस पर जो पराया धन छीन छीनकर धनवान हो जाता है? ... जो अपने घर के लिए अन्याय के लाभ का लोभी है” (2:6, 9) l न्याय निकट है!

हम दूसरों पर परमेश्वर का न्याय चाहते हैं, किन्तु हबक्कूक की एक मुख्य बात हमें रोकती है : “यहोवा अपने पवित्र मंदिर में है; समस्त पृथ्वी उसके सामने शांत रहे” (2:20) l समस्त  पृथ्वी l शोषित और उत्पीड़क l कभी-कभी परमेश्वर की प्रत्यक्ष खामोशी का उचित प्रतिउत्तर ... ख़ामोशी है!

ख़ामोशी क्यों? क्योंकि हम अपनी आत्मिक दरिद्रता नहीं देखते l हम ख़ामोशी में पवित्र परमेश्वर के सामने अपने पाप देख सकेंगे l   

हबक्कूक की तरह हम भी परमेश्वर पर भरोसा सीखें l हम उसके सब मार्ग नहीं जानते, किन्तु जानते हैं कि वह भला है l सब कुछ उसके नियंत्रण और समय में है l